स्वामी राम हिमालय विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
देहरादून, उत्तराखण्ड : 01-04-2016
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1. मुझे आज अपराह्न स्वामी राम हिमालय विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में उपस्थित होने पर प्रसन्नता हुई है। अपने संक्षिप्त अवलोकन से मैंने पाया है कि यह कैम्पस उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए एक स्वच्छ,हरित और शांत परिवेश उपलब्ध करवाता है। यह विश्वविद्यालय तीस वर्ष पूर्व हिमालय अस्पताल ट्रस्ट संस्थान द्वारा स्थापित किया गया था जो विगत27 वर्षों से उत्तराखण्ड में परोपकारी सेवा प्रदान कर रहा है। इस ट्रस्ट की स्थापना श्री स्वामी राम ने की थी जो एक महान दार्शनिक,अध्यापक, योगी और मानववादी थे।
2. स्वामी राम ने जब युवावस्था में हिमालय के शिखर और घाटियों की यात्रा की थी तभी उन्हें इस क्षेत्र में विकास की कमी,वहनीय स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच तथा आजीविका अवसरों के अभाव के बारे में गहरी जानकारी हुई थी। उन्होंने निश्चय किया कि वह एक दिन लौटकर आएंगे और यहां के निवासियों के जीवन में परिवर्तन लाएंगे। उन्होंने शिक्षा,स्वास्थ्य सेवा और आजीविका कौशल प्रदान करने के लिए हिमालय अस्पताल ट्रस्ट संस्थान की स्थापना की। उनका यह दृढ़ मत था कि मानव ईश्वर का रूप है तथा मनुष्यों की नि:स्वार्थ और प्रेमपूर्ण सेवा पूजा का सर्वोच्च रूप है। स्वामी जी ने कहा था, ‘यदि मैं अपने अंत:करण के ईश्वर की सेवा नहीं कर सका तो मंदिर,गिरजाघर और मस्जिद में जाना आडंबर है।’इसी विश्वास के साथ उन्होंने मानव की नि:स्वार्थ सेवा करने के प्रति विद्यार्थियों,शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रेरित करते हुए हिमालय अस्पताल ट्रस्ट संस्थान के ध्येय वाक्य‘प्रेम,सेवा, स्मरण’की रचना की।
देवियो और सज्जनो,
3. स्वामी राम एक बहुगुणी विभूति थे जिनका अपनी मातृभूमि और जन्मभूमि के साथ गहरा प्रेम था। यद्यपि अल्पायु में ही उन्हें करविरपीठम का शंकराचार्य बना दिया गया था परंतु उन्होंने अपने योग-ध्यानपूर्ण जीवन का अनुकरण करने के लिए इस उच्च आध्यात्मिक पदवी को त्याग दिया। गहन योग विधाओं के पश्चात् वह विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच एक सेतु का निर्माण करने के लिए जापान और अमरीका गए। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने नियंत्रित प्रयोगशाला परिस्थितियों में रक्त प्रवाह,शरीर के तापमान, ह्दय गति और मस्तिष्क संवेग जैसे अनियंत्रित कार्यों पर ऐच्छिक नियंत्रण को दर्शाया। उनके खुलासे ने रोग के मनोचिकित्सा स्रोतों तथा उसे ठीक करने के लिए मन की क्षमता को मान्यता देने की आधारशिला रखी। उन्होंने एक नई विधा के रूप में समग्र स्वास्थ्य की स्थापना की जो एलोपैथिक चिकित्सा के मुकाबले काफी बेहतर थी। हिमालय अस्पताल ट्रस्ट संस्थान में उन्होंने पाश्चात्य आधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ पौर्वात्य ज्ञान के संगम के महत्व पर बल दिया। जैसा कि उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था, ‘पूरब के ज्ञान की सुगंध को पश्चिम के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सुंदर रूप के साथ मिश्रित करने से मानवता के एक उत्कृष्ट पुष्प की रचना होगी।’
4. स्वामी राम ने एक ख्याति प्राप्त पुस्तक‘लिविंग विद द हिमालयन मास्टर्स’लिखी, जो हिमालय की कंदराओं और मठों में उनके जीवन से संबंधित है। मुझे बताया गया है कि इस पुस्तक से प्राप्त रॉयल्टी को स्वामी जी ने भूमि प्राप्त करने तथा इस200 एकड़ के सुंदर विश्वविद्यालय कैम्पस के आधारभूत ढांचे के निर्माण में प्रयोग कर दिया था। विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच निर्मित स्वामी जी के इस सेतु का मानवता के विकास तथा संपूर्ण विश्व में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के बेहतरी पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इसलिए मैं शिक्षा,करुणा और प्रेम के इस मंदिर में आपके बीच उपस्थित होना अपना सौभाग्य समझता हूं।
मित्रो,
5. यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 25 वर्ष पहले आरंभ हुई अपना टीन के छप्पर में ओपीडी और ग्रामीण विकास के लिए एक छोटी सी कोठरी एक मनोरम नगर और विश्वविद्यालय में विकसित हो गई है। आज स्वामी राम हिमालय विश्वविद्यालय चिकित्सा,अर्धचिकित्सीय विज्ञान, परिचर्या,इंजीनियरी और प्रबंधन में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान कर रहा है। यह ग्रामीण इलाकों जिनमें उत्तराखंड के1200 से ज्यादा गांव शामिल है,की सेवा करता है। यह स्वास्थ्य,शिक्षा और आय अर्जन कार्यक्रमों पर ध्यान देता है। यह750 बिस्तरों वाले बहुउद्देशीय अस्पताल और अत्याधुनिक250 बिस्तरों वाले केंसर केंद्र के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है।
6. इस संस्थान के विद्यार्थी और नए शिक्षक उल्लासमय जीवन विज्ञान में प्रशिक्षित हैं जो कार्यक्रम स्वामी जी की शिक्षाओं पर आधारित व्याख्यानों और अभ्यासों से युक्त है। यह विश्वविद्यालय स्वास्थ्य देखभाल और विकास की समेकित और किफायती पद्धतियों का विकास कर रहा है जिससे स्थानीय लोगों की आवश्यकताएं पूरी हो जाएंगी। इससे पिछड़ी आबादी वाले क्षेत्रों में एक अनुकरणी का मॉडल भी तैयार हो जाएगा। स्वामी राम हिमालय विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के पालन के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है। इसके चिकित्सा शिक्षा विभाग को 2014में भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा क्षेत्रीय चिकित्सा प्रशिक्षण केंद्र के रूप में नामित किया गया था। यह इकाई संकाय विकास कार्यक्रमों तथा नवान्वेषी अध्यापन और मूल्यांकन साधनों के विकास में शामिल है।
मित्रो,
7. एक विश्वविद्यालय शिक्षा प्रणाली का शिखर है। इसलिए संपूर्ण शिक्षा प्रणाली के कायाकल्प के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना उच्च शिक्षा संस्थानों का दायित्व है। हम जिस जनसांख्यिकी लाभ की चर्चा करते हैं वह तभी उपयोगी हो पाएगा जब हम अधिकाधिक युवाओं को श्रेष्ठ शिक्षा,ज्ञान और कौशल प्रदान करें। उच्च शिक्षण के और केंद्र स्थापित करके उच्च शिक्षा का विस्तार करना ही काफी नहीं है। जब तक हम गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देंगे युवाओं को सक्षम,आत्मविश्वासी और समर्पित बनाने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा। चाहे संकाय का विकास हो,प्रमुख क्षमताओं का प्रोत्साहन हो,अन्य संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित करना हो,उद्योग के साथ नेटवर्किंग हो या अनुसंधान और नवान्वेषण पर जोर देना हो,हमें अपने उच्च शिक्षा संस्थानों में उत्कृष्ट मानदंड बनाए रखने के पूरे प्रयास करने की आवश्यकता है। विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान क्षेत्रों को प्राथमिकता देनी होगी। हमारे संस्थानों का कर्तव्य अपने विद्यार्थियों में प्रमुख सभ्यतागत मूल्यों- अपनी मातृभूमि से प्रेम, अपने समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना तथा सभी के प्रति सहृदयता पैदा करना है। उच्च शिक्षा प्रणाली द्वारा सुदृढ़ सामाजिक संवेदना से युक्त श्रेष्ठ पेशेवर तैयार करने होंगे।
देवियो और सज्जनो,
8. मैं आज स्वामी राम विश्वविद्यालय से अपनी उपाधियां प्राप्त करने वाले चिकित्सा,नर्सिंग और प्रबंधन के विद्यार्थियों को बधाई देता हूं। आप हमारे राष्ट्र का भविष्य और आशा हैं। आपको स्वामी राम हिमालय विश्वविद्यालय से प्राप्त शिक्षा और प्रशिक्षण के द्वारा देश की सेवा करने के लिए तैयार किया गया है। मदर टेरेसा के इस विचार को याद रखिए, ‘आज सबसे बुरी बीमारी तपेदिक या कुष्ठ नहीं है बल्कि अवांछित,ठुकराया होना और उपेक्षित होना है। हम दवाईयों से शारीरिक रोग को ठीक कर सकते हैं परंतु अकेलेपन,हताशा और निराशा का एकमात्र ईलाज प्रेम है।’हमारे देश में उपचार और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को नैतिकता के उच्च स्तर पर कायम खड़े रहना है।ऐसी प्रणाली का प्रमुख बल मात्र रोगियों का कल्याण होना चाहिए। हमें स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक वैज्ञानिक और कुशल बनाने के लिए समर्पित नर्सों,डॉक्टरों और प्रबंधकों की आवश्यकता है। हमारे कंधों पर इस नेक पेशे का भविष्य टिका हुआ है।
9. दीक्षांत समारोह आपके जीवन का सबसे महान दिन है क्योंकि आप औपचारिक शिक्षा प्राप्त करके स्नातक बन गए हैं और अपनी मातृसंस्था से विदा हो रहे हैं। आपको मेरे इन कुछ सुझावों को भली भांति याद रखना होगा: (क) अपने भविष्य की चिंता मत करिए; वर्तमान में रहना सीखिए। भूतकाल इतिहास है,भविष्य रहस्यमय है, इसलिए अपने वर्तमान पर दृष्टि रखिए। आपका भविष्य वर्तमान के आपके कार्यों का परिणाम होगा। (ख) भूतकाल की चिंता मत करिए;जो बीत चुका है आप उसके बारे में कुछ नहीं कर सकते। आपके वर्तमान और भावी प्रयासों में सत्य से परे किसी विचार का कोई स्थान नहीं है। (ग) असफलताओं से मत डरिए,असफलता को सीखने का माध्यम बनाएं। (घ) स्वयं में विश्वास करिए;हमें दुनिया को बदलने के लिए जादू की आवश्यकता नहीं है। हममें पहले से ही सभी शक्तियां विद्यमान हैं,हममें कल्पना और बेहतर भविष्य के निर्माण की शक्ति है। (ड़) आजीवन सीखते रहिए;याद रखिए की स्नातक की उपाधि एक अवधारणा है। वास्तविक जीवन में आप प्रतिदिन स्नातक बनते हैं। यह कभी भी समाप्त न होने वाली प्रक्रिया है क्योंकि आप अपने व्यवसाय से नई बातें सीखते हैं तथा अपने जीवन के अनुभवों से अन्य गुणों को आत्मसात करते हैं। याद रखिए कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है जिस प्रकार पतझड़ में पुराने पत्ते गिर जाते हैं और बसंत आने पर नए पत्ते इनका स्थान ले लेते हैं,उसी प्रकार परिवर्तन के प्रति खुद को ढालने का प्रयास करिए और परिवर्तन का साधन बन जाइए। पुराने विचार और नजरिए जो अब बेकार हो चुके हैं उनके स्थान पर बेहतर विचार लाइए। आपकी सर्जनात्मकता ही परिवर्तन ला सकती है। इसलिए सीखने तथा नई सोच की मनोवृत्ति के साथ जीवन की यात्रा पर आगे बढ़िए।
10. युवा विद्यार्थियों,अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं यह कहना चाहूंगा कि:
मुझे है उम्मीद कि आपके सपने लेकर जाएंगे आपको ...
मुस्कुराहट के कोनों तक,आपकी उम्मीदों के शिखर तक,
आपके अवसरों के झरोखों तक,
और खास स्थान तक जिससे आपका ह्दय परिचित है।
11. सदैव याद रखिए कि हमारे सभी स्वप्न तभी साकार हो सकते हैं जब हममें उन्हें पूरा करने का साहस हो। अपनी कीर्ति फैलाइए और स्वयं को अपनी उपलब्धियों से नहीं बल्कि अपने आस-पास के लोगों की खुशहाली से परखिए। आपके प्रयासों की सफलता होने के लिए शुभकामनाए !
धन्यवाद।
जयहिन्द।