भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का ब्रह्माकुमारीज़ संस्था द्वारा ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के अंतर्गत ‘My Bengal, Addiction Free Bengal’ Campaign के शुभारंभ के अवसर पर सम्बोधन
राज भवन, कोलकाता : 17.08.2023
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मुझे आज भारत को नशा मुक्त बनाने हेतु शुरू किए गए इस कार्यक्रम में भाग लेकर संतोष का अनुभव हो रहा है। मैं ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ के अंतर्गत ‘My Bengal, Addiction Free Bengal’ की विशेष परियोजना शुरू करने के लिए प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सराहना करती हूँ। मैं इस कार्यक्रम को प्रोत्साहन देने के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस जी की प्रशंसा करती हूँ।
मैंने ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों को करीब से देखा है। यह संस्था आज एक वैश्विक संगठन का रूप ले चुकी है, जो विश्व के लगभग 140 देशों में जन सामान्य के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक सशक्तीकरण के लिए कार्य कर रही है।
आज जिस समस्या को लेकर अभियान की शुरुआत की गई है वह अत्यंत गंभीर है। नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या समाज के हर वर्ग में अपनी जड़ें फैला चुकी है। नशीले पदार्थों का सेवन आज के समय में समाज और देश के लिए चिंता का विषय है। इसके अंतरराष्ट्रीय आयाम भी हैं।
देवियो और सज्जनो,
हमारे युवा इन व्यसनों के कारण जीवन में सही दिशा का चुनाव नहीं कर पा रहे हैं। यह अत्यंत चिंताजनक है और इस विषय में सभी मोर्चों पर काम करने की आवश्यकता है। यह संतोष की बात है कि ब्रहमाकुमारी जैसी संस्थाएं ऐसे मुद्दों के बारे में सजगता और गंभीरता से विचार विमर्श भी करती हैं और उनके समाधान के लिए बड़े पैमाने पर कार्य भी करती हैं।
UN World Drug Report के अनुसार दुनिया में लगभग 3 करोड़ लोग drugs के कारण होने वाले disorders का शिकार हैं। हमारे युवाओं में जिस तेजी से नशे का सेवन बढ़ रहा है उस पर चिंता होना स्वाभाविक है। लेकिन यह समय केवल चिंता का नहीं बल्कि चिंतन का और समाधान की ओर तेज गति से बढ़ने का समय है। आध्यात्मिक चेतना, चिकित्सा, सामाजिक एकजुटता और राजनीतिक इच्छाशक्ति के द्वारा इस स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।
Drug demand में कमी लाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें National Action Plan for Drug Demand Reduction के माध्यम से Drug addicts की शिक्षा, जागरूकता, उपचार, पुनर्वास और rehab service providers के क्षमता निर्माण पर काम कर रही हैं। इसके अंतर्गत भारत के अलग-अलग हिस्सों में नशा मुक्त भारत अभियान चलाए जा रहे हैं। सामाजिक बदलाव के लिए लोगों की मानसिकता में परिवर्तन लाना आवश्यक है और इसके लिए अध्यात्म अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। इस दिशा में ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा चलाया जा रहा ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ व्यसनों से प्रभावित लोगों को जागृत करने में सहायक होगा और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसलिए इस अभियान की मैं सराहना करती हूँ।
किसी भी प्रकार का व्यसन मानसिक तनाव और peer pressure के कारण पनपता है। व्यसन स्वास्थ्य के लिए तो हानिकारक है ही, साथ ही इस से और कई तरह के विकार उत्पन्न होते हैं। आंतरिक रूप से इंसान कमजोर हो जाता है और मानव चरित्र पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। Drug addicts के परिवारजनों और शुभचिंतकों को भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है।
देवियो और सज्जनो,
मैं सभी युवाओं के मित्रों से भी कहना चाहूँगी कि अगर आपका कोई दोस्त नशे को अपना रहा है तो पता चलते ही उसकी इस आदत के बारे में उसके परिवार को बताएँ। उसकी इस आदत को छुपाकर नहीं बल्कि सामने लाकर ही आप सच्चे मित्र होने का कर्तव्य निभा पाएंगे।
जो लोग नशे का सेवन करते हैं उनसे मेरा अनुरोध है कि नशे की लत को अपना जीवन बर्बाद करने मत दीजिए। अगर आप किसी तरह के तनाव में हैं तो अपने दोस्तों, अपने परिवार या अपने आस-पास के किसी व्यक्ति या संस्था से बात करें। कोई समस्या ऐसी नहीं होती है जिसका आप अपनी इच्छाशक्ति से सामना नहीं कर सकते। नशे की लत को छोड़ना बिल्कुल संभव है और आज से ही आप इस प्रयास को शुरू कर दीजिए। आप को सफलता अवश्य मिलेगी। आपके drug usage और addiction का लाभ कई असामाजिक तत्व भी उठा रहे हैं। Drugs खरीदने के लिए दिए गए पैसे आपराधिक कार्यों में भी उपयोग होते हैं। मुझे विश्वास है कि आप अपनी भलाई तथा समाज और देश के हित में इस बुरी लत से बाहर निकलेंगे और सही दिशा में आगे बढ़ेंगे।
हम सब स्कूलों और कालेजों में नशे के बढ़ते सेवन के बारे में चिंतित हैं। बच्चे और युवा हमारी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति हैं। जो समय और ऊर्जा उन्हें अपने भविष्य की नींव को मजबूत करने में लगानी चाहिए, उसे वे सिर्फ एक लत के कारण नष्ट कर रहे हैं। हमारे शिक्षण संस्थान मंदिरों के समान होते हैं। सभी शिक्षण संस्थानों में counselling, group discussions, sports activities, creative activities और अन्य माध्यमों से यह पता लगाना चाहिए कि विद्यार्थी किसी गलत दिशा में तो नहीं जा रहे। यदि ऐसा कुछ सामने आता है तो तुरंत उस पर कार्रवाई करनी चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
अध्यात्म सोई हुई चेतना को जगाता है और मनुष्य को सकारात्मक जीवन जीने की कला सिखाता है। अध्यात्म के द्वारा मनुष्य को उसकी आंतरिक शक्तियों का साक्षात्कार होता है और परोपकार से जो आनंद मिलता है उसकी अनुभूति होती है।
आइए, हम सभी स्वयं का परिवर्तन करके जन-कल्याण की भावना के साथ भारत को अधिक सशक्त और स्वस्थ राष्ट्र बनाने के रास्ते पर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें। अंत में फिर एक बार मैं मानव-कल्याण हेतु ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान द्वारा चलाए जा रहे ‘My Bengal, Addiction Free Bengal’ अभियान की सफलता के लिए शुभकामनाएं देती हूँ।
धन्यवाद!
जय हिन्द!
जय भारत!