भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस समारोह – 2022 में सम्बोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 14.12.2022

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सबसे पहले मैं आज के सभी पुरस्कार विजेताओं, विशेषकर बच्चों को, बहुत-बहुत बधाई देती हूं। साथ ही, अन्य सभी प्रतिभागियों की भी मैं सराहना करती हूं। मैं सभी देशवासियों को ‘राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस’ की बधाई देती हूं और उनसे अनुरोध करती हूं कि वे ऊर्जा-संरक्षण के लिए अपना अधिक से अधिक योगदान दें।

मुझे बताया गया है कि ऊर्जा संरक्षण से जुड़ी ‘राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता’ में लगभग 80,000 विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भागीदारी की है। बच्चे जो चित्र बनाते हैं, उनमें सच्चाई होती है। बच्चों को पुरस्कृत करने के साथ-साथ, उनसे हमें सीखना भी है। आने वाली पीढ़ियों के लिए - प्रदूषण से मुक्त पर्यावरण में सांस लेने, प्रगति करने और स्वस्थ जीवन बिताने की परिस्थितियां सुनिश्चित करना हम सबकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम सब जानते हैं कि महानगरों में, प्रदूषण के कारण, छोटे-छोटे बच्चों को फेफड़े और सांस लेने से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साफ-सुथरी हवा में सांस ले पाना एक न्यूनतम मानवाधिकार है। पर्यावरण की रक्षा से ही अनेक मानवाधिकारों की रक्षा संभव हो सकेगी।

देवियो और सज्जनो,

Climate change और global warming की चुनौतियों का सामना करने के संदर्भ में ऊर्जा संरक्षण वैश्विक प्राथमिकता भी है और हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता भी।

यद्यपि भारत द्वारा किया जा रहा प्रति व्यक्ति कार्बन-उत्सर्जन और GHG emission, world average के एक तिहाई से भी कम है, फिर भी एक जिम्मेदार देश के रूप में भारत, पर्यावरण के क्षेत्र में अग्रणी योगदान दे रहा है, नेतृत्व प्रदान कर रहा है। Sustainable Development Goals के मानकों, तथा Paris Agreement के तहत नवीकरणीय ऊर्जा-क्षमता की अपनी कुछ प्रतिबद्धताओं को भारत ने नियत अवधि से पहले ही प्राप्त कर लिया है। उसके बाद, हमारे देश ने अपने लिए उच्चत्तर लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इसके लिए देश के नेतृत्व की और सभी देशवासियों की मैं हृदय से सराहना करती हूं।

ये उपलब्धियां नवीकरणीय ऊर्जा तथा नवीन ऊर्जा के क्षेत्र में चल रहे प्रयासों, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के सक्षम उत्पादन व उपयोग तथा ऊर्जा-संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों के बल पर ही प्राप्त की जा सकी हैं। ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व-स्तर पर भारत को गौरवशाली स्थिति प्रदान करने के सफल प्रयासों के लिए केंद्रीय मंत्री श्री आर. के. सिंह जी, राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल जी तथा उनकी टीम के सदस्यों की मैं हार्दिक सराहना करती हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब, वर्ष 2030 तक के लिए तय किए गए Nationally Determined Contributions को अवश्य पूरा करेंगे और पर्यावरण के हित में भारत द्वारा श्रेष्ठ योगदान सुनिश्चित करेंगे।

देवियो और सज्जनो,

ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े सभी लोग जानते हैं कि भारत ने COP-26 में विश्व-समुदाय से पर्यावरण अनुकूल जीवन-शैली को अपनाने का अनुरोध करते हुए Lifestyle For Environment अर्थात LiFE का संदेश दिया था। भारतीय संस्कृति और परंपरा में लोगों की जीवन-शैली हमेशा LiFE के उस संदेश के अनुरूप ही रही है। प्रकृति का सम्मान करना, प्राकृतिक सामग्री का अपव्यय न करना और प्राकृतिक संपदा को बढ़ाने के उपाय करना, ऐसी जीवन-शैली का अभिन्न अंग होता है। भारत की अग्रणी भागीदारी के साथ पूरा विश्व समुदाय ऐसी जीवन-शैली अपनाने के लिए आगे बढ़े, यही भारत का विश्वव्यापी प्रयास है।

आज-कल हमारा देश G20 के अध्यक्ष के रूप में भी, अनेक क्षेत्रों में, अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व प्रदान कर रहा है। बहुत से लोगों को यह जानकारी होगी कि G20 के देशों का विश्व के कुल GDP में, 85 per cent, और international trade में 75 per cent योगदान रहता है। साथ ही, विश्व की 60 per cent population भी G20 के देशों में निवास करती है। G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के आदर्श के अनुसार ‘One Earth, One Family, One Future’ के theme को अपनाया है तथा हम इसे विश्व-पटल पर प्रसारित भी कर रहे हैं।

देवियो और सज्जनो,

सभी देशवासियों को विकास का प्रचुर अवसर प्रदान करते हुए climate change की चुनौती का सामना करने के लिए देश की सरकार और जनता द्वारा ऊर्जा के सक्षम उत्पादन, उपयोग और संरक्षण पर ज़ोर दिया जा रहा है। इन प्रयासों को समग्र रूप से आगे बढ़ाने के लिए मैं भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के मार्गदर्शन में Bureau of Energy Efficiency के विभिन्न कार्यकलापों की सराहना करती हूं।

इस संदर्भ में, energy-efficiency-innovation पर विशेष ध्यान देने की भी मैं सराहना करती हूं। मैं National Energy Efficiency Innovation Awards के विजेताओं की नई सोच और कार्य पद्धति के लिए उनकी प्रशंसा करती हूं। मैं चाहती हूं कि पुरस्कृत किए गए innovations का व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाए। ऐसे innovations से प्रेरित होकर, अधिक से अधिक लोग नई-नई पद्धतियां विकसित करेंगे जिनसे पर्यावरण संरक्षण में सहायता प्राप्त होगी।

Bio-diversity सहित, प्रकृति को बचाने की चिंता हम सबको करनी है। भारत की महान कवयित्री महादेवी वर्मा जी ने यह चिंता बड़े मार्मिक शब्दों में व्यक्त की थी। उन्होंने लिखा है:

आंधी आई जोर-शोर से,

डालें टूटी हैं झकोर से।

उड़ा घोंसला, अंडे फूटे,

किससे दुख की बात कहेगी?

अब यह चिड़िया, कहां रहेगी?

हम सबको मिलकर चिड़िया के घोसले को बचाना है, चिड़िया को बचाना है, अंडे-बच्चे को बचाना है, डाली को बचाना है, पेड़ को बचाना है, धरती-माता के प्राकृतिक संतुलन को बचाना है; अपने लिए, और आने वाली पीढ़ियों के लिए। मुझे प्रसन्नता है कि हमारे देश में पर्यावरण-संरक्षण के संकल्प को कार्यरूप दिया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में सभी देशवासियों को मैं पर्यावरण सेनानी मानती हूं और सब के विजय की मंगल कामना करती हूं।

आज के इस समारोह को मैं ऊर्जा-संरक्षण के माध्यम से, प्रकृति के संरक्षण के आह्वान के रूप में देखती हूं। हम सब यह संकल्प लें कि हम जो कुछ भी करेंगे वह सदैव प्रकृति के अनुकूल होगा, कभी भी प्रतिकूल नहीं होगा। प्रकृति और प्रगति के संतुलन को बनाए रखने में ही मानव-कल्याण निहित है। इस विचार के साथ पूरी मानवता आगे बढ़े, इसी मंगल-कामना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 

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