भारत की राष्ट्रपति ने महिला उद्यमियों के लिए गुजरात विश्वविद्यालय का एक स्टार्ट-अप प्लेटफॉर्म 'हरस्टार्ट' का उद्घाटन किया और गुजरात सरकार की शिक्षा और जनजातीय विकास से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन/शिलान्यास किया

राष्ट्रपति भवन : 04.10.2022

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (4 अक्टूबर, 2022) को अहमदाबाद में गुजरात विश्वविद्यालय केएक स्टार्ट-अप प्लेटफॉर्म 'हरस्टार्ट' का शुभारंभ किया। उन्होंने शिक्षा और जनजातीय विकास से संबंधित गुजरात सरकार की विभिन्न परियोजनाओं का गुजरात विश्वविद्यालय से वर्चुअल उद्घाटन / शिलान्यास किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात विश्वविद्यालय के लिए यह गर्व की बात है कि न केवल भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी बल्कि भारत के अन्तरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉक्टर विक्रम साराभाई, इसरो के पूर्व-प्रमुख डॉक्टर के. कस्तूरी रंगन और भारत के गृह मंत्री श्री अमित शाह भी इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर विक्रम साराभाई जैसे वैज्ञानिक जिस संस्थान के छात्र रह चुके हों उसका विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार में अग्रणी रहना स्वाभाविक ही है। उन्होंने कहा कि गुजरात विश्वविद्यालय के परिसर में 450 से अधिक स्टार्ट-अप्स कार्य कर रहे हैं और 125 से अधिक महिलाओं द्वारा नेतृत्व किए जा रहे स्टार्ट-अप्स को इस विश्वविद्यालय द्वारा सक्रिय सहयोग दिया जा रहा है। साथ ही करीब 15,000 महिला उद्यमी ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से इस पहल से जुड़ी हुई हैं। ऐसे स्टार्ट-अप अनुकूल विश्वविद्यालय में महिला उद्यमियों के लिए समर्पित हरस्टार्ट नाम क स्टार्ट-अप प्लेटफॉर्म का उद्घाटन करना मेरे लिए गौरव की बात है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह प्लेटफॉर्म न केवल महिला उद्यमियों के नवाचार और स्टार्ट-अप के प्रयासों को बढ़ावा देगा वरन महिला उद्यमियों को विभिन्न सरकारी और प्राइवेट उपक्रमों से जोड़ने का एक प्रभावी प्लेटफॉर्म भी साबित होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें शिक्षा, विशेषकर बालिका और जनजातीय शिक्षा से जुड़े सैनिक स्कूल बालिका साक्षरता आवासीय विद्यालय, और एक लव्य मॉडल आवासीय विद्यालय जैसी परियोजनाओं का उद्घाटन करके हार्दिक खुशी हो रही है। क्योंकि स्कूली-शिक्षा के माध्यम से ही विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार में भारत की स्थिति को और मजबूत बनाने की आधारशिला रखी जा सकती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात ने अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है। पिछले दो दशकों में राज्य में स्कूल छोड़ने वाले बालकों की दर 22 प्रतिशत से घटकर 1.37 प्रतिशत हुई है। शिक्षक-छात्र अनुपात भी 40 से सुधरकर 26 तक हो गया है। आज ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ के माध्यम से करीब 55,000 स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है जिससे छात्रों के सीखने की क्षमता में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि 'मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस' के तहत अगले पांच वर्षों में राज्य के करीब 20,000 स्कूलों की आधारभूत संरचना का उन्नयन करने का लक्ष्य रखा गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व प्रगति की है। जहां वर्ष 2001-02 में राज्य में महाविद्यालयों की संख्या 775 थी वहीं वर्ष 2020-21 में यह संख्या 3,100 से अधिक हो गई है। उच्च शिक्षा के मूल्यांकन के लिए भारत का पहला शिक्षा गुणवत्ता और निगरानी सेल, ‘गरिमा सेल’ इसी राज्य में स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि ‘वन बंधु-कल्याण योजना’ के प्रभावी कार्यान्वयन से जनजातीय समाज में साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस योजना से जनजातीय विद्यार्थियों द्वारा स्कूल छोड़ने की दर में भी सुधार हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात विकास के कई मानकों पर पिछले दो दशकों में अग्रणी राज्य रहा है। उद्योग, नवाचार और अवसंरचना के समावेशी विकास में गुजरात ने कई मानक प्रस्तुत किए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हर राज्य के विकास का अपना मॉडल होता है जो राज्य के संसाधनों और जरूरतों से निर्धारित होता है। लेकिन जिस तरह से पिछले दो दशकों में गुजरात ने सर्वांगीण प्रगति की है उसने अन्य राज्यों को समावेशी विकास का रास्ता दिखाया है। उन्होंने विश्वास जताया कि अगर सारे राज्य एक दूसरे से सीखते हुए और उनके सफल मॉडल को अपनाते हुए आगे बढ़े तो मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश अमृत-काल के दौरान एक विकसित देश के रूप में अपना स्थान सुनिश्चित कर लेगा।

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