भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 63वें एनडीसी पाठ्यक्रम के सदस्यों द्वारा मुलाक़ात के अवसर पर संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 04.10.2023

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sp04102023

आज आप सब से मिलकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। मुझे बताया गया है आप सब के इस विविध समूह में विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न देशों के भी अधिकारी शामिल हैं। मुझे विश्वास है कि इस दौरान सशस्त्र बलों, सिविल सेवाओं, कॉर्पोरेट क्षेत्र के अधिकारियों और विदेशी मित्र देशों के अधिकारियों के बीच विचारों का परस्पर आदान-प्रदान हुआ है। मैं, यहां उपस्थित 27 विदेशी मित्र देशों के 37 विदेशी अधिकारियों का हार्दिक स्वागत करती हूं।

यह राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज पाठ्यक्रम अपनी तरह का अनूठा पाठ्यक्रम है जिसमें शासन, प्रौद्योगिकी, इतिहास और अर्थशास्त्र के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति के क्षेत्र शामिल हैं। मुझे बताया गया है कि आपका सुविचारित पाठ्यक्रम लगभग 6 मॉड्यूलों में तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य रणनीतिक कौशल को गहन करना और भू-राजनीतिक और रणनीतिक मुद्दों की आपकी समझ को गहरा करना है जिससे आप मुश्किल स्थितियाँ में अच्छा निर्णय ले सकें। मुझे विश्वास है कि एनडीसी में अनुसंधान, कक्षा चर्चा, प्रतिष्ठित वक्ताओं की अंतर्दृष्टि तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के माध्यम से जमीनी स्तर की जानकारी देने सहित, सीखने के समग्र दृष्टिकोण ने चुनौतियों का सामना करने में पाठ्यक्रम के सदस्यों को सक्षम बनाया है।

प्यारे अधिकारियों,

मैं, यहां यह उल्लेख चाहूंगी कि शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए एक बहु-विषयक दृष्टिकोण महान रणनीतिकार, चाणक्य द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास तैयार किया गया था। राजनीति, अर्थशास्त्र, रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके ग्रंथ 'अर्थशास्त्र' में इसका विस्तार से वर्णन किया गया है। प्रौद्योगिकी में बदलाव और संदर्भ बदल जाने पर भी कुछ प्राचीन विचार आज भी प्रासंगिक हैं।

किसी राष्ट्र की वास्तविक प्रगति काफी हद तक इस बात पर निर्भर होती है कि वह अपने संसाधनों, विशेषकर अपने मानव संसाधन का कितने प्रभावी ढंग से उपयोग करता है। प्रगति और विकास के लिए सुरक्षा और रक्षा आवश्यक है। मुझे आशा है कि राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति के बारे में दिए गए प्रशिक्षण से लाभ उठाकर आप सब राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों में प्राप्त ज्ञान के आधार पर सुविचारित नीतिगत निर्णय ले पाएंगे।

प्यारे अधिकारियों,

वैश्विक भू-राजनीतिक परिवेश बदलता रहता है और अनेक चुनौतियां आती रहती हैं। तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिवेश में हमें किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा। बदलते भू-राजनीतिक परिवेश से सुरक्षा परिदृश्य बदल गया है तथा राष्ट्रीय एवं वैश्विक मुद्दों की गहरी समझ रखना आवश्यक है। हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करना है बल्कि साइबर संघर्ष, प्रौद्योगिकी समर्थित आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी नई सुरक्षा चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना है। व्यापक शोध पर आधारित अद्यतन ज्ञान और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना जरूरी है। आपको वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नवीन अनुप्रयोगों को तलाशना है। वास्तव में, सरकारी एजेंसियों और कॉर्पोरेट क्षेत्र को इन चुनौतियों का पता लगाने और उनका समाधान करने के लिए मिलकर चलने की आवश्यकता है।

विश्व में जैसी घटनाएं हो रही हैं, तो हम बार-बार यह महसूस करते हैं की किसी भी तरह की स्थिति और संकट से निपटने के लिए हमें आत्मनिर्भर होना होगा, विश्व स्तर पर सक्षम और भविष्य के लिए तैयार रहना होगा। अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था में, सिविल सेवा अधिकारियों और रक्षा सेवा अधिकारियों को हमारे संवैधानिक ढांचे की बारीकियों को समझना बहुत आवश्यक है। यही जागरूकता विभिन्न सेवाओं के पदाधिकारियों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने की दिशा में पहला कदम है। मुझे विश्वास है कि हमारे अधिकारी हमारे देश की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करेंगे।

प्यारे अधिकारियों,

आज, हमारे सुरक्षा सरोकार का दायरा क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण से आगे तक बढ़ गया है और इसमें अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, ऊर्जा सुरक्षा से निपटने और साइबर सुरक्षा के अन्य आयाम भी जुड़ गए हैं। सशस्त्र बलों का कार्य भी पारंपरिक सैन्य मामलों से आगे बढ़ चुका है। स्पष्ट है कि जटिल रक्षा और सुरक्षा परिवेश में भविष्य के संघर्षों के लिए अधिक एकीकृत बहु-राज्य और बहु-एजेंसी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होगी। इसलिए, एनडीसी पाठ्यक्रम भविष्य के जटिल सुरक्षा माहौल से व्यापक रूप से निपटने के लिए सैन्य और सिविल सेवा अधिकारियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मुझे विश्वास है कि विभिन्न देशों के प्रतिभागियों के बीच गहन बातचीत से अनेक अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सभी प्रतिभागियों का दृष्टिकोण समृद्ध और व्यापक हुआ होगा। मैं, मित्र देशों के अधिकारियों को, एक संदेश देना चाहती हूं। भारत ने हमेशा 'वसुधैव कुटुंबकम' की धारणा का पालन किया है, जिसका अर्थ है कि भारत सारी दुनिया को अपना मित्र और परिवार मानता है। हमारा सभी देशों के प्रति मैत्रीपूर्ण भाव है। मुझे विश्वास है कि वर्तमान पाठ्यक्रम के प्रतिभागी वर्तमान मित्रता को भविष्य में भी बनाए रखेंगे।

अंत में, मैं एक बार फिर सभी पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को बधाई देती हूं। मैं, भविष्य में आपकी सफलता की कामना करती हूं और आशा करता हूं कि आप सब अपने-अपने देश का गौरव बढ़ाएँगे।

धन्यवाद! 
जय हिन्द! 
जय भारत!

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