भारत की राष्ट्रपति ने जी नारायणम्मा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस फॉर वूमेन और महिला दक्षता समिति कॉलेजों के छात्रों को संबोधित किया

राष्ट्रपति भवन : 29.12.2022

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि प्रौद्योगिकी का लाभ दूर-दराज के क्षेत्रों तक और गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए और इसे सामाजिक न्याय के एक साधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वह आज 29 दिसंबर, 2022 को हैदराबाद में जी नारायणम्मा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस फॉर वूमेन के छात्रों और संकाय सदस्यों और बीएम मलानी नर्सिंग कॉलेज तथा महिला दक्षता समिति के सुमन जूनियर कॉलेज के छात्रों को संबोधित कर रही थीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि इंजीनियरिंग ने कंप्यूटर, चिकित्सा उपकरण, इंटरनेट, स्मार्ट डिवाइस और डिजिटल भुगतान प्रणाली सहित तकनीकी प्रगति में बड़ी भूमिका निभाई है। जब अकल्पनीय और अभूतपूर्व समस्याओं के त्वरित और स्थायी समाधान की आवश्यकता होती है तोपेशे के रूप में इंजीनियरिंग की भूमिका आज की दुनिया में बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इंजीनियरों में दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने की ताकत है। वे जो भी समाधान खोजें या भविष्य में वेजो प्रौद्योगिकियां तैयार करें, वे जन-उन्मुख और पर्यावरण के अनुकूल होनी चाहिए। हाल ही में सीओपी 27 में भारत ने एक शब्द - LiFE में एक सुरक्षित ग्रह के अपने दृष्टिकोण को दोहराया, जिसका अर्थ पर्यावरण-उन्मुख जीवन शैली है। हम अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त कर रहे हैं और उनमें सुधार कर रहे हैं। हम नवीकरणीय ऊर्जा, ई-मोबिलिटी, इथेनॉल-मिश्रित ईंधन और ग्रीन हाइड्रोजन में नई पहल कर रहे हैं। ये पहल, तकनीकी नवाचारों के उपयोगसे जमीनी स्तर पर बेहतर परिणाम देना शुरू कर सकती हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज की दुनिया में प्रौद्योगिकी के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षिक, पर्यावरण और भू-राजनीतिक पक्ष भी हैं। इसमें लगातार विकास हो रहा है और यह हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इंजीनियर बड़े पैमाने पर जनता के लाभ के लिए नवीन तकनीकों पता लगाएंगे और इस तरह लोगों के जीवन में सुधार लाएँगे। उन्होंने कहा कि उन्हें वंचित वर्गों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों और विशेष सहायता की आवश्यकता वाले अन्य लोगों के लिए इंजीनियरिंग समाधान खोजने के बारे में भी सोचना चाहिए।

इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में महिलाओं के योगदान के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे पास महिलाओं के कई प्रेरणादायक उदाहरण हैं जो बड़ी कंपनियों का नेतृत्व कर रही हैं, स्टार्ट-अप शुरू कर चुकी हैं और दूरसंचार, आईटी, विमानन, मशीन डिजाइन, निर्माण कार्य, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य सभी क्षेत्रों में प्रमुख रूप से योगदान दे रही हैं।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को औरआगे बढ़कर विज्ञान के क्षेत्र को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एसटीईएम - विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित - भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। टेक्नोक्रेट और इनोवेटर्स के रूप में युवा महिलाओं को प्रोत्साहित करना देश को एक मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर ले जा सकता है। तकनीक के क्षेत्र में महिलाएं अलग नजरिया और कौशल लेकर आती हैं। महिलाओं की संज्ञानात्मक क्षमता विभिन्न स्तरों पर ज्ञान और प्रौद्योगिकियों को समझने के तरीके में बदलाव ला सकती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने रास्ते में आने वाली चुनौतियों से पार पाना चाहिए और अपने करियर में आगे बढ़ना चाहिए।

राष्ट्रपति ने छात्रों को सशक्त बनने और दूसरों को भी सशक्त करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आपको केवल अपनी सफलता और खुशी से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। वेराष्ट्र और समग्र रूप से मानवता के प्रति कर्तव्य से बंधे है। उन्हें अपनी प्रतिभा और तकनीकी क्षमताओं का उपयोग सभी की भलाई के लिए करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने युवा महिलाओं के लिए एक पेशेवर के रूप में प्रौद्योगिकी की दुनिया में प्रवेश के कई अवसर प्रदान करने के लिए जीएनआईटीएस की प्रशंसा की। उन्होंने महिलाओं को चौतरफा समर्थन प्रदान करने के लिए महिला दक्षता समिति की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि समिति के कॉलेज, वंचित महिलाओं का विकास, देखभाल, पोषण और उनका सशक्तिकरण करते हैं।

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