भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के 19वें दीक्षांत समारोह पर सम्बोधन

करनाल, हरियाणा : 24.04.2023

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आज National Dairy Research Institute (NDRI) के दीक्षांत समारोह में यहाँ उपस्थित होकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मेरा मानना है कि यह क्षेत्र डेयरी और उससे जुड़े उत्पादों के अनुसंधान के लिए उपयुक्त स्थान है। हरियाणा के लोग बड़े गर्व से कहते हैं - "दूध-दही का ख़ाना, म्हारा देश हरियाणा!” पंजाब और हरियाणा के किसानों ने हरित क्रांति के साथ-साथ श्वेत क्रांति की सफ़लता में भी विशेष भूमिका निभाई है। मैं सभी किसानों को नमन करती हूं।

आज डिग्री और मेडल प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। यह आपका सौभाग्य है कि आपको इस प्रतिष्ठित संस्थान में अध्ययन करने का अवसर मिला है। मुझे बताया गया है कि ICAR द्वारा जारी रैंकिंग में NDRI पिछले पाँच वर्षों से लगातार देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान पर बना हुआ है। मैं इस उपलब्धि के लिए NDRI की पूरी टीम को बधाई देती हूं।

देवियो और सज्जनो,

दूध और दूध से जुड़े उत्पाद हमेशा से भारतीय खान-पान और संस्कृति का अटूट हिस्सा रहे हैं। मां के दूध के साथ गाय का दूध भी स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है। ऋग्वेद में कहा गया है: गोषु प्रियम् अमृतं रक्षमाणा अर्थात गोदुग्ध अमृत के समान है जो रोगों से रक्षा करता है। दूध को पवित्र माना जाता है इसलिए इसका उपयोग देवताओं के अभिषेक के लिए भी किया जाता है। आज भी देश में बुजुर्गों द्वारा महिलाओं को 'दूधो नहाओ पूतो फलो' का आशीर्वाद दिया जाता है। गाय और अन्य पशुधन भारतीय समाज और परम्पराओं का अभिन्न अंग रहे हैं। भारतीय परंपरा में गाय सहित पशुधन को समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। गाय के प्रति श्रीकृष्ण का प्रेम, शिवजी और नंदी की कहानियां हमारी संस्कृति में शामिल हैं। कृषि आधारित हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन आजीविका का एक प्रमुख साधन है।

देवियो और सज्जनो,

डेयरी उद्योग हमारे देश की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह गर्व की बात है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। भारत का वैश्विक दूध उत्पादन में लगभग 22 प्रतिशत हिस्सा है। डेयरी सेक्टर का देश की GDP में लगभग 5 प्रतिशत योगदान है तथा डेयरी उद्योग भारत के लगभग 8 करोड़ परिवारों को आजीविका प्रदान करता है। इसलिए ICAR-NDRI जैसे संस्थानों की देश के समावेशी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है।

वर्ष 1923 में स्थापित NDRI ने भारत में डेयरी उद्योग के विकास में विशेष योगदान दिया है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पंडित मदन मोहन मालवीय ने भी इस संस्थान के तत्कालीन बेंगलोर परिसर में जाकर इसके द्वारा विकसित पशुधन संचालन पद्धतियों की जानकारी प्राप्त की थी। इस संस्थान द्वारा किए गए अनुसंधान ने डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में उत्पादकता, कुशलता और गुणवत्ता को सुधारने में मदद की है। NDRI ने अपनी उत्कृष्टता से एक वैश्विक पहचान बनायी है। मैं NDRI के शताब्दी समारोह के लिए आप सबको बधाई देती हूं। इस संस्थान से जुड़े सभी पूर्ववर्ती और वर्तमान वैज्ञानिकों, शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों की भी मैं सराहना करती हूँ।

देवियो और सज्जनो,

भारत में गाय और भैंस की अनेक प्रजातियां पाई जाती है। कुछ नस्लें दूसरे नस्लों की तुलना में चार से पांच गुना अधिक दूध देने की क्षमता रखती हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि NDRI द्वारा अधिक दूध देने वाली भैंसों और गायों के क्लोन का उत्पादन करने की तकनीक विकसित की गई है। इससे पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी। मुझे बताया गया है कि डेयरी पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस संस्थान द्वारा विभिन्न परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। मैं ऐसी सभी योजनाओं की सफलता के लिए शुभकामनाएं देती हूं।

देवियो और सज्जनो,

भारत में डेयरी उद्योग के प्रबंधन में नारी-शक्ति अहम भूमिका निभा रही हैं। डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत से अधिक भागीदारी महिलाओं की है। यह बहुत ही खुशी की बात है कि आज डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में एक-तिहाई से अधिक लड़कियां हैं और मुझसे गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी 50 प्रतिशत लड़कियां हैं। डेयरी सेक्टर का महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने में ख़ास महत्व है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इन महिलाओं के पास निर्णय लेने और नेतृत्व प्रदान करने के लिए समान अधिकार और अवसर हों। इसके लिए इन महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण तथा कौशल विकास के लिए अधिक अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता हैं। इसके साथ-साथ डेयरी फार्मिंग में महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए आसान ऋण की व्यवस्था और market access की सुविधा होनी चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

देश की बढ़ती आबादी के कारण दूध से जुड़े उत्पादों की मांग बढ़ रही है। इसके साथ ही पशुओं के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले चारे का प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बदलाव तथा पशुओं की बीमारियां - इन सभी समस्याओं से डेयरी सेक्टर जूझ रहा है। दूध उत्पादन और डेयरी फार्मिंग को sustainable बनाना हमारे समक्ष एक चुनौती है, जिसका समाधान निकाल कर देश की जरूरतों को पूर्ण करने की जिम्मेदारी सरकार सहित सभी stakeholders की है। यह हम सबका दायित्व है कि हम पशु-कल्याण को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण अनुकूल तथा climate-smart technologies को अपना कर, डेयरी उद्योग का विकास करें। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि NDRI डेयरी फार्मों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए विभिन्न तकनीकों को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही बायोगैस उत्पादन जैसे clean energy के स्रोतों पर भी बल दे रहा है।

प्यारे विद्यार्थियों,

आपने आज के दिन के लिए अथक परिश्रम किया है, और मुझे विश्वास है कि यह पल आपकी स्मृति-पटल पर जीवनभर अंकित रहेगा। जब आप सभी अपने जीवन के नए अध्याय की ओर बढ़ रहे हैं, तब मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगी कि आप सदैव नया सीखने के लिए प्रयत्नशील रहें, तथा जन-कल्याण के लिए कार्य करें। मैं चाहती हूँ कि आपमें से कुछ विद्यार्थी डेयरी उद्योग में रोजगार प्रदाता और उद्यमी ज़रूर बनें। इस उद्योग में विकास की असीम संभावनाएं हैं और आपको इन संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए। मुझे बताया गया है कि NDRI द्वारा देश के विभिन्न भागों में डेयरी सेक्टर में entrepreneurship और start-ups को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इसका और सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ लेते हुए उद्यमी के रूप में शुरुआत करेंगे।

अंत में, मैं एक बार फिर डिग्री और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देती हूं और आपके स्वर्णिम भविष्य के लिए शुभकामनाएं देती हूं। मैं आपसे उच्च नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पित रहने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रयास करने का आग्रह करती हूं। मुझे विश्वास है कि आप राष्ट्र की प्रगति में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे।

धन्यवाद। 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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