भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनर्स ने राष्ट्रपति से मुलाकात की

राष्ट्रपति भवन : 21.12.2022

भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनर्स ने आज 21 दिसंबर, 2022 को राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की।

अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी पर वन, सबके जीवन का सहारा हैं। वन, वन्य जीव को आवास प्रदान करने और आजीविका का स्रोत होने से लेकर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और बड़े कार्बन सिंक के रूप में कार्य करने की अलग-अलग भूमिका निभाते हैं। इनमें दुनिया की अनेक लुप्त प्राय प्रजातियां रहती हैं। लघु वन उत्पाद हमारे देश में 27 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका उपार्जन में सहयोग करते हैं। वनों का उच्च औषधीय महत्व भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत वन में रहने वाले समुदायों के अधिकारों पर विशेष ध्यान दे रहा है। जनजातीय समुदायों सहित वनवासियों के वनों के साथ सहजीवी संबंध को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है और इसे हमारे विकास विकल्पों में शामिल किया गया है। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे इन समुदायों को, जैव-विविधता की सुरक्षा और संरक्षण के प्रति उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करें।

राष्ट्रपति ने कहा कि इन दिनों हम भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जंगल में आग लगने की कई घटनाओं के बारे में सुनते हैं। हमारे सामने न केवल वनों के संरक्षण की बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की भी बड़ी चुनौती है। आज हमारे पास शहरी वानिकी, वन जोखिम शमन, डेटा संचालित वन प्रबंधन और क्लाइमेट-स्मार्ट वन आर्थिकीकी नई तकनीकें और अवधारणाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने भारतीय वन सेवा के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे भारत के वन संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए नवाचार के नए तरीके खोजें। उन्होंने कहा कि उन्हें हमारे वनों पर नकारात्मक आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव डालने वाली अवैध गतिविधियों से वनों को बचाने में प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि वन, देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं। हमें अपने वनों को स्वच्छ और स्वस्थ रखना चाहिए। विकास जरूरी है किन्तु स्थिरता भी उतनी ही जरूरी है। प्रकृति ने हमें भरपूर उपहारों से नवाजा है और यह हम सबका कर्तव्य है कि हम पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार बनें। हमें आने वाली पीढ़ियों को ऐसा सुंदर देश देना है जहां संरक्षित प्राकृतिक संसाधन हों और संपोषणीय इकोसिस्टम हो।

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