भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का National Federation of the Blind के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर सम्बोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 03.08.2023

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आज National Federation of the Blind के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे संतोष का अनुभव हो रहा है। मुझे बताया गया है कि यहां देश के अधिकांश राज्यों और Union Territories से लोग उपस्थित हैं। आपकी प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प के लिए मैं आपकी सराहना करती हूं।  

मुझे बताया गया है कि Federation की स्थापना दृष्टिबाधित व्यक्तियों के एक समूह द्वारा उन तमाम बाधाओं को तोड़ने के लिए की गयी थी जो समाज में उन्हें बराबरी का अवसर देने से रोकती थी। वे जानते थे कि वे लोग भी अन्य लोगों की तरह ही सक्षम हैं। दृष्टिबाधित लोगों को अपनी प्रतिभा को दर्शाने के लिए किसी की दया या करुणा की नहीं, बल्कि समान अवसर, शिक्षा, उचित प्रशिक्षण और रोजगार की जरुरत होती है।

मुझे आपकी संस्था की philosophy ‘Let the Blind Lead the Blind’ बहुत सार्थक लगी। मैं दृष्टिबाधित लोगों के समग्र विकास और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए Federation के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों की उनके अथक प्रयासों के लिए सराहना करती हूं।

पिछले 50 वर्षों में Federation ने दृष्टिबाधित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शिक्षा से लेकर रोजगार तक तथा accessibility एवं technology के माध्यम से आपने दृष्टिबाधित लोगों को सशक्त बनाने के लिए संघर्ष किया है। आपने दृष्टिबाधित लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ाई है, जिससे समाज और अधिक समावेशी हो सके।

देवियो और सज्जनो,

भारत में दृष्टिबाधित लोगों सहित दिव्यांग-जनों की काफी बड़ी संख्या है। हमारे इन भाइयों और बहनों को गरिमापूर्ण जीवन देने की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ, पूरे समाज की है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि सभी दृष्टिबाधित व्यक्तियों को उचित शिक्षा प्राप्त हो, उन्हें रोजगार के अवसर मिलें, सार्वजनिक स्थान सुगम हो, तथा वे technology के माध्यम से सुरक्षित और बेहतर जीवन जी सकें।

भारतीय परंपरा में नेत्र बाधा से प्रभावित लोगों को ‘प्रज्ञा चक्षु’ कहा जाता है। जिसका अर्थ ऐसे व्यक्ति से होता है जिसके ‘ज्ञान चक्षु’ खुले हुए हों। यह ठीक ही कहा जाता है कि “Insight is more important than sight.” अर्थात अंतर्दृष्टि, देखने की क्षमता से अधिक महत्वपूर्ण है।

देवियो और सज्जनो,

पिछले वर्ष दिसंबर महीने में मैंने राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार प्रदान किये थे। मैंने उस समय भी कहा था कि भारतीय संस्कृति में disability को ज्ञान अर्जित करने में और उत्कृष्टता प्राप्त करने में कभी भी बाधा नहीं माना गया है। ऋषि अष्टावक्र, जिनका शरीर आठ जगह से टेड़ा था, ने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए, 'अष्टावक्र  गीता' और 'अष्टावक्र संहिता' दो महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की और अपने ज्ञान से समाज को प्रकाशित किया।

इसी तरह महान कवि सूरदास साहित्य के क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ विभूतियों में से एक है। दृष्टिबाधित होते हुए भी, जिस तरह सूरदास ने राधा-कृष्ण के जीवन चरित का सजीव चित्रण और वर्णन किया है, वह किसी नेत्र वाले व्यक्ति के लिए भी करना अत्यंत कठिन है।

आपमें से कई लोगों को पता होगा कि पिछले वर्ष T20 Cricket World Cup for Blind भारत ने जीता था। वर्ल्ड कप विजेता टीम के सभी सदस्यों से मैंने राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की और उनको बधाई दी थी। पूरे देश को उनकी विजय पर गर्व हुआ और उनकी विजय से लोगों को प्रेरणा मिली।

सरकार आपके सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निरंतर प्रयास कर रही है। आप लोगों को भी अपनी योग्यता पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ना है। मैं आप सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता की मंगल कामना करती हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि National Federation of the Blind दृष्टिबाधित लोगों के समग्र विकास और सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सरकार और समाज के साथ मिलकर अपना प्रयास जारी रखेगा। इसी विश्वास के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।

धन्यवाद, 
जय हिंद! 
जय भारत! 
 

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