भारत के राष्ट्रपति द्वारा 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति भवन : 30.09.2022

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 30 सितंबर, 2022 को नई दिल्ली में विभिन्न श्रेणियों में 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने सुश्री आशा पारेख को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने सुश्री आशा पारेख को दादा साहब फाल्के पुरस्कार जीतने पर बधाई दी और कहा कि उस पीढ़ी की हमारी बहनों ने कई बाधाओं के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है। सुश्री पारेख को सम्मान देना अदम्य नारी शक्ति को सम्मानित करना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि फिल्म उद्योग फिल्म बनाने के अलावा एक बेहतर समाज और राष्ट्र के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है। एक श्रव्य-दृश्य माध्यम होने के कारण फिल्मों का प्रभाव कला के अन्य माध्यमों की तुलना में अधिक व्यापक है। उन्होंने कहा कि सिनेमा न केवल एक उद्योग है बल्कि हमारी संस्कृति और मूल्यों की कलात्मक अभिव्यक्ति का भी एक माध्यम है। यह हमारे समाज को जोड़ने और राष्ट्र निर्माण का भी माध्यम है।

राष्ट्रपति ने कहा कि फिल्मों का युवाओं और बच्चों पर अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए समाज फिल्म उद्योग से यह अपेक्षा करता है कि देश के भविष्य के निर्माण में फिल्म उद्योग इस माध्यम का प्रभावी ढंग से उपयोग करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि जैसा कि हम 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं और दर्शकों को स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और कार्यों पर फीचर और गैर-फीचर फिल्म पसंद आएँगी। जनता ऐसी फिल्मों की भी अपेक्षा करती है जो समाज में करुणा और एकता के भाव को बढाए, विकास की गति को तेजी लाने में सहायक हो और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को मजबूत करे। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आज जिन फिल्मों को पुरस्कार मिला है, उनमें राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दे जैसे प्रकृति और पर्यावरण, संस्कृति, सामाजिक मूल्यों और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय फिल्मों का पूरी दुनिया में स्वीकार किया जा रहा है। इस सॉफ्ट-पॉवर का अधिक प्रभावी उपयोग करने के लिए, हमें अपनी फिल्मों की गुणवत्ता को बढ़ाना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि एक क्षेत्र में बनी फिल्में दूसरे क्षेत्रों में भी अधिक से अधिक लोकप्रिय हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह सिनेमा समस्त जनता को एक सांस्कृतिक सूत्र में बांध रहा है। फिल्मी समुदाय का समाज के लिए यह एक बहुत बड़ा योगदान है।

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