भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का महिला स्व-सहायता समूह सम्मेलन में सम्बोधन
भोपाल : 16.11.2022
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मध्य प्रदेश में आयोजित इस महिला केन्द्रित सम्मेलन में आकर, यहां की महिला विभूतियों, वीरांगना दुर्गावती, अहिल्या बाई होल्कर, वीरांगना अवन्ती बाई और रानी कमलापति जैसी महान महिलाओं का स्मरण होना स्वाभाविक है। उनकी वीरता और उत्कृष्ट शासन की गाथाएं देश के इतिहास, विशेषकर मध्य प्रदेश के इतिहास के गौरवशाली अध्याय हैं। हमारे आधुनिक लोकतन्त्र को दिशा प्रदान करने वाली महिलाओं में मध्य प्रदेश की सुपुत्री श्रीमती सुमित्रा महाजन जी का नाम बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है। भारत के और मध्य प्रदेश के विकास में, ऐसी असंख्य महिलाओं का अमूल्य योगदान रहा है। आज के इस महिला सम्मेलन के आरंभ में, मैं मध्य प्रदेश तथा समस्त भारत की ऐसी असाधारण महिलाओं को नमन करती हूं।
मध्य प्रदेश की सुप्रसिद्ध जनजातीय चित्रकार श्रीमती भूरी बाई, जनजातीय कला को समृद्ध करने वाली श्रीमती दुर्गाबाई व्याम, चिकित्सा द्वारा जन-सेवा करते हुए रतलाम की मदर टेरेसा कहलाने वाली डॉक्टर लीला जोशी जैसी महिलाएं, सभी बहनों और बेटियों के लिए आदर्श प्रस्तुत करती हैं। अपने-अपने कार्य-क्षेत्र में, असाधारण योगदान देने वाली, इन सभी महिलाओं को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। मध्य प्रदेश में ऐसी अनेक प्रतिभाशाली और सम्मानित महिलाएं समाज और देश को अपना योगदान दे रही हैं। मैंने उनमें से कुछ का ही यहां उल्लेख किया है।
हम देखते हैं कि समाज-सेवा, राजनीति, अर्थ-व्यवस्था, शिक्षा, विज्ञान व अनुसंधान, व्यवसाय, खेल-कूद और सैन्य-बलों तथा अन्य अनेक क्षेत्रों में हमारी बहनें और बेटियां प्रमुख भूमिकाएं निभा रही हैं। अनेक क्षेत्रों में, हमारी बहनें और बेटियां, आर्थिक और सामाजिक सीमाओं को पार करते हुए, अपनी नई पहचान बना रही हैं। इसलिए नारी-शक्ति का आदर करना तथा उनकी प्रगति के मार्ग को और अधिक प्रशस्त करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।
यह प्रसन्नता की बात है कि यह सम्मेलन महिलाओं की प्रगति, तथा उनकी प्रगति के आधार पर समाज की प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। अतः, आज के इस महिला सम्मेलन में उपस्थित सभी बहनों को, मैं विशेष बधाई देती हूं।
देवियो और सज्जनो,
अधिकांश महिलाएं, स्वभाव से ही, कम से कम संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना जानती हैं। वे कुशलता के साथ घरेलू काम-काज और देख-रेख की ज़िम्मेदारी निभाती रही हैं। घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर वे समाज को योगदान देती रही हैं। आधुनिक विकास के सभी क्षेत्रों में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज और देश को आगे बढ़ाती रही हैं। यह भी देखा जाता है कि समान अवसर प्राप्त होने पर बेटियां, बेटों से आगे निकल जाने में सक्षम हैं। यह सर्वविदित है कि यदि एक पुरुष शिक्षित होता है तो मात्र एक व्यक्ति शिक्षित होता है परंतु जब एक महिला शिक्षित होती है तो परिवार शिक्षित होते हैं और महिलाओं की शिक्षा से पूरा समाज शिक्षित होता है।
आत्म-निर्भर और विकसित भारत के निर्माण के लिए महिला शक्ति की अधिक से अधिक भागीदारी अनिवार्य है। हमें ऐसा वातावरण तैयार करना है,जिसमें सभी वर्ग की बहनें और बेटियां निर्भीक और स्वतंत्र महसूस करें तथा अपनी प्रतिभा का भरपूर उपयोग कर सकें।
महिलाओं के नेतृत्व में जहां-जहां कार्य किए जाते हैं, वहां सफलता के साथ संवेदनशीलता भी देखने को मिलती है। मैं चाहूंगी कि सभी महिलाएं एक दूसरे को प्रेरित करें, एक दूसरे की सहायता करें, एक दूसरे के हक में मिल-जुल कर आवाज उठाएं, और एकजुट होकर, विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें। प्रत्येक महिला की सफलता से, अन्य महिलाओं को प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए। महिला स्व-सहायता समूह, हमारी बहनों और बेटियों को एक साथ लाने तथा उन्हें विकास की विभिन्न दिशाओं में आगे बढ़ाने के अच्छे माध्यम हैं।
देवियो और सज्जनो,
यह देखा जा सकता है कि, महिलाओं की श्रेष्ठता को भारतीय समाज ने प्राचीन-काल से ही समझा था और उसके प्रति सदैव सम्मान भी व्यक्त किया था। भारतीय परंपरा में, ईश्वर की अत्यंत लोकप्रिय प्रार्थना है: "त्वमेव माता च पिता त्वमेव”। ईश्वर में भी पहले माता का रूप देखा गया है। इसी प्रकार आचार्य, विद्यार्थियों को उपदेश देते थे ‘मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव’। इस प्रकार, माता का स्थान पिता और आचार्य से पहले माना गया है।
देवियो और सज्जनो,
आर्थिक आत्म-निर्भरता महिलाओं को सशक्त बनाने का एक प्रभावी माध्यम है। आर्थिक और सामाजिक आत्म-निर्भरता एक-दूसरे के पूरक हैं। महिलाओं की आत्म-निर्भरता में स्व-सहायता समूहों का प्रभावी योगदान संभव है।
मुझे आज मध्य प्रदेश में स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की सफलता के अनुभवों के बारे में जानकर प्रसन्नता हुई है। मुझे बताया गया है कि मध्य प्रदेश में चार लाख से अधिक महिला स्व-सहायता समूह सक्रिय हैं, जिनसे लाखों परिवार जुड़े हुए हैं।
स्व-सहायता समूहों के जरिए महिलाओं की जितनी अधिक भागीदारी होगी उतना ही अर्थ-व्यवस्था, समाज और देश को लाभ पहुंचेगा। महिला स्व-सहायता समूहों को जन-आंदोलन का रूप देने का विचार सराहनीय है। इस विचार को कार्यरूप दिया जाना और भी अधिक प्रशंसनीय है।
स्थानीय प्रशासन तथा पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। मुझे बताया गया है कि मध्य प्रदेश में लगभग सत्रह हजार से अधिक बहनें पंचायतों के लिए चुनी गई हैं, तथा कुशलता-पूर्वक स्थानीय नेतृत्व प्रदान कर रही हैं।
देवियो और सज्जनो,
यह एक सुखद तथ्य है कि आज देश के अधिकतर स्व-सहायता समूह महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं। लाखों महिलाएं अपने बनाए उत्पादों को देश-विदेश में पहुंचा रही हैं। जनजातीय समाज की महिलाओं के लिए Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India यानी ट्राईफेड द्वारा ऐसे उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा रहा है।
यह प्रसन्नता की बात है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की साक्षरता बढ़ रही है। हमारी बहनें और बेटियां अपना रोजगार करने और आर्थिक आत्म-निर्भरता प्राप्त करने की ओर आगे बढ़ रही हैं। इससे परिवारों के जीवन-स्तर में सुधार हो रहा है।
मैं मानती हूं कि संवेदनशील पुरुष और जागरूक महिलाएं मिल-जुल कर, भारत की तस्वीर को बेहतर बनाने में कार्यरत हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में, अनेक क्षेत्रों में, महिलाओं के नेतृत्व में विकास की नई गाथाएं लिखी जाएंगी। ऐसे स्वर्णिम भविष्य के लिए मैं आप सभी को, विशेषकर अपनी बहनों और बेटियों को शुभकामनाएं देती हूं।
महिलाओं के विकास में ही देश का विकास निहित है। मैं आशा करती हूं कि महिलाओं के योगदान से, निकट भविष्य में ही, भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरेगा। इसी आशा और विश्वास के साथ, मैं अपनी वाणी को विराम देती हूं।
जय हिन्द!