राष्ट्रीय शिक्षा दिवस समारोह तथा 40वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय बाल विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी - 2013 के उद्घाटन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति का अभिभाषण
गंगटोक, सिक्किम : 11-11-2013
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1.मुझे राष्ट्रीय शिक्षा दिवस समारोह के अवसर पर आज आपके बीच उपस्थित होकर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। यह दिन महान दूरद्रष्टा, स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और विख्यात शिक्षाविद्, भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिवस की स्मृति में मनाया जाता है।
2. मौलाना आजाद ने एक पंथनिरपेक्ष, उदार, आधुनिक और सार्वभौमिक शिक्षा प्रणाली का ताना-बाना बुना था। हम स्वतंत्र भारत में शिक्षा में की गई महती प्रगति के लिए मौलाना आजाद द्वारा परिकल्पित दिशा और लक्ष्यों के प्रति अत्यंत ऋणी हैं। 16 जनवरी, 1948 के अखिल भारतीय शिक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए मौलाना आजाद ने कहा था ‘‘हमें एक क्षण भी यह नहीं भूलना चाहिए कि यह प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उसे कम से कम ऐसी बुनियादी शिक्षा प्राप्त हो जिसके बिना वह एक नागरिक के रूप में अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं कर सकता।’’ स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री के रूप में मौलाना आजाद ने हमारे देश की शिक्षा प्रणाली मंश भारी सुधार किए जो ‘सभी के लिए शिक्षा’ के हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं। इस अवसर पर मैं, हमारी शिक्षा प्रणाली के इस महान दूरद्रष्टा और निर्माता को नमन और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हमें एक राष्ट्र के रूप में इस सपने को वास्तविकता में बदलने का पूरा प्रयास करना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
3. इस अवसर पर आयोजित, 40वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय बाल विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी- 2013 का उद्देश्य देश के बच्चों में एक वैज्ञानिक प्रवृत्ति को प्रोत्साहित, लोकप्रिय और संचारित करने का है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय स्तर की विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन करता है जिसमें बच्चे विज्ञान और गणित में अपनी प्रतिभा तथा हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में इनके प्रयोग का प्रदर्शन करते हैं।
4. यह प्रदर्शनी हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की स्मृति में आयोजित की जाती है जिनका विचार था कि विज्ञान दूरगामी परिवर्तन लाने में सक्षम है, इनमें से वैज्ञानिक प्रवृत्ति पैदा करना सबसे महत्वपूर्ण है। पंडित जी ने एक बार कहा था, ‘‘केवल वैज्ञानिक पद्धतियां ही मानवता को उम्मीद दे सकती हैं तथा दुनिया की पीड़ा को समाप्त कर सकती हैं।’’ यह प्रदर्शनी, जिसमें संभावित गणितज्ञों और वैज्ञानिकों ने अपनी बहुआयामी प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया है, समाज की, चाहे वे पर्यावरण, औद्योगिक विकास, ऊर्जा अथवा सुरक्षा से संबंधित समस्याएं हों, के समाधान के लिए देश के युवा-युवतियों की असीम क्षमता का प्रदर्शन करती है। मैं समझता हूं कि इस प्रदर्शनी में लगभग एक सौ सत्तर नमूने दर्शाए गए हैं जो गत वर्ष आयोजित जिला और राज्य स्तर की मूल प्रदर्शनियों के जरिए हमारे विद्यार्थियों के प्रयासों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे देश के विभिन्न हिस्सों के बच्चे अपने वैज्ञानिक कार्य के प्रदर्शन के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। मैं भारत के बच्चों में विज्ञान और गणित को लोकप्रिय बनाने और उनमें वैज्ञानिक प्रवृत्ति पैदा करने के प्रयासों के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद को बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि इन प्रदर्शनियों का आयोजन समाज और पर्यावरण से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए विद्यार्थियों और शिक्षकों में नए वैज्ञानिक विचार पैदा करने में मदद करेगा।
5. इस वर्ष की प्रदर्शनी का प्रमुख विषय ‘विज्ञान तथा समाज’ उन समस्याओं और मुद्दों पर ध्यान देने का मौका है जिनका आज समाज सामना कर रहा है। एक ओर, हम भावी जरूरतों के लिए संसाधनों के संरक्षण के संबंध में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तथा दूसरी ओर, निरंतर बढ़ती आबादी की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना एक स्थायी समस्या बना हुआ है। यही समय है जब हम व्यापक परिप्रेक्ष्य में विकास की संकल्पना को पुन:निर्धारित करें और उनसे निपटने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान और गणितीय जानकारी पर आधारित नवान्वेषी तरीके ढूंढने का प्रयास करें। पर्यावरणीय अपेक्षाओं और विकास की जरूरतों के बीच कोई टकराव नही होना चाहिए।
6. विश्व की जनसंख्या पहले ही सात अरब पार कर चुकी है और भारत में इस भारी वृद्धि का छठवां हिस्सा रहता है। यदि तत्काल समुचित कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या गरीबी, भूख, कुपोषण, और निरक्षरता के द्वारा और बढ़ सकती है। स्थिति का सीधा सामना करना और मौजूदा काम के निष्पादन के प्रति एक वैज्ञानिक और गणितीय दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत जरूरी है। हमारे बच्चों को निर्बाध जनसंख्या की बढ़ोतरी तथा ऊर्जा संकट, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के बीच संबंध की जानकारी देना आवश्यक है। इस उद्देश्य के लिए न केवल हमारी युवा पीढ़ी को सभी ऐसे मुद्दों के समाज पर पड़ रहे सीधे प्रभाव की जानकारी देनी होगी बल्कि उसके प्रति सक्रिय भी बनना होगा। हमें बच्चों को राष्ट्र के भविष्य की संकल्पना करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उन्हें संवेदनशील और जिम्मेवार नागरिक बनने में मदद करनी चाहिए। विज्ञान और गणित विश्व के अनुसंधान और जानकारी के सशक्त तरीके हैं। इसलिए यह अत्यंत जरूरी है कि हमारे युवा विद्यार्थियों के मस्तिष्क में विज्ञान और गणित के प्रति रुझान पैदा किया जाए जो कि भविष्य में इस देश के भावी वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकीविद् हैं।
7. इस प्रदर्शनी का नया नाम जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय बाल विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी रखा गया है। मुझे बताया गया है कि ऐसा गणित वर्ष समारोह को ध्यान में रखते हुए तथा पर्यावरण संबंधित मुद्दों पर अधिक बल देने के लिए किया गया था। सिक्किम, जहां पर इस वर्ष प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है, अपनी प्रचुर जैव-विविधता और सरकार द्वारा अपनाई जा रही संरक्षण उन्मुख नीतियों के लिए सुविख्यात है। मैं अपने युवा प्रतिभागियों से आग्रह करता हूं कि वे जीवन के पांच तत्वों: पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश, तथा वायु को ऐसे तत्व मानें जो हमें विरासत में मिले हैं तथा जिन्हें हमें अगली पीढ़ी को सौंपना है। हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम केवल इसलिए उनको फिजूलखर्चें या प्रदूषित करें क्योंकि हम उनके मालिक नहीं हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि हम विज्ञान का उपयोग न करें, प्रौद्योगिकी विकसित न करें और मानव जीवन की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास न करें, किन्तु ऐसा करते समय हमें अपने मिश्रित पारितंत्र के नाजुक संतुलन को नहीं बिगाड़ना चाहिए। पृथ्वी पर जीवन कायम रखने वाले सभी प्राकृतिक तत्व परस्पर जुड़े हुए हैं और समन्वय की सर्वोच्च व्यवस्था दर्शाते हैं तथा इनमें से किसी से छेड़छाड़ से कुल मिलाकर प्रकृति में असंतुलन पैदा होगी। हम किसी भी तरह ऐसा नहीं कर सकते।
देवियो और सज्जनो,
8.शिक्षा राष्ट्रीय प्रगति, मानव सशक्तीकरण और सामाजिक परिवर्तन का एक आवश्यक साधन है। नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 तथा भारत के संविधान में अनुच्छेद 21-ए के शामिल किए जाने से आने वाले वर्षों के दौरान बुनियादी शिक्षा तथा सर्वशिक्षा अभियान के कार्यान्वयन के दूरगामी परिणाम होंगे। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान देश की माध्यमिक शिक्षा में प्रवेश संख्या बढ़ाने, प्रदेश में लैंगिक, सामाजिक और क्षेत्रीय अंतर को कम करने तथा स्कूल में पढ़ाई जारी रखने वाले बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए देश की माध्यमिक विद्यालय प्रणाली की मजबूती पर ध्यान दे रहा है। उच्च शिक्षा में पहुंच बढ़ाने तथा सार्थक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उच्च शिक्षा में बहुत से सुधार आरंभ किए जा रहे हैं। राज्य के संस्थानों की जरूरतों पर ध्यान देने के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान की एक व्यापक योजना शुरू की जा रही है ताकि उन्हें सुदृढ़ किया जा सके और उनकी गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके।
9. तथापि, बहुत कुछ किया जाना बाकी है, पिछड़े और वंचित वर्गों पर विशेष ध्यान देते हुए सभी को उच्च शिक्षा प्रदान करने और उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत है। समावेशी शिक्षा तथा सभी स्तरों पर शिक्षा में विस्तार, समानता और उत्कृष्टता पर बल दिया जाना चाहिए। शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को सही मूल्य ग्रहण करने की प्रेरणा दी जानी चाहिए और दृढ़ चरित्र युक्त भावी नागरिक तैयार करने चाहिए। महिला साक्षरता तथा साक्षरता और कौशल विकास के बीच तालमेल पर अधिक जोर देना होगा। हमें पूरे देश के सभी संस्थानों में प्रौद्योगिकी सहायक शिक्षा पर बल देना चाहिए तथा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रौद्योगिकी प्रयोग हेतु शिक्षकों और विद्यार्थियों को सक्षम बनाना चाहिए। सुगम्यता, गुणवत्ता और शिक्षकों की कमी की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए प्रौद्योगिकी समाधानों के प्रयोग को बढ़ाना जरूरी है। सुगम्यता और वहनीयता समावेशन की दिशा में प्रमुख कदम हैं।
10. नवान्वेषण भविष्य में विकास का एक निर्णायक कारक होगा। संसाधन की कमियों का सामना कर रहे विश्व में, विकास निरंतर प्रौद्योगिकी उन्नयन पर निर्भर होता जाएगा। भारत ने वर्ष 2010-20 को नवान्वेषण के प्रति दशक के रूप में समर्पित किया है। इस वर्ष आरंभ की गई विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और नवान्वेषण नीति में जमीनी स्तर पर नवान्वेषण के परामर्श की आवश्यकता बताई गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवान्वेषण से ऐसे नए उत्पाद और प्रक्रियाओं का विकास हो सकता है जो विकास के उत्प्रेरक के तौर पर काम कर सकते हैं। इसलिए, अनुसंधान और नवान्वेषण को हमारी शिक्षा प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। इसके अलावा, नवान्वेषण की दिशा में हमारे अभियान से सामाजिक आर्थिक पायदान पर सबसे नीचे रह रहे लोगों को लाभ पहुंचना चाहिए।
11. मेरा यह सपना है कि भारत आने वाले वर्षों में एक ऐसी ज्ञान-शक्ति बनकर उभरे जहां प्रत्येक भारतीय साक्षर हो तथा उसे वहनीय तथा गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्राप्त हो। मुझे विश्वास है कि मौलाना आजाद के संकलानात्मक परिप्रेक्ष्य एक ज्ञानसंपन्न समाज के निर्माण में हमें प्रेरणा और मार्गदर्शन देते रहेंगे।
12. मैं, एक बार फिर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली तथा सिक्किम सरकार को मुझे इस प्रदर्शनी के लिए आमंत्रित करने पर धन्यवाद करता हूं। पंडित जी ने एक बार कहा था ‘आज विज्ञान की अनदेखी करने का दुस्साहस कौन कर सकता है? हमें हर मोड़ पर इसकी सहायता लेनी होती है...। भविष्य विज्ञान और विज्ञान से मित्रता करने वालों का है।’ बच्चों, मुझे उम्मीद है कि आप पंडित नेहरू के चिर प्रासंगिक शब्दों से प्रेरणा हासिल करते रहेंगे। याद रखें कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण हमारे राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि की कुंजी हैं। सदैव खुले मन के साथ आगे बढ़ें और नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का प्रयास करें। मैं आपके उज्ज्वल और उपयोगी भविष्य के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं।
जय हिन्द!