भारत की राष्ट्रपति, माननीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का मिजोरम विधानसभा में सम्बोधन
आइजोल : 04.11.2022
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मुझे आज यहां "मिज़ो भूमि" में आपके बीच आकर खुशी हो रही है। मिज़ोरम राज्य और इसकी अद्भुत जनताको प्रकृति माँ का आशीर्वाद प्राप्त है । राष्ट्रपति के रूप में पहली बार मिज़ोरम का दौरा करना मेरे लिए खुशी की बात है, और मैं, मेरे गर्म जोशी से स्वागत करने के आपका धन्यवाद करती हूँ।
जैसा कि हम कहते हैं, भारत विविधता का देश है। उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्य इस विविधता और समृद्ध करते हैं। आप उन लोगों में से हैं जिन्हें उगते सूरज के सबसे पहले दर्शन होते हैं और इस तरह से आपबाकी भारतीयों से आगे हैं।
मित्रों,
मिजोरम विधान सभा ने इस वर्ष मई में अपनी स्वर्ण जयंती मनाई। यह लोकतंत्र को मजबूत करने और विकास के लिए लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने की अवधि रही है। इस सदन के भूतपूर्व और वर्तमान सदस्यों ने जनता की आवाज को अभिव्यक्ति देने का भरसक प्रयास किया है। वे नागरिकों के सच्चे प्रतिनिधि रहे हैं, और उन्होंने कानून निर्माता के रूप में अपने कर्तव्य को पूरा करते हुए हमेशा राज्य के व्यापक हितों को ध्यान में रखा है।
वर्षों से, इस सदन ने लोगों की समस्या का समाधान खोजने में एक प्रभावी माध्यम के रूप में बहस, स्वस्थ चर्चा और आपसी सम्मान का एक मॉडल विकसित किया है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि मिजोरम विधानसभा ने NeVA (नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन) को अपनाकर डिजिटल होने में अग्रणी भूमिका निभाई है। आप सभी को मेरी बधाई! मिजोरम में, महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में सशक्त हैं- चाहे वह क्षेत्र खेल, संस्कृति या व्यवसाय का क्षेत्र हो। मैं चाहती हूँ कि सार्वजनिक जीवन में विशेष रूप से राज्य में आप जैसे विधायकों के बीच उनका प्रतिनिधित्व बढ़े।
इस वर्ष पूरा देश औपनिवेशिक शासन से आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसरपर 'आजादी का अमृत महोत्सव' भी मना रहा है। हम आजादी की शताब्दी-'अमृत काल' की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे ऐतिहासिक अवसरों का एक उपयोगी कार्य होता है कि वे हमें अतीत के साथ हमारे जीवंत संबंधों की याद दिलाते हैं। यह वह समय है जब हमारे लिए बलिदान देने वालों के सपने एक नई जरूरत के साथ हमारे सामने उपस्थित होते हैं। हमें उनके सपनों पर आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है और जनोन्मुखी विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए उनके संघर्षों से प्रेरणा लेने की भी जरूरत है।
मित्रों,
मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि पिछले कई दशकों से और हाल के वर्षों में, यह राज्य आत्मविश्वास से इस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल करने के बाद मिजोरम ने सतत विकास किया है। पहाड़ी क्षेत्र की topography विकास के लिए विशेष चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है; फिर भी राज्य ने सभी मानकों, विशेषकर मानव विकास के संबंध में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है । शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को सुशासन के दो स्तंभों के रूप में मानतेहुए, नीति निर्माताओं और प्रशासकों ने दोनों क्षेत्रों के लिए सुविधाओं में सुधार पर जोर दिया है। मिजोरम के केंद्रीय विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र में शिक्षा में उत्कृष्टता के स्तर को ऊंचा उठाया है। Unique 'आयुष्मान भारत' पहल का उद्देश्य एक समावेशी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना भी है और राज्य को इससे बहुत लाभ हुआ है।
ऐसे क्षेत्र की क्षमता को साकार करने में कनेक्टिविटी सबसे बड़ा कारक है। ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों और पुलों के विकास से न केवल शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलती है, बल्कि इससे आर्थिक अवसर भी मिलते हैं। इसलिए इस पर विशेष जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बन रही नई सड़कें लोगों को करीब लाएंगी। बिजली से लेकर कृषि और पानी की आपूर्ति से लेकर खेलकूद तक के क्षेत्रों में कई पहल चल रही हैं। इन सब का अंतिम उद्देश्य एक ओर जीवन में सुधार करना है, तो दूसरी ओर लोगों को अधिकतम विकास प्राप्त करने में मदद करना है।
यह नई तकनीक का युग है जिसका उपयोग लोगों की अधिक प्रभावी ढंग से सेवा करने के लिए किया गया है। डिजिटल इंडिया पहल के तहत दूरियां कम हो रही हैं, भौतिक चुनौतियां से पार पाया जा रहा है और सरकारी सेवाएं नागरिकों तक अधिक कुशलता से पहुंचाई जा रही हैं। मुझे विश्वास है कि मिजोरम को केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न पहलों से बहुत लाभ होगा और वह अपनी वास्तविक क्षमता को प्राप्त करेगा।
आधुनिक तरीकों को अपनाते हुए हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। एक आदिवासी बहुल राज्य के रूप में, मिजोरम अपने अतीत की खोज कर सकता है और पूर्व-आधुनिक दिनों की उन सर्वोत्तम शासन पद्धतियों का पता लगा सकता है जिन्हें समकालीन प्रणालियों में फिर से लागू कर सकता है।
प्रिय मित्रों,
मिजोरम और उत्तर-पूर्व के शेष भाग का विकास भी राष्ट्र को अधिक से अधिक ऊंचाइयों को छूने के लिए महत्वपूर्ण है। विश्व पटल पर भारत का मान बढ़ रहा है। पड़ोसियों के साथ हमारे संबंध, विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ हमारे संबंध हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमारी 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विस्तारित पड़ोस के साथ हमारे संबंधों में सुधार के लिए उत्तर-पूर्व पर जोर देती है। एक बार एक आर्थिक पहल के रूप में आरंभ की गई इस नीति ने रणनीतिक और सांस्कृतिक आयाम भी प्राप्त कर लिए हैं। मिजोरम इस क्षेत्र में पड़ोसियों के साथ जुड़ने के देश के प्रयास से लाभान्वित होता है और इसमें योगदान भी देता है।
विश्व मंच पर हमारे बढ़ते प्रभाव के साथ हमारी जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं। उदाहरण के लिए, जलवायु से जुड़ी कार्रवाई में, हमने एक अग्रणी भूमिका निभाई है, जो दुनिया को पर्यावरणीय गिरावट के प्रभावों का मुकाबला करने का सबसे अच्छा तरीका दिखा रही है। ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने की हमारी कई पहलों की दुनिया भर में प्रशंसा हुई है। इस बीच, हमें - नागरिकों, नीति निर्माताओं, विधिनिर्माताओं या प्रशासकों के रूप में – इस धरा को सुंदर बनाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। मिजोरम में सभी भारतीय राज्यों में सबसे अधिक वन क्षेत्र है, जो असाधारण और समृद्ध जैव विविधता के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है। हिमालय, इसकी fragile ecology और इसकी वनस्पति और जीव जन्तु हमारी अमूल्य विरासत हैं। हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए इनका संरक्षण करना चाहिए।
प्रिय मित्रों,
मैं एक बार फिर आपको मिजोरम विधान सभा की स्वर्ण जयंती की बधाई देती हूं। आपको और राज्य के सभी लोगों को मेरी शुभकामनाएं।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!