स्कोप असाधारण पुरस्कार प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण
विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 05-11-2014
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मुझे वर्ष 2012-13का स्कोप असाधारण पुरस्कार प्रदान किए जाने के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होकर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है।
2. मैं, पर्यावरण उत्कृष्टता और सतत विकास; कॉरपोरेट शासन; कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व और प्रतिसंवेदना; अनुसंधान और विकास तथा प्रौद्योगिकी विकास और नवान्वेषण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के द्वारा किए जा रहे प्रयासों को सम्मानित करने हेतु ऐसे समारोहों के आयोजन के लिए लोक उद्यम विभाग तथा लोक उद्यमों संबंधी स्थायी सम्मेलन की सराहना करता हूं।
3. केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की स्थापना अर्थव्यवस्था को उच्च शिखर पर ले जाने तथा विकास और आत्मनिर्भरता के हमारे प्रयासों के लिए जरूरी क्षेत्रों में निवेश को दिशा देने के लिए स्वतंत्रता के तुरंत बाद की गई थी। 31 मार्च 2013को हमारे 277 केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में कुल निवेश `8.5 लाख करोड़ से ज्यादा था। 2012-2013 के दौरान, लाभ अर्जित करने वाले केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का कुल शुद्ध लाभ `1.4 लाख करोड़ तथा चालू केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का टर्नओवर अनुमानत: `19.45 लाख करोड़ रुपये था। 46सूचीबद्ध केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की बाजार में पूंजी 31 मार्च 2013 तक `11.16लाख करोड़ से ज्यादा थी। ये आंकड़े साफ तौर से उस प्रमुख भूमिका को दर्शाते हैं जो केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम हमारी अर्थव्यवस्था में निभाते हैं। उनकी स्थापना के दौरान परिकल्पना के अनुसार, वे हमारी विकास प्रयासों के आधार स्तंभ सिद्ध हुए हैं तथा उन्हें अवसंरचना और अर्थव्यवस्था के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के विकास का प्रेरक मानना उपयुक्त है।
4. सरकार ने केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का कामकाज सुधारने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इनमें केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के महारत्न, नवरत्न और लघुरत्न बोर्डों का सशक्तीकरण,केन्द्रीय सार्वजनिक बोर्ड का कार्यकौशल बढ़ाना तथा प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण शामिल है। इन प्रयासों ने केन्द्रीय सार्वजनिक बोर्ड के सकारात्मक और अनुकूल नीतिगत ढांचे के निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
देवियो और सज्जनो,
5. भारत परिवर्तनकारी दौर के मुहाने पर खड़ा है और मुझे पूरा विश्वास है कि अगले दो दशकों के दौरान यह हमें विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में सफलतापूर्वक शामिल कर देगा। विगत दस वर्षों के दौरान ही हमने विश्व की एक प्रमुख अग्रणी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता के मामले में तीसरी विशालतम अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर एक अनूठी सफलता की गाथा रची है। 2004-05से 2013-14 तक हमारी अर्थव्यवस्था प्रति वर्ष 7.6प्रतिशत की औसत दर से बढ़ी है। निरंतर वैश्विक आर्थिक मंदी तथा अन्य कारणों की वजह से हमारी सकल घरेलू उत्पाद विकास दर पिछले दो वर्षों के दौरान पांच प्रतिशत से नीचे चली गई। तथापि मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि वापसी की हरी कोंपलें दिखाई देने लगी हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 5.7 प्रतिशत विकास दर हासिल की। राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के लिए किए गए उपायों ने सकारात्मक परिणाम दर्शाएं हैं। विगत तीन महीनों के दौरान, महंगाई में कमी आई है और हमें उम्मीद है कि विवेकपूर्ण नीतिगत उपायों से यह 5 प्रतिशत से कम पर आ जाएगी। भारत गेहूं और चावल उत्पादन दोनों में विश्व में दूसरे स्थान पर है। पिछले वर्षों की भरपूर खाद्यान पैदावार से कृषि क्षेत्र को 2013-14 में 4.7प्रतिशत विकास दर्ज करने में मदद मिली है। निवेश पुनर्रुत्थान,वृहत अर्थव्यवस्था की स्थिरता में मजबूती तथा ढांचागत सुधार उन्मुखी विभिन्न उपायों से भारत निश्चित रूप से 7.8 प्रतिशत की उच्च विकास गति हासिल कर लेगा।
6.इस संदर्भ में, मैं प्रधानमंत्री के ‘भारत में निर्माण’ अभियान का विशेष उल्लेख करना चाहूंगा जिसे भारत को वास्तव में विश्वस्तरीय वैश्विक विनिर्माण केन्द्र बनाने के लिए सरकार द्वारा हाल ही में शुरू किया गया है। मेरा मानना है कि इसे साकार रूप देने में केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की एक प्रमुख भूमिका है। उन्होंने वर्षों के दौरान, देश के विभिन्न हिस्सों में श्रेष्ठ विनिर्माण सुविधाएं स्थापित की हैं। हम विश्व के एक विशालतम बाजार हैं और प्रतिस्पर्द्धात्मक कीमतों, गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की मांग की कोई कमी नहीं है। हमारा लक्ष्य विशाल घरेलू मांगों को पूरा करने पर ही नहीं बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माण तथा विदेशी बाजारों तक उनकी अधिक से अधिक पहुंच पर होना चाहिए। इससे हमारे युवाओं के लिए समुचित रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा होंगे बल्कि सर्वत्र जीवन स्तर भी बढ़ेगा।
7.घरेलू और विदेशी दोनों बाजारों के कार्यों में यह विस्तार केवल कारोबार संभावना का वास्तविक आकलन करने तथा यह सुनिश्चित करने के बाद ही हो सकेगा कि हमारे उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुरूप बनाया जाएा। इस प्रयोजन के लिए, उपयुक्त उद्योग-शिक्षा संयोजन तथा इन प्रौद्योगिकियों के स्वामित्व वाले संस्थानों से कार्यनीतिक साझीदारी के माध्यम से नवीनतम प्रौद्योगिकीयों का प्रयोग करना होगा। विक्रेता विकास तथा लघु और मध्यम उद्यमों के जरिए अनिवार्य प्रापण पर ध्यान देना भी अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल स्थानीय उद्योग विकसित होंगे बल्कि घरेलू विनिर्माण तेज होगा तथा देश में एक उद्यमशील संस्कृति पैदा होगी।
8.मैं, विशेष तौर से कारोबार के दौरान नवान्वेषण करने की आवश्यकता पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। निरंतर परिवर्तनशील और गतिशील कारोबारी परिदृश्य नई और अधिक जटिल चुनौतियां प्रस्तुत करता है जिसके लिए नवान्वेषी समाधानों की आवश्यकता होती है। वर्षों के दौरान केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने अपने कार्य का एक निश्चित तरीका विकसित किया है। वर्तमान परिदृश्य में, बाजार की जरूरतों और अपेक्षाओं में निरंतर अग्रणी बने रहने के लिए इन प्रक्रियाओं की फिर से जांच, फिर से निर्माण और फिर से बदलाव की आवश्यकता है। इसलिए, मैं आप सभी को अपने संगठनों में भौतिक और मानवीय मोर्चे दोनों पर मौजूद प्रछन्न संभावनाओं का पूरा फायदा उठाने के लिए मौजूदा प्रणालियों का मूल्यांकन करने तथा कारोबार करने के अपेक्षाकृत नए और कुशल तरीके तैयार करने की सलाह दूंगा।
9.केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों ने सामाजिक और आर्थिक नीतियों के कार्यान्वयन में सरकार के साथ सक्रिय साझीदारी की है। मुझे विश्वास है कि ये सरकार द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान तथा अन्य सामाजिक रूप से उन्मुख योजनाओं में अग्रणी बने रहेंगे। इसी के साथ, मैं ध्यान दिलाना चाहता हूं कि केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम सार्वजनिक संपत्ति के संरक्षक हैं इसलिए वे कॉरपोरेट शासन और पारदर्शिता के सर्वोत्तम मानदंडों का निरंतर अनुपालन अवश्य सुनिश्चित करें।
10.केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों ने वर्षों के दौरान अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्वों को पूरा करने में अत्यंत योगदान दिया है। मुझे विश्वास है कि वे भविष्य में हमारे समाज के जरूरतमंद वर्गों के उत्थान तथा कंपनी अधिनियम 2013के अंतर्गत सौंपे गए दायित्वों के अनुसार इन कार्यक्रमों को जारी रखेंगे।
11.मैं एक बार पुन: कारोबारी गतिविधियों की विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्शाने वालों की पहचान और उनको सम्मानित करने के उद्देश्य से स्कोप असाधारण पुरस्कारों की स्थापना में पहल के लिए स्कोप की सराहना करता हूं। मुझे बताया गया है कि एक वरिष्ठ निर्णायक मंडल ने कठिन परिश्रम के बाद इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। मैं सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं और उनके भावी प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। उनके द्वारा प्रस्तुत उदाहरण का अनुकरण करने के लिए अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करना चाहूंगा।
धन्यवाद!
जयहिन्द