भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का स्वच्छ भारत दिवस 2022 कार्यक्रम में सम्बोधन

नई दिल्ली : 02.10.2022

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नमस्कार!

आप सभी को गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!

आज सुबह ही महात्मा गांधी के स्मारक-स्थल राजघाट पर मैंने राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दी। गांधी जी की याद से जुड़े किसी भी स्मारक-स्थल पर जाना एक तीर्थ यात्रा जैसा होता है। उनके विचार शाश्वत हैं। सत्य और अहिंसा की तरह स्वच्छता पर भी उनका आग्रह था। उनके जन्मदिन को ‘स्वच्छ भारत दिवस’ के रूप में मनाना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

गांधी जी के किसी भी कार्य का समाज पर व्यापक असर होता था। स्वच्छता पर उनका आग्रह भी सामाजिक विकृति को दूर करने और नए भारत के निर्माण हेतु था। स्वच्छता उनकी राजनीति भी थी और अध्यात्म भी। एक स्वस्थ समाज की नींव स्वच्छता के जरिये ही डाली जा सकती है। ऐसे अनगिनत उदाहरण गांधी जी के जीवन में हैं जिनसे स्वच्छता की नयी परिभाषा बनी। इसका एक उदाहरण 1901 के कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में देखने को मिला था जब शिविर में सफाई की खराब हालत को देख कर उन्होंने झाड़ू उठाकर सारी गंदगी स्वयं ही साफ कर डाली थी। एक कोट-पैंट पहने व्यक्ति को इस तरह सफाई करते हुए देख कर लोग आश्चर्यचकित रह गए थे।

गांधी जी का मानना था कि स्वच्छता की आदत लोगों में बचपन से ही डाली जानी चाहिए। इस संदर्भ में, मैं एक प्रसंग का उल्लेख करना चाहूंगी। एक बार बापू ने कस्तूरबा गांधी से बच्चों के लिए स्कूल शुरू करने के लिए कहा। जब ‘बा’ ने पूछा कि वह बच्चों को क्या पढ़ाएंगी तो बापू ने कहा "बच्चों की शिक्षा का पहला पाठ स्वच्छता है। किसानों के बच्चों को इकट्ठा करो। उनके आंख-दांत देखो। उन्हें स्नान कराओ। सफाई की आदत डालो। यह कम शिक्षा नहीं है”। गांधी जी की सोच थी कि अगर हम बच्चों में शुरुआत से ही साफ-सफाई की आदत डालें तो वे जीवन भर स्वच्छता के प्रति जागरूक बने रहेंगे।

बहनो और भाइयो,

स्वच्छता सदियों से भारतीय संस्कृति और जीवन-शैली का अभिन्न हिस्सा रही है। इसी महीने देशवासी दीपावली और छठ का त्योहार मनाएंगे। दीपावली में लोग जहां अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, वही छठ के अवसर पर लोग जलाशयों, घाटों और रास्तों को स्वच्छ बनाते हैं।

मुझे यह बताया गया है कि सन 2014 में ‘स्‍वच्‍छ भारत मिशन-ग्रामीण’ की शुरुआत से अब तक11 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ है और लगभग 60 करोड़ लोगों ने खुले में शौच जाने की अपनी आदत को बदला है। यह खुशी की बात है कि इस मिशन के द्वारा भारत ने वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित Sustainable Development Goal–Six को 2030 की समय सीमा से 11 वर्ष पूर्व ही प्राप्त कर लिया है।

‘स्‍वच्‍छ भारत मिशन-ग्रामीण’ व्यवहार-परिवर्तन का एक आंदोलन है। कोरोना की वैश्विक महामारी के दौरान सभी लोगों ने यह महसूस किया कि घर-घर बने शौचालय, साबुन से हाथ धोने की आदत और घर में नल के द्वारा जल की आपूर्ति की सुविधा ने इस विपत्ति में एक रक्षा-कवच का कार्य किया है।

भारत सरकार वर्तमान में ‘स्‍वच्‍छ भारत मिशन-ग्रामीण’ के द्वितीय चरण को कार्यान्वित कर रही है, जिसका लक्ष्य है देश के सभी छह लाख गांवों को ODF Plus बनाना। खुले में शौच के विरुद्ध सफलता पाने के बाद अब हमें ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन जैसी अधिक जटिल और तकनीकी समस्याओं का समाधान करना है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि ‘स्‍वच्‍छ भारत मिशन-ग्रामीण’ के द्वितीय चरण के प्रारम्भ से अभी तक 1.16 लाख से अधिक गांवों ने, स्वयं को ODF Plus घोषित किया है। और लगभग तीन लाख गांवों में ठोस व तरल कचरा प्रबंधन का कार्य शुरू भी हो चुका है। इसके तहत compost गड्ढों का निर्माण कर जैविक खाद भी बनायी जा रही है। मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता होती है कि गांवों में व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर Bio-gas plants स्थापित किये जा रहे हैं। ये प्रयास पर्यावरण संतुलन को बनाये रखने में मदद करेंगे।

देवियो और सज्जनो,

भारत सरकार स्वच्छता के साथ-साथ ‘हर घर नल-से जल’के लक्ष्य पर भी कार्य कर रही है। इसके लिए 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री जी ने ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की थी। इस मिशन का उद्देश्य वर्ष 2024 तक हर घर को नियमित और गुणवत्ता-युक्त पेयजल उपलब्ध कराना है। मुझे बताया गया है कि जल जीवन मिशन के प्रारम्भ के समय देश में केवल 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति होती थी जो पिछले तीन वर्ष की अवधि में बढ़कर करीब 10.27 करोड़ तक पहुंच गई है। खुले में शौच से मुक्ति के साथ-साथ नल के पानी की सुविधा से हाल के वर्षों में जल-जनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। लेकिन हमारा लक्ष्य बहुत बड़ा है। हमें जल-प्रबंधन और स्वच्छता के क्षेत्र में विश्व के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत करना है।

आज जब हम ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मनाते हुए अमृत-काल में प्रवेश कर रहे हैं तब हमारा संकल्प होना चाहिए - स्वस्थ, स्वच्छ और आत्म-निर्भर भारत का निर्माण। एक ऐसा भारत जिसका विश्व के अग्रणी देशों में स्थान रहे। इस लक्ष्य को पाने में हमारे सामने काफी बड़ी चुनौतियां होंगी क्योंकि इतनी बड़ी जनसंख्या को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आधुनिक तकनीक और प्रचुर संसाधनों की आवश्यकता होगी। मुझे पूरा विश्वास है कि कुशल राजनैतिक नेतृत्व के तहत हमारे वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक तथा अन्य भागीदार और सबसे बढ़कर जागरूक नागरिक अपने संयुक्त प्रयासों से भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में सफल होंगे।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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