भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का विंध्यगिरि के जलावतरण समारोह में संबोधन
कोलकाता : 17.08.2023
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मैं, विंध्यगिरी के जलावतरण के अवसर पर यहां आकर बहुत प्रसन्न हूं। यह आयोजन भारत की सामुद्रिक क्षमताओं के संवर्धन की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। विंध्यगिरि स्वदेशी जलयान निर्माण के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भी बढ़ाया गया एक कदम है।
मैं, भारतीय नौसेना और इस जलयान के डिजाइन और निर्माण में शामिल सब कार्मिकों को बधाई देती हूं। मुझे बताया गया है कि 'गार्डन रीच शिप-बिल्डरों और इंजीनियरों' ने विंध्यगिरि जैसे फ्रिगेट सहित सौ से अधिक युद्धपोतों का निर्माण किया है और देश को सौंपा है। आपके कौशल और अथक प्रयासों से हमने यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, इसके लिए मैं जीआरएसई की पूरी टीम की सराहना करती हूं।
प्रोजेक्ट 17ए का एक हिस्सा विंध्यगिरि आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह प्रोजेक्ट अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए स्वदेशी नवाचार का प्रमाण है। मुझे बताया गया है कि इस श्रृंखला के मल्टी-मिशन फ्रिगेट हमारे सामुद्रिक हितों के लिए सभी प्रकार के खतरों से निपटने में सक्षम हैं।
देवियो और सज्जनो,
भारत के राष्ट्रपति के रूप में पश्चिम बंगाल की यह मेरी दूसरी यात्रा है। जीवंत शहर कोलकाता, अपने समृद्ध इतिहास और संस्कृति के कारण हमारे दिलों में एक विशेष स्थान रखता है। इसकी बौद्धिक जीवंतता, कलात्मक उत्साह और सर्वव्यापी स्वभाव से भारत की श्रेष्ठता का पता चलता है।
कोलकाता की रणनीतिक स्थिति, इसे हमारी नौसैनिक तैयारियों, हमारे सामुद्रिक हितों की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। जलयान का नाम 'विंध्य' पर्वतमाला के नाम पर सही ही रखा गया है, यह पर्वतमाला दृढ़ता का प्रतीक है। मुझे विश्वास है कि जब यह युद्धपोत कार्य करना आरंभ करेगा, तो यह विंध्य की तरह दृढ़ता से कार्य करेगा!
देवियो और सज्जनो,
पिछले वर्ष, मुझे विशाखापत्तनम में नौसेना दिवस समारोह में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ। मैंने वहां देश के बहादुर नौसेना कर्मियों का ऑपरेशनल प्रदर्शन देखा था। इस वर्ष मार्च में, मैंने कोच्चि में आईएनएस विक्रांत का दौरा किया। वहां मुझे पोत पर मौजूद अधिकारियों और नाविकों से बातचीत करने का मौका मिला। भारतीय नौसेना में स्वदेश निर्मित आधुनिक विमानवाहक पोत, आईएनएस विक्रांत को शामिल करना देश के लिए स्मरणीय गर्व का क्षण रहेगा।
भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम निकट भविष्य में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं। बढ़ती अर्थव्यवस्था अर्थात अधिक मात्रा में व्यापार होना और हमारे व्यापारिक-सामान का एक बड़ा भाग समुद्र के माध्यम से आता-जाता है, जिससे पता चलता है कि हमारे विकास और कल्याण में महासागरों का कितना महत्व है।
हिंद महासागर क्षेत्र और वृहत्तर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा से जुड़े कई पहलू हैं जैसे समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, नशे के पदार्थों की तस्करी, अवैध मानव आवागमन, प्राकृतिक आपदाएँ और ऐसे ही अनेक अन्य मुद्दे। ऐसी स्थिति में, भारतीय नौसेना को भारत के सामुद्रिक हितों की रक्षा और संरक्षण करने तथा बढ़ावा देने का अधिकार है। सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए नौसेना को हमेशा सक्रिय रहना है।
आज, इस युद्धपोत के जलावतरण समारोह में शामिल होने के अवसर पर, मैं, एक बार फिर भारतीय नौसेना, डिजाइनरों और इसके निर्माण और लॉन्च में शामिल सब कार्मिकों को बधाई देती हूं। मैं, भारतीय नौसेना द्वारा किए गए परिश्रम के लिए भी शुभकामनाएं देती हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!
जय भारत!