भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का दिल्ली विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्बोधन (HINDI)

नई दिल्ली : 25.02.2023

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आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। पुरस्कार और पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी विशेष बधाई के पात्र हैं। यह दीक्षांत समारोह, सभी अध्यापकों और परिवारजन के लिए भी खुशी का अवसर है।

यह दीक्षांत समारोह दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के दौरान आयोजित किया जा रहा है। इस समय सभी देशवासी ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं। और हमारा देश अमृत-काल में प्रवेश कर चुका है।

अमर क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह और उनके सहयोगी बटुकेश्वर दत्त को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के एक भवन के तहखाने में रखा गया था। 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में दिल्ली विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।1942के‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान, दिल्ली विश्वविद्यालय के अनेक विद्यार्थियों ने विद्रोह किया और जेल गए। दिल्ली विश्वविद्यालय के इस क्षेत्र को स्वाधीनता सेनानियों का आशीर्वाद प्राप्त है। भारत माता के उन सपूतों से प्रेरणा लेकर आप सबको नए भारत का निर्माण करना है।

देवियो और सज्जनो,

हमारा देश नए और गहरे विचारों को अपनाने वाला देश रहा है। हमारे यहां वेद और उपनिषद, भगवान महावीर और बुद्ध के विचार आज भी जीवंत है। साथ ही Silicon-valley से Sydney तक, पूरे विश्व में आधुनिक कार्य-क्षेत्रों में भारत के लोगों ने सम्मानित स्थान बनाया है। भारतवासियों की प्रतिभा विश्व-स्तर पर सराही जाती है।


हम सभी भाषाओं और संस्कृतियों का आदर करें, स्वागत करें, लेकिन अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहें। जड़ों से ही संजीवनी मिलती है, सृजनशीलता यानि creativity मिलती है। महात्मा गांधी ने इसी तथ्य को रेखांकित करते हुए कहा था: "I do not want my house to be walled in on all sides and my windows to be stuffed. I want the cultures of all lands to be blown about my house as freely as possible. But I refuse to be blown off my feet by any”. भारतीय भाव भूमि पर अपने पैर जमाकर पूरे विश्व में उपलब्ध उत्कृष्ट ज्ञान-विज्ञान को अपनाना गांधीजी का सुझाव था। हमारी युवा पीढ़ी को राष्ट्रपिता के इस सुझाव को महत्व देना चाहिए।

देवियो और सज्जनो,

मैं ओडिशा के अपने छोटे से गांव से शहर जाकर पढ़ने वाली अपने गांव की पहली लड़की थी। आप सब के सहपाठियों में भी ऐसे कई विद्यार्थी होंगे जिनके परिवार या गांव से, उनसे पहले कोई विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाया होगा। ऐसे विद्यार्थी बहुत प्रतिभावान और संघर्षशील होते हैं। वे बड़े उत्साह के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए यहां आते हैं। कभी-कभी ऐसी स्थितियां उत्पन्न की जाती हैं, जिनके कारण ऐसे विद्यार्थियों में हीन-भावना या inferiority complex घर कर जाता है। किसी भी संवेदनशील समाज में ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसे first-generation university students को सम्मान और प्रोत्साहन देना सभी अध्यापकों और छात्रों का दायित्व है।

अपेक्षाकृत कम सुविधा-सम्पन्न परिवारों से आने वाले विद्यार्थियों के प्रति संवेदनशील होने के साथ-साथ हम सबको अपने आप से कुछ बुनियादी सवाल करने चाहिए:

·क्या हमारे colleges में लड़कियों के लिए स्वच्छ शौचालय उपलब्ध हैं?

·क्या हमारी laboratories विश्व-स्तर की हैं?

·Global-talent-hub के रूप में विख्यात इस विश्व-विद्यालय की श्रेष्ठ परम्पराओं को आगे बढ़ाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

·क्या हम विभिन्न क्षेत्रों में best practices के लिए benchmark स्थापित कर रहे हैं?

·क्या हम गुणवत्ता के सभी आयामों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं?

·क्या हमारा अध्ययन और शोध-कार्य, समाज, देश और विश्व की जरूरतों से जुड़ा हुआ है?

·यह ख़ुशी की बात है कि आज यहां मुझसे पदक प्राप्त करने वाले छह विद्यार्थियों में तीन दिव्यांग विद्यार्थी है। यह उनके अदम्य उत्साह और परिश्रम का परिणाम है। मैं उन्हें विशेष बधाई देती हूं। लेकिन क्या हम सभी campuses में दिव्यांग-जनों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति सचेत हैं?

इन सवालों के जवाब में, विश्वविद्यालय का दिशा निर्धारण निहित है।

देवियो और सज्जनो,

इस विश्वविद्यालय के लिए यह गौरव की बात है कि Academic session 2022-23 के लिए undergraduate level पर प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों में 52 percent संख्या हमारी बेटियों की है। मुझे यह देख कर भी प्रसन्नता हुई है कि आज उपाधि और पुरस्कार प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी girl students की संख्या लड़कों से अधिक है। इस बदलाव में हमें एक नए, विकसित और समावेशी भारत की तस्वीर दिखाई देती है।

प्यारे विद्यार्थियों,

विकास और सभ्यता की उपभोक्तावादी अवधारणा के कारण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन तथा lifestyle diseases की चुनौतियां और अधिक विकराल रूप ले रही हैं। पिछली पीढ़ियों ने अच्छे कार्य भी किए, और उनसे कुछ गलतियां भी हुई हैं। मैं चाहती हूं कि आज की युवा पीढ़ी अच्छाइयों को आगे बढ़ाए और गलतियों को दूर करे।

Ladies and Gentlemen,

It can be said that Delhi University reflects India in all its richness and diversity. It can also be said that there is a bit of Delhi University in every area of excellence in India and abroad. The list of illustrious alumni of the University is really long and formidable.

However no institution can rest on its laurels. In today’s world of rapid changes, an institution has to continuously reinvent itself. The Delhi University community should feel duty-bound to lead other Universities in the country on parameters of excellence, and thereby, earn a place among globally comparable institutions of higher learning.

प्यारे विद्यार्थियो,

अपनी शिक्षा और रुझान के अनुसार आप सब अपने करियर का चुनाव करने जा रहे हैं। लेकिन यदि आपका सपना केवल अपने करियर तक सीमित रहेगा, तो आप सब अपने साथ और समाज के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। आपकी सोच का दायरा और आपकी ज़िम्मेदारी कहीं अधिक व्यापक होनी चाहिए। आप सबसे मैं अनुरोध करती हूं कि नए भारत और नए विश्व के निर्माण के लिए आप नए सपने देखिए, और बड़े सपने देखिए।


बेहतर इंसान बनना शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है। जीवन में ‘बड़ा बनना’ अच्छी बात है। लेकिन‘अच्छा होना’ इससे भी बड़ी बात है। इसी तरह, विज्ञान के माध्यम से मंगल पर जीवन की खोज करना अच्छी बात है। लेकिन अच्छी सोच, यानि विवेक के साथ जीवन में मंगल की खोज करना और भी बड़ी बात है।

अंत में, एक बार फिर, मैं आप सब को बधाई और आपके स्वर्णिम भविष्य के लिए हृदय से आशीर्वाद देती हूं।

धन्यवाद,  
जय हिन्द!  
जय भारत!

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