भारत की राष्ट्रपति ने कटक में दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस का उद्घाटन किया चावल भारत में खाद्य सुरक्षा का आधार है और हमारी अर्थव्यवस्था का भी एक प्रमुख हिस्सा है: राष्ट्रपति मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 11.02.2023

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि चावल भारत में खाद्य सुरक्षा का आधार है और हमारी अर्थव्यवस्था का भी एक प्रमुख हिस्सा है। वह आज 11 फरवरी, 2023 को आईसीएआर-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक में दूसरी भारतीय चावल कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर बोल रही थीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि भारत आज चावल का अग्रणी उपभोक्ता और निर्यातक है, लेकिन जब देश आजाद हुआ था तब स्थिति अलग थी। उन दिनों, हम अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर थे और अक्सर राष्ट्र ‘शिप-टू-माउथ’ की स्थिति में रहा। यदि राष्ट्र दूसरों पर निर्भरता को दूर कर सका है और सबसे बड़ा निर्यातक बना है, तो इसका बहुत श्रेय राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान को जाता है। इस संस्थान ने भारत की खाद्य सुरक्षा और किसानों के जीवन को बेहतर बनाने में भी बहुत योगदान दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछली शताब्दी में जैसे-जैसे सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हुआ है, चावल नए स्थानों पर उगाए जाने लगे और उपभोक्ता बढ्ने लगे। धान की फसल के लिए अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन दुनिया के कई हिस्से जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहे हैं।
सूखा, बाढ़ और चक्रवात अब अधिक आते हैं, जिससे चावल की खेती को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि भले ही चावल कई जगह उगाए जा रहे हैं, फिर भी ऐसे स्थान हैं जहाँ पारंपरिक किस्मों को उगाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रकार, आज हमें एक ओर पारंपरिक किस्मों के बचाव और संरक्षण
करने और दूसरी ओर पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए बीच का रास्ता तलाशने की आवश्यकता है। एक अन्य चुनौती मिट्टी को रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से बचाना है, जो आधुनिक चावल की खेती के लिए आवश्यक माने जाते हैं। हमें अपनी मिट्टी को बचाए रखने के लिए ऐसे उर्वरकों पर निर्भरता
कम करने की जरूरत है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वैज्ञानिक पर्यावरण के अनुकूल चावल उत्पादन प्रणाली विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि चूंकि चावल हमारी खाद्य सुरक्षा का आधार है, इसलिए हमें इसके पोषण संबंधी पहलुओं का भी ध्यान रखना चाहिए। कम आय वाले समूहों का एक बड़ा वर्ग चावल पर निर्भर है, और यह अक्सर उनके दैनिक पोषण का एकमात्र स्रोत होता है। इसलिए, चावल के माध्यम से प्रोटीन, विटामिन और आवश्यक
पोषक तत्व प्रदान करके कुपोषण से निपटने में मदद मिल सकती है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि आईसीएआर-एनआरआरआई ने भारत का पहला उच्च प्रोटीनयुक्त चावल सीआर धान 310 विकसित किया है, और एनआरआरआई ने सीआर धान 315 नामक एक उच्च जिंक वाले चावल की किस्म भी तैयार की है। उन्होंने कहा कि विज्ञान द्वारा इस तरह की बायो-फोर्टिफाइड किस्मों का विकास करना, विज्ञान से समाज सेवा का एक आदर्श उदाहरण है। बदलती जलवायु और बढ़ती जनसंख्या के लिए इस तरह के अधिक से अधिक प्रयासों की आवश्यकता होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का वैज्ञानिक समुदाय सफलतापूर्वक इस चुनौती का सामना करेगा।

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