भारत की राष्ट्रपति गुवाहाटी उच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 07.04.2023

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 7 अप्रैल, 2023 को गुवाहाटी में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल हुईं। इस मौके पर उन्होंने महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए तैयार की गई मोबाइल ऐप 'भोरोक्सा' को लॉन्च किया।

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय भारत के न्यायिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वर्ष 1948 में इसकी स्थापना के बाद, छह दशकों से अधिक समय तक सात राज्य इसके अधिकार क्षेत्र में आते थे और अभी भी चार राज्य इसके अधिकार क्षेत्र में हैं। इस न्यायालय से कई कानूनी दिग्गज बनकर निकले हैं और इसने अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है। इसके कई ऐतिहासिक निर्णयों से भी यह चर्चा में रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय आने वाले वर्षों में भी इसी तरह लोगों की सेवा करता रहेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर-पूर्वी क्षेत्र इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है कि ऐतिहासिक रूप से किस प्रकार विभिन्न समुदाय के लोग एक साथ रहते आ रहे हैं। परिणामस्वरूप, इस क्षेत्र की समृद्ध जातीय और भाषाई विविधता है। ऐसे क्षेत्र में संस्थानों को बहुत अधिक संवेदनशील और जिम्मेदारी होना जरूरी होता है, क्योंकि क्षेत्र की जनता भिन्न-भिन्न परंपराएं और कानून को मानती है। अलग-अलग क्षेत्रों में लागू होने वाले कानून अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन पूरे क्षेत्र की न्याय व्यवस्था एक साझा उच्च न्यायालय द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र के तहत कुछ राज्यों में चल रहे रूढ़िगत कानूनों का सम्मान करता है। स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस संस्था ने इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ाने में सहयोग दिया है।

पर्यावरण क्षरण के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि आज के समय में हमें पारिस्थितिक न्याय के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। पर्यावरणीय गिरावट से दुनिया के कई समुदायों के साथ अन्याय हुआ है। हमें अन्य प्रजातियों के साथ-साथ संपूर्ण पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, क्योंकि मानव जाति ने समग्र रूप से बहुत क्षति की है, अर्थात प्रकृति माता के परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अन्याय किया है। उन्होंने कहा कि
पारिस्थितिक न्याय की दिशा में कई माध्यमों से कार्य किया जा सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कानून से जुड़े लोग भी इसमें सार्थक योगदान देंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय की परिभाषा के अनुसार इसे समावेशी होना चाहिए और सभी के लिए सुलभ होना चाहिए। हालांकि, कई कारकों से न्याय तक पहुंच नहीं हो पाती है। न्याय की लागत उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि हमें मुफ्त कानूनी सलाह की पहुंच का विस्तार करते रहना जरूरी है। उन्होंने कहा कि न्याय की भाषा एक और बाधा है, लेकिन उस दिशा में प्रशंसनीय प्रगति की गई है और उच्च न्यायपालिका ने अधिक से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णय उपलब्ध कराने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि न्याय के प्रशासन में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका से कई समस्याओं का समाधान हो रहा है जो लंबे समय से व्यवस्था को प्रभावित कर रही थीं। उन्होंने वकीलों और कानून के विद्यार्थियों से कानून के क्षेत्र में ऐसे तकनीकी समाधान खोजने का आग्रह किया जो गरीबों और जरूरतमंदों की मदद कर सके।

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