भारत की राष्ट्रपति ओडिशा में; पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर में की पूजा-अर्चना

राष्ट्रपति भवन : 10.11.2022

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज सुबह (10 नवंबर, 2022) पुरी पहुंचीं और श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा की। एक भक्त की तरह, राष्ट्रपति ने मंदिर तक पहुंचने और देवता की पूजा करने के लिए लगभग दो किलोमीटर पैदल चलीं।

बाद में, राष्ट्रपति भुवनेश्वर में पहुंची जहां उन्होंने राजभवन में ओडिशा सरकार द्वारा उनके सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने ओडिशा के शानदार अतीत को याद किया और उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए अपनी वास्तविक क्षमता का एहसास करने के लिए ओडिशा के लोगों में गहन विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा, इस मिट्टी की बेटी होने के नाते मैं एक विकसित, शांतिपूर्ण और समृद्ध ओडिशा का सपना देखती हूं।' उन्होंने कामना की कि भारत को और समृद्ध बनाने का अभियान ओडिशा से शुरू हो। भारत की राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद उनके गृह राज्य - ओडिशा की यह उनकी पहली यात्रा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा खनिज, वन और जल संसाधनों से समृद्ध राज्य है। यह नदियों से भरी और उपजाऊ खेतों की भूमि है। यह कड़ी मेहनत करने वाले, नैतिक और कुशल मानव संसाधनों की भूमि भी है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग कर ओडिशा भारत का विकसित राज्य बन सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का समग्र विकास उसके सभी राज्यों के विकास में निहित है।

उत्कलमणि गोपबंधु दास का हवाला देते हुए कि जहां कहीं भी मैं भारत में रहूं, मुझे अपने घर- सा लगेगा ', राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा करने में बहुत प्रसन्नता होती है। उन्होंने कहा कि राज्यों के लोगों से मिले स्नेह, प्यार और सम्मान ने उन्हें प्रभावित किया है। फिर भी अपनी मातृभूमि और मिट्टी की सुगंध निराली है। इस क्षेत्र का आकर्षण और सुंदरता अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि वह राज्य के लोगों से मिले प्यार और सम्मान से अभिभूत हैं। उन्होंने इस तरह के भव्य आयोजन के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और राज्य सरकार को धन्यवाद दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि ओडिशा राज्य का भारत के भूगोल और इतिहास में एक विशेष स्थान है। इतिहासकारों ने ओडिशा राज्य को उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक सेतु के रूप में वर्णित किया है। ओडिशा के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति ने भारत की सांस्कृतिक विविधता एकता और व्यापकता को बढ़ाया है। जैसा कि हम जानते हैं अहिंसा भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है । हम सभी जानते हैं अहिंसा की पहली आवाज ओडिशा की मिट्टी से आई थी। चंडासोक का धर्मासोक में रूपांतरण भुवनेश्वर के पास दया नदी के किनारे पर हुआ था।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतवर्ष को दुनिया में अपनी सांस्कृतिक समृद्धता के लिए जाना जाता है। भारत विविध नृत्य संगीत और लोक-कलाओं का घर है। भारत के इस कला क्षेत्र में ओडिशा का योगदान अतुलनीय है। ओडिसी नृत्य भारत के आठ शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक है और ओडिया भारत की छह शास्त्रीय भाषाओं में से एक है। । उन्होंने कहा कि साहित्‍य के साथ-साथ संगीत, कला, क्रीडा, समाजसेवा और आईटी आदि क्षेत्र में उडिया युवकों का योगदान सराहनीय है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में कई तरह के लोकनृत्य हैं जिनमें छऊ, संबलपुरी, गोटीपुअ, रण्‍पा, चढ़ेया-चढेयानी में ओडिशा का योगदान है। । ओडिशा कई आदिवासी भाइयों और बहनों का निवास स्थान है। उनके नृत्य और संगीत ने ओडिशा की संस्कृति और भारत की सांस्कृतिक पहचान को समृद्ध किया है। असंख्य मंदिरों, स्तूपों, विहारों और गुफाओं की भूमि के रूप में ओडिशा ने भारतीय मूर्तिकला में अत्यधिक योगदान दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ओडिशा का योगदान भी महत्वपूर्ण है । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की सेवा और संघर्ष, उत्कल गौरव मधुसूदन दास के मूल विचारों का बहुत सम्मान करते थे और उड़ीसा की नारी शक्ति के नेतृत्‍व के प्रति गहरा सम्‍मान था। मां रमादेवी, सरलादेवी और मालती देवी प्रमुख महिला नेताओं ने स्‍वाधीनता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत "आजादी का अमृत महोत्सव" मना रहा है और पच्चीस साल बाद, भारत स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा। इसी तरह ओडिशा चौदह साल बाद नए राज्य का दर्जा मिलने की शताब्दी मनाएगा। यह समय भारत और ओडिशा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए सबके सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। भारत के युवाओं की प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से भारत दुनिया का नेतृत्व कर सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के प्रति विश्‍व का दृष्टिकोण भी बदला है। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने देश और विदेश में टीकाकरण के क्षेत्र में जो सफलता हासिल की है, उसने दुनिया को चौंका दिया है। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भारत की पहल की दुनिया भर में सराहना की जा रही है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुंचना जरूरी है । अगर समाज के निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति के जीवन स्‍तर में सुधार नहीं किया जाता है, तो किसी देश या समाज को पूरी तरह से विकसित नहीं कहा जा सकता है। इसीलिए अंत्योदय का दर्शन हमारे समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों तक विकास का लाभ पहुँचाना है।

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