भारत की राष्ट्रपति बीकानेर में 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 27.02.2023

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 27 फरवरी, 2023 को राजस्थान के बीकानेर में 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे कार्यक्रम देश की कला और संस्कृति को बढ़ावा तो देते ही हैं, साथ ही साथ राष्ट्रीय एकता की भावना को भी और मजबूत बनाते हैं। इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों से हमारे देशवासियों को हमारी सम्पन्न तथा समृद्ध संस्कृति और विभिन्न क्षेत्रों की विशेषताओं को जानने और समझने का अवसर मिलता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी का परम्पराओं से और विज्ञान का कला से मेल होना जरूरी है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से हर क्षेत्र में नए-नए प्रयोग किये जा रहे हैं। कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी को अपनाया जा रहा है। हम नई टेक्नोलॉजी का उपयोग करके देश की कला, परम्पराओं और संस्कृति का व्यापक रूप से प्रसार कर सकते हैं। हम सब को भारत की संपन्न और समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी परम्पराओं में, नए विचारों और नयी सोच को स्थान देना चाहिए, जिससे हम अपने युवाओं और आने वाली पीढ़ी को भी इन परम्पराओं से जोड़ सकते हैं। हमारे युवा और बच्चे देश की अनमोल विरासत के महत्व को समझें, यह बहुत आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम जानते हैं कि परिवर्तन जीवन का नियम है। कलाओं, परम्पराओं और संस्कृति में भी समय के साथ परिवर्तन आता ही है। कला शैली, रहन-सहन का ढंग, वेश-भूषा, खान- पान सब में समय के साथ बदलाव आना स्वाभाविक है लेकिन कुछ बुनियादी मूल्य और सिद्धांत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलते रहने चाहिए, तभी भारतीयता को हम जीवित रख सकते हैं। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना, शांति और अहिंसा, प्रकृति से प्रेम, सब जीवों के लिए दया, दृढ़ संकल्प से आगे बढ़ना - ऐसे अनेक मूल्य हैं जो हम सब देशवासियों को एक सूत्र में बांधते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज के लोगों का जीवन और समय बहुत तेज गति से भाग रहा है। इसलिए अपनी कला और संस्कृति की धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना आसान नहीं है। उन्होंने महान विभूतियों, विद्वानों, कला प्रेमियों, कलाकारों को ग्रामीण कलाकारों की प्रतिभा की पहचान करने और उनकी प्रतिभा का व्यापक रूप से प्रसार करने के लिए कहा। इसके अलावा उन्होंने उनसे उपाय खोजने और प्रयास करने के लिए कहा जिससे आज के लोग, ख़ासकर युवा और बच्चे, अपने समय का सदुपयोग करें और कला-संस्कृति को समझने और सीखने के लिए प्रयास करें।

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