भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का VISITOR'S CONFERENCE – 2023 के समापन सत्र में सम्बोधन (HINDI)
राष्ट्रपति भवन : 11.07.2023
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इस राष्ट्रीय महत्व के conference के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर मैं शिक्षा मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान जी तथा उनकी पूरी टीम को तथा सभी प्रतिभागियों को बधाई देती हूं।
इस conference की theme और सभी पांच sub-themes हमारे देश और पूरे विश्व समुदाय के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। विषय वस्तुओं के चयन के लिए इस प्रक्रिया से जुड़े सभी लोगों की मैं सराहना करती हूं।
Sub-themes पर सभी समूहों के Chairpersons द्वारा प्रस्तुत किए गए विचार सारगर्भित हैं तथा उन्हें कार्यरूप देने के दृष्टिकोण से प्रेरित हैं। Policy को practice में लाने में ही, policy की सार्थकता सिद्ध होती है। Outcomes और results से यह सिद्ध होता है कि policy और practices को व्यापक स्तर पर प्रभावी ढंग से कार्यरूप दिया गया है। उदाहरण के लिए Digital India कार्यक्रम के जरिए भारतीय समाज को digital रूप से सशक्त बनाने तथा देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने का लक्ष्य रखा गया है। डिजिटल क्षेत्र में नीतियों और कार्यक्रमों के परिणाम बहुत प्रभावशाली रहे हैं। भारत के digital infrastructure तथा inclusion की चर्चा पूरे विश्व में की जा रही है। आज पूरे विश्व में होने वाले digital transactions का 46 percent भारत में होता है। सरकार की प्रभावी पहल तथा जनता की भागीदारी से यह क्रान्तिकारी परिवर्तन बहुत कम समय में ही संभव कर दिखाया गया है। इस समावेशी परिवर्तन में छोटे से छोटे स्तर पर transaction करने वाले फल और सब्जी विक्रेता और ग्राहक, auto-rickshaw चालक आदि सभी शामिल हैं। मुझे विश्वास है कि इसी तरह के परिवर्तनकारी तथा समावेशी परिणाम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी प्राप्त किए जाएंगे। ऐसी प्रामाणिक उपलब्धियों की सराहना भी विश्व-स्तर पर की जाएगी।
Knowledge Super-power के रूप में भारत को प्रतिष्ठित करने की दृष्टि से 'Internationalization Efforts and G 20' विषय पर आज की गई चर्चा बहुत ही प्रासंगिक है। इस वर्ष भारत G 20 समूह का नेतृत्व कर रहा है। One Earth, One Family, One Future के मंत्र के साथ भारत की पूरी कोशिश है कि G 20 के सदस्य देशों के साथ मिलकर मौजूदा वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक समाधान तलाशा जाए। G 20 के देशों की,विश्व के कुल GDP में 85%, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 75% और विश्व की जनसंख्या में दो-तिहाई हिस्सा है। इसलिए, यदि भारत की G 20 देशों की शिक्षा व्यवस्था में अग्रणी स्थिति बनती है तो हमारा देश Knowledge Super-power बनने के राष्ट्रीय लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेगा।
Ladies and gentlemen,
I am happy to note that 'Research Contributions and Recognitions' was one of the five sub-themes taken up today. Innovation and cutting edge R&D are among prime movers of economic and social development of a nation. National Education Policy 2020 puts special emphasis on creativity and innovation. Promoting outstanding research is one of the basic principles of this Policy. Leading universities and technology institutions in the world have focussed on innovation. They provide an eco-system that supports Research and Development which can be applied in industrial and commercial spheres. Higher Education Institutions in our country have the potential of becoming powerhouses of research and innovations. There are several surveys which provide ranking of Higher Education Institutions in terms of revenue generation through patents and innovations. I am glad to observe that Higher Education Institutions in India are making the transition towards promoting start-ups, applied research and commercially valuable innovation while preserving the tradition of fundamental research. I am sure that in your institutions, all of you will promote a research and innovation oriented eco-system. Such research and innovation may be used for industrial and commercial purposes. I would like to suggest that some methods may be developed to recognise and reward those institutions of higher education which create valuable intellectual property and generate revenue through such patents and innovations.
देवियो और सज्जनो,
Diversity, Equality, Inclusivity and Wellness पर विशेष सत्र आयोजित करने की मैं सराहना करती हूं। संवेदनशीलता के ये सभी आयाम उच्च शिक्षा को समग्रता प्रदान करेंगे। Institutions of higher education are among the most effective platforms for promoting our Constitutional ideals of justice, equality, fraternity, individual dignity and respect for women.
आधुनिक युग में विकसित और शक्तिशाली देश अपने उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए भी जाने जाते हैं। उन देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों में सभी देशों के विद्यार्थी अध्ययन करना चाहते हैं। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 में ऐसा Road Map दिया गया है जिस पर चलकर हमारे उच्च शिक्षण संस्थान भी Global Education Centres बन सकते हैं।
इस conference के लिए तय की गई सभी sub-themes अमृत-काल के दौरान उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा देश के विकास में योगदान से सीधे-सीधे जुड़ी हुई हैं। हम सबको यह सौभाग्य मिला है कि अमृत-काल के दौरान, भारत को हर आयाम पर विकसित राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में देशवासियों को आगे बढ़ाएं। राष्ट्रीय विकास की इस यात्रा को हमारे उच्च शिक्षण संस्थान तेज गति प्रदान कर सकते हैं।
मुझे विश्वास है कि आप सबके कुशल नेतृत्व में हमारे उच्च शिक्षण संस्थान, भारतीय भावभूमि पर आधारित विश्व-स्तरीय ज्ञान के सृजन का केंद्र बनेंगे। इस विश्वास और शुभकामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!