राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय कुलाध्यक्ष सम्मेलन आज संपन्न हुआ

राष्ट्रपति भवन : 11.07.2023

राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय कुलाध्यक्ष सम्मेलन आज 11 जुलाई, 2023 को संपन्न हुआ।

दूसरे दिन, सम्मेलन में -सतत विकास के लिए शिक्षा: एक बेहतर दुनिया का निर्माण विषय पर विचार-विमर्श किया गया। पांच अलग-अलग समूहों ने एनईपी-2020 को लागू करने में योगदान जैसे उप-विषयों पर विचार-मंथन किया; अंतर्राष्ट्रीयकरण के प्रयास और जी-20; अनुसंधान योगदान और मान्यताएँ; विविधता, समानता, समावेशिता और कल्याण; अमृत ​​काल की योजनाएँ एवं कार्य की मदें। विचार-विमर्श का परिणाम राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने समापन भाषण में कहा कि इस सम्मेलन का विषय और उप-विषय हमारे देश और पूरे विश्व समुदाय के लिए अत्यंतिक प्रासंगिक थे। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में प्रस्तुत विचार सारगर्भित हैं तथा उन्हें कार्यरूप देने के दृष्टिकोण से प्रेरित हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि नीति की सार्थकता उसे व्यवहार में लाने में ही सिद्ध होती है। नतीजे और परिणाम से यह सिद्ध होता है कि नीति को प्रभावी ढंग से कार्यरूप दिया गया है। उदाहरण के लिए, 'डिजिटल इंडिया' पहल के जरिए भारतीय समाज को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस पहल के परिणाम बहुत प्रभावशाली रहे हैं। प्रभावी क्रियान्वयन तथा जनता की भागीदारी से यह क्रान्तिकारी परिवर्तन बहुत कम समय में ही संभव कर दिखाया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी इसी तरह के परिवर्तनकारी और समावेशी परिणाम प्राप्त किए जाएंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि नॉलेज सुपरपावर के रूप में भारत को प्रतिष्ठित करने की दृष्टि से 'अंतर्राष्ट्रीयकरण प्रयास और जी 20' विषय पर की गई चर्चा बहुत ही प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि भारत 'एक धरती, एक कुटुंब, एक भविष्य' के मंत्र के साथ जी 20 देशों के साथ मिलकर वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक समाधान तलाशने की कोशिश कर रहा है।

उप-विषय 'अनुसंधान योगदान और मान्यता' के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि नवाचार और अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास किसी राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रमुख कारकों में से हैं। विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों और प्रौद्योगिकी संस्थानों ने नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया है। वे एक ऐसा ईकोसिस्टम प्रदान करते हैं जो अनुसंधान और विकास को सहयोग प्रदान करता है और जिसे औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार का पावरहाउस बनने की क्षमता है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भारत में उच्च शिक्षा संस्थान मौलिक अनुसंधान की परंपरा को संरक्षित करते हुए स्टार्ट-अप, प्रायोगिक अनुसंधान और व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुख अपने संस्थानों में ऐसे नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में आगे कार्य करेंगे जिसका उपयोग औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जा सके।

राष्ट्रपति ने विविधता, समानता, समावेशिता और कल्याण पर एक विशेष सत्र की सराहना की और कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान न्याय, समानता, बधुत्व, व्यक्तिगत गरिमा और महिलाओं के सम्मान के हमारे संवैधानिक आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए सबसे प्रभावी प्लेटफार्मों में से एक हैं।

राष्ट्रपति ने बताया कि विकसित देश अपने उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए भी जाने जाते हैं। पूरे विश्व के छात्र उन देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में ऐसा रोडमैप दिया गया है, जिस पर चलकर हमारे उच्च शिक्षण संस्थान भी वैश्विक शिक्षा केंद्र बन सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे उच्च शिक्षण संस्थान विश्व स्तरीय ज्ञान के सृजन के केंद्र बनेंगे।

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