भारत की राष्ट्रपति दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं

राष्ट्रपति भवन : 20.10.2023

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 20 अक्तूबर, 2023 को गया, बिहार में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं और उसे संबोधित किया

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही बिहार की धरती प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए प्रसिद्ध रही है।  उन्होंने कहा कि बिहार की धरती पर चाणक्य और आर्यभट्ट जैसे प्रकांड विद्वानों ने समाज और राज्य की व्यवस्था से लेकर गणित और विज्ञान के क्षेत्रों में  क्रांतिकारी योगदान दिया। उन्होंने कहा कि सभी को इस बात पर गर्व है कि दुनिया की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं बिहार की धरती पर ही फली-फूलीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि इसी पवित्र भूमि पर भगवान महावीर और भगवान बुद्ध ने शांति, अहिंसा, करुणा और प्रेम का संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने 'अहिंसा परमो धर्म' के उनके संदेश को नए आयाम दिए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी का वह संदेश आज और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है और हमारे देश की इस समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने से विश्व कल्याण में सहायता मिल सकती है। उन्होंने कहा कि युवा छात्र इन समृद्ध परंपराओं के संवाहक हैं। वे सब समाज, देश और विश्व के नव-निर्माण में अपनी भूमिका तय कर सकते हैं और उसे भली-भांति निभा सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने विकास के साथ-साथ सामाजिक कल्याण और परोपकार के मूल्यों को अपने लक्ष्यों में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसे समग्र लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों में ही उनकी शिक्षा की सार्थकता सिद्ध होगी तथा उनकी सफलता के द्वार खोलेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि आज बिहार के प्रतिभाशाली लोग देश-विदेश में चौथी औद्योगिक क्रांति में अपना योगदान दे रहे हैं। प्रदेश के उद्यमशील लोगों ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रगति के ऐसे वैश्विक मानदंडो को स्थापित करना सभी का लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से इस परिवर्तनकारी दौर में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि कई देशों में प्रतिभा की कमी की समस्या महसूस की जा रही है। भारत के प्रतिभाशाली तथा परिश्रमी युवा विश्व की अनेक अर्थव्यवस्थाओं और ज्ञान-विज्ञान की प्रगति में अमूल्य योगदान दे रहे हैं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी और सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है। हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य शीघ्र ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारे युवाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपनी क्षमताओं का समुचित उपयोग कर जनसांख्यिकीय लाभांश से देश को लाभान्वित कर सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर हम सभी को ऐसी जीवन शैली अपनानी है तथा ऐसे कार्य करने हैं  जिससे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कम हो तथा अधिक से अधिक संरक्षण एवं संवर्धन हो सके।

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