भारत की राष्ट्रपति ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह में भाग लिया

राष्ट्रपति भवन : 09.12.2022

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 9 दिसंबर, 2022 को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (लबासना), मसूरी के 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के समापन समारोह में भाग लिया और समारोह को संबोधित किया।

प्रशिक्षुओं अधिकारियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह उन्हें संबोधित कर रही थीं, तो उनकी स्मृति में सरदार वल्लभभाई पटेल के शब्द गूंज रहे थे। अप्रैल 1947 में सरदार पटेल आईएएस के प्रशिक्षु बैच से मिल रहे थे। उस समय उन्होंने कहा था "हमें उम्मीद करनी चाहिए और हमें अधिकार है कि हम हर सिविल सेवक से सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा करें, चाहे वह किसी भी जिम्मेदारी के पद को सम्हाल रहा हो"। राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि लोक सेवक इन अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस फाउंडेशन कोर्स का मूल मंत्र "मैं नहीं, हम हैं" है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कोर्स के प्रशिक्षु अधिकारी सामूहिक भावना के साथ देश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाएंगे। उन्होंने कहा कि आप में से कई अधिकारी आने वाले 10-15 वर्षों तक देश के एक बड़े हिस्से का प्रशासन चलाएंगे और आम जनता से जुड़े रहेंगे। आपके सपनों का भारत कैसा हो, इसको आप मूर्त रूप दे सकते हैं।

अकादमी के आदर्श वाक्य 'शीलम परम भूषणम,' जिसका अर्थ है 'चरित्र सबसे बड़ा गुण है', का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लबासना में प्रशिक्षण की पद्धति कर्म-योग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें चरित्र की बड़ी महत्ता है। उन्होंने सलाह दी प्रशिक्षु अधिकारीयों को समाज के वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 'गुमनामी', 'क्षमता' और 'मितव्ययिता' ही एक सिविल सेवक के आभूषण हैं। ये गुण उन्हें पूरी सेवा अवधि के दौरान आत्मबल देंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षु अधिकारियों ने जिन मूल्यों को सीखा है, वे मूल्य सिर्फ सैद्धांतिक दायरे तक ही सीमित नहीं रहने चाहिए। देश की जनता के लिए काम करते हुए उनके सामने अनेक चुनौतियां और कठिनाइयां पेश आएंगी। उन परिस्थितियों में आपको इन मूल्यों का अनुसरण करते हुए, पूरे आत्मपविश्वास के साथ काम करना होगा। भारत को उन्नति और विकास के पथ पर अग्रसर करना, देशवासियों के उत्थान का मार्ग प्रशस्त करना, आप सबकी संवैधानिक जिम्मेदारी भी है और नैतिक उत्तरदायित्व भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के हित के लिए कोई भी कार्य तभी कुशलतापूर्वक सम्पन्न हो सकता है जब सभी भागीदारों को साथ लेकर चला जाए। जब अधिकारी समाज के हाशिए परखड़े और वंचित वर्ग को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेंगे तो वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में अवश्य ही सफल होंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि सुशासन समय की मांग है। सुशासन का अभाव हमारी अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की जड़ है। लोगों की समस्याओं को समझने के लिए आम लोगों से जुड़ना जरूरी है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से लोगों से जुड़ने के लिए विनम्र बनने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि तभी आप उनके साथ संवाद स्थापित कर सकेंगे, उनकी जरूरतों को समझ सकेंगे और उनकी भलाई के लिए काम कर सकेंगे।

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया इन मुद्दों से जूझ रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने कीजरूरत है। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को पूरी तरह से लागू करें, ताकि हमारा आने वाला कल सुरक्षित हो सके।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की आजादी के अमृत काल में 97वें कॉमन फाउंडेशन कोर्स के अधिकारी सिविल सेवाओं में प्रवेश कर रहे हैं। अगले 25 वर्षों में, वे देश के सर्वांगीण विकास के लिए नीति-निर्माण और उसे लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

अकादमी में आज उद्घाटन किए गए 'वाक वे ऑफ सर्विस' का जिक्र करते हुए - जहां प्रत्येक वर्ष, प्रशिक्षु अधिकारियों द्वारा निर्धारित किए गए उनके राष्ट्र निर्माण के लक्ष्यों को टाइम कैप्सूल में रखा जाएगा, राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को हमेशा याद रखें और उन्हें प्राप्त करने में निष्ठापूर्वक जुटे रहें। उन्होंने कहा कि जब वे वर्ष 2047 में टाइम कैप्सूल खोलेंगे, तो उन्हें अपने लक्ष्य को पूरा करने पर गर्व और संतुष्टि होगी।

राष्ट्रपति ने लबासना के पूर्व और वर्तमान अधिकारियों की हमारे देश के प्रतिभाशाली लोगों को सक्षम सिविल सेवकों के रूप में ढालने में उनकी लगन और कड़ी मेहनत के लिए प्रशंसा की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नए छात्रावास ब्लॉक और मैस, एरिना पोलो फील्ड सहित आज उद्घाटन की गई सुविधाओं से प्रशिक्षु अधिकारियों को और अधिक सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि "पर्वतमाला हिमालयन एंड नॉर्थ ईस्ट आउटडोर लर्निंग एरिना", जिसका निर्माण आज शुरू हो गया है, हिमालय और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के बारे में सिविल सेवकों और प्रशिक्षुओं के लिए एक ज्ञान कोष का काम करेगी।

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