भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के 25वें दीक्षांत समारोह में संबोधन

हिसार,हरियाणा : 24.04.2023

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आज इस विश्वविद्यालय के 25वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आपको संबोधित करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। दीक्षांत समारोह केवल डिग्री, पुरस्कार और पदक प्रदान करने का एक अवसर ही नहीं है बल्कि अर्जित क्षमताओं के माध्यम से नई चुनौतियों को स्वीकार करने और अपने सपनों को साकार करने के लिए, संकल्प लेने का अवसर भी है। आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं और आपके सुखद भविष्य की कामना करती हूं।

मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आज जिन विद्यार्थियों ने डिग्री और मेडल प्राप्त किए हैं उनमें में से आधे से अधिक बेटियाँ हैं। और यही नहीं गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी 70 प्रतिशत से अधिक छात्राएँ हैं। यह बहुत ही संतोष का विषय है कि हमारी बेटियाँ कृषि और संबद्ध विज्ञान सहित अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं।

प्यारे विद्यार्थियों

आज का दिन आपके शैक्षिक जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण है। लेकिन आज आपकी शिक्षा संपूर्ण नहीं हुई है, केवल इसका एक हिस्सा पूर्ण हुआ है। कृषि विज्ञान के एक विद्यार्थी के रूप में आपने जो भी सीखा है उसका व्यावहारिक उपयोग करने का अवसर अब आपके सामने होगा। अब आप अन्नदाता, किसान भाई-बहनों के साथ मिलकर कृषि के विकास में अपना योगदान देंगे। मेरी आपसे अपेक्षा होगी कि आप जीवनपर्यंत जिज्ञासु बने रहें, सीखते रहें और विनम्रता के साथ कृषि जगत की सेवा करते रहें।

कृषि के क्षेत्र में करियर बनाने का आपका निर्णय आपके लिए दूसरों की मदद करने की अपार संभावनाओं के द्वार खोल देता है। यह आप पर निर्भर है कि आप इन अवसरों का अधिकतम लाभ कैसे उठाएंगे। आपको अपने ज्ञान और क्षमताओं के विस्तार के लिए दुनिया भर के नवीनतम नवाचारों से अवगत रहना होगा। आपका यह प्रयास देश को वैभवशाली राष्ट्र बनाने में सार्थक होगा।

प्यारे विद्यार्थियों

बड़ी जनसंख्या के बावजूद, आज भारत खाद्यान्न संकटग्रस्त देश से खाद्यान्न निर्यातक देश बन गया है। इसमें हमारे नीति-निर्माताओं, कृषि- वैज्ञानिकों और किसान भाइयों-बहनों का महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन आज कृषि के समक्ष बढ़ती जनसंख्या, सिकुड़ती कृषि भूमि, गिरते भूजल-स्तर, मिट्टी की घटती उर्वरता, जलवायु परिवर्तन जैसी अनेक चिंताएं उपस्थित हैं जिनका समाधान खोजना आप जैसे कृषि पेशेवरों का दायित्व है। आपको ऐसे  प्रयास करने होंगे जिससे हमारी विशाल जनसंख्या को, पर्यावरण और जैव- विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए, पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सके। आपके समक्ष यह एक चुनौती भी है, और अवसर भी। मुझे पूरा विश्वास है कि आप अपनी शिक्षा के बल पर इस चुनौती को अवसर में बदल देंगे।

देवियो और सज्जनो

प्राचीन काल से ही खेती को एक प्रतिष्ठित पेशा माना गया है। लोकोक्तियों में भी कृषि-कार्य को उत्तम स्थान प्राप्त है। खेती की हजारों वर्षों की परंपरा हमारे सामाजिक जीवन की अमूर्त धरोहर है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती रही है। यही वजह है कि हमारे किसान अपने अनूठे प्रयोगों से अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों को भी चौंकाते रहते हैं। एक नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री के अनुसार भारत के किसानों का प्रयोग विश्व कृषि विज्ञान के लिए प्रेरणास्रोत है।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय या HAU अपने स्थापना के समय से ही कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की सफलता में भी HAU ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

आज हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय केंद्र और राज्य सरकारों की किसान-हितैषी नीतियों, HAU की तकनीकी पहल, और सबसे बढ़कर यहां के किसान भाइयों-बहनों की नवीनतम कृषि तकनीकों को अपनाने की इच्छा-शक्ति को जाता है। मुझे पूरा विश्वास है कि यहां के मेहनती निवासियों की कुशाग्रता और सामर्थ्य के बल पर हरियाणा का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।

मुझे यह जानकर खुशी हुई कि HAU ने अब तक फसलों की कई किस्मों का विकास किया है। यहां पर विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 18000 क्विंटल उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन होता है। ये बीज देशभर के किसानों को उच्च उपज वाली किस्मों की बुवाई में सहायता कर रहे हैं। मुझे बताया गया है कि सरसों की RH 725 तथा मूंग की MH 421 और MH 1142 किस्में किसानों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हैं।

HAU ने कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर अपनी पहचान स्थापित की है। आज जब पूरा विश्व एक-दुसरे से जुड़ा हुआ है और पूरी मानवता global warming और climate change जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है तो ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता होती है कि यह विश्वविद्यालय कई देशों की संस्थाओं के साथ कृषि से जुड़े विषयों पर सहयोग कर रहा है।

देवियो और सज्जनो

खेती की लागत को कम करने, उत्पादकता बढ़ाने, उसे पर्यावरण अनुकूल बनाने तथा उसको और अधिक लाभदायक बनाने में technology की अहम भूमिका है। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय ने कृषि संबंधी अनेक उपयोगी मशीनें विकसित की हैं। यहां पर एक ई-ट्रैक्टर भी बनाया गया है जो हरित ऊर्जा से चलता है, और किफ़ायती भी है। HAU जैसे संस्थानों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे निरंतर technological innovation करते रहेंगे।

किसी भी विश्वविद्यालय की शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के प्रति जिम्मेवारी भी होती है। मुझे खुशी है कि इस विश्वविद्यालय ने ग्रामीण महिलाओं में एनीमिया की समस्या को दूर करने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में आयरन और जिंक से भरपूर विश्व का 
पहला बायो-फोर्टिफाइड बाजरा हाईब्रिड HHB 299 विकसित किया था।

देवियो और सज्जनो

पानी कृषि का एक अहम घटक है जो सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि जल का मितव्ययता के साथ उपयोग किया जाए। उन स्थानों पर जहां पानी की कमी है वहां ऐसी फसलों का चयन किया जाए जिनमें पानी की खपत कम हो। सिंचाई में तकनीक का अधिकतम प्रयोग होना चाहिए जिससे जल-संसाधन का दोहन न्यूनतम हो सके। ऐसी technology के विकास और प्रचार-प्रसार में HAU जैसे संस्थानों की भूमिका महत्वपूर्ण है।

आप सभी जानते हैं कि पराली जलाने से प्रतिवर्ष पंजाब, हरियाणा और दिल्ली क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। हमें प्रदूषण की समस्या का समाधान न सिर्फ अपने स्वास्थ्य के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए भी ढूँढना है। इसके लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि HAU पराली जलाने के विकल्पों के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है। मुझे विश्वास है कि आपका यह प्रयास न सिर्फ पर्यावरण के संरक्षण में योगदान देगा, बल्कि कृषि उत्पादकता को भी बढ़ाएगा।

कृषि एक व्यापक क्षेत्र है। अनाज, फल-फूल और दुग्ध उत्पादन तथा पशुपालन और मत्स्य पालन के अलावा कई और उद्योग हैं जिनका कृषि से सीधा संबंध है। मेरा मानना है कि किसी भी विश्वविद्यालय को एक ऐसी प्रयोगशाला के रूप में कार्य करना चाहिए जहां से ज्ञान और वैभव हर तरफ फैले और पूरा समाज लाभान्वित हो। यह प्रसन्नता की बात है कि HAU के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्र फसल उत्पादन तकनीकों के प्रचार-प्रसार के लिए किसानों के साथ मिलकर प्रयास कर रहे हैं। सामुदायिक रेडियो और कृषि मेलों के द्वारा भी कृषि के विभिन्न पहलुओं पर जागरूकता फैलाई जा रही है। इन प्रयासों को और गति देने की आवश्यकता है जिससे देश की जनता, विशेषकर हरियाणावासी, अधिक से अधिक लाभान्वित हो सके।

प्यारे विद्यार्थियों,

भारत एक start-up hub के रूप में उभरा है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा start-up eco-system आज भारत में है। हमारा कृषि क्षेत्र अनेक उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति करता है। ऐसे में कृषि और इससे जुड़े कई क्षेत्रों में start-up की प्रचुर संभावनाएं हैं। इसलिए आप जैसे युवाओं को आगे आना चाहिए और job-seeker के बदले job-provider बनना चाहिए। यह खुशी की बात है कि आपके विश्वविद्यालय ने innovation, technology upgradation और skill development के माध्यम से entrepreneurship को बढ़ावा देने के लिए Incubation Centre की स्थापना की है। मुझे आशा है कि आप इस सकारात्मक वातावरण का लाभ उठाते हुए देश के विकास में अपना योगदान देंगे।

अंत में, मैं एक बार फिर डिग्री और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देती हूं और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं। मैं आशा करती हूं कि आप सब अपने दृढ़ संकल्प, समर्पण और ईमानदार प्रयासों से राष्ट्र-निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देंगे।

धन्यवाद। 
जय हिन्द ! 
जय भारत !

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