राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक पुरस्कार-वयोश्रेष्ठ सम्मान 2015 प्रदान करने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 01-10-2015
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अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर आज आपके बीच उपस्थित होना वास्तव में मेरे लिए एक सुखद अवसर है। वृद्धों को उल्लेखनीय सेवा प्रदान करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को‘वयोश्रेष्ठ सम्मान’के द्वारा सम्मानित करना मेरा सौभाग्य है।
2. अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस वृद्धजनों से संबंधित मुद्दों पर पुन: ध्यान केंद्रित करने का एक अवसर है। लोगों की जीवन प्रत्याशा वर्षों के दौरान धीरे-धीरे बढ़ी है। जन्म के समय जीवन प्रत्याशा1990 के 59वर्ष से बढ़कर 2013 में बढ़कर66 वर्ष हो गई है। पूरे विश्व में वृद्धों की आबादी बढ़ रही है। भारत भी अपवाद नहीं है। यद्यपि भारत में सबसे अधिक युवा हैं,परंतु यहां वृद्धजनों की संख्या भी काफी है। 2011की जनगणना के अनुसार,देश की कुल आबादी में60 वर्ष से अधिक आयुवर्ग की संख्या8.6 प्रतिशत थी जिन्हें वृद्ध माना जा सकता है। आने वाले वर्षों में आयु निर्भरता की घटना में वृद्धि होगी। इससे ऐसे अनेक मुद्दे पैदा होंगे जिनसे अधिक व्यापक तरीके तथा तात्कालिकता के साथ निपटना होगा। वृद्धजन अनिश्चित काल तक प्रतीक्षा नहीं कर सकते क्योंकि उनके लिए समय निकलता जा रहा है।
देवियो और सज्जनो,
3. वृद्धावस्था से संबंधित समस्याओं को युवा पीढ़ी द्वारा न तो अनुभव किया जाता है न ही पूरी तरह समझा जाता है। वृद्धजनों के सम्मुख चुनौतियों के प्रति समाज के विभिन्न वर्गों को जागरूक करने की आवश्यकता है। सामाजिक एकाकीपन,उपेक्षा तथा प्यार, देखभाल और भावनात्मक सहयोग की कमी आमतौर पर ऐसे प्रमुख कारण हैं जिनका वृद्धजन सामना करते हैं। युवा पीढ़ी को न केवल परिवार बल्कि समाज के वृद्धों को सम्मान,प्रेम और देखभाल प्रदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए। पीढ़ियों के बीच सामाजिक संबंध मजबूत करने की जरूरत है।
4. वृद्धजन कम शारीरिक शक्ति,कम प्रतिरक्षा,पहले से मौजूद रोगों के बढ़ने और संवेदक एवं संचालन अक्षमता की शुरुआत,कमजोर स्मृति तथा बौद्धिक क्षमता में कमी सहित अनेक शारीरिक दिक्कतों का सामना करते हैं। इस प्रकार की खराब स्वास्थ्य दशा का हमारे वरिष्ठ नागरिकों के शारीरिक,भावनात्मक और आर्थिक कुशलता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यदि कोई बुजुर्ग वहनीयता या सुलभता के अभाव के कारण विशिष्ट चिकित्सीय देखभाल हासिल करने में असमर्थ है तो इससे,पहले से मौजूद उसकी दिक्कतों में वृद्धि होगी। यह जरूरी है कि वृद्धों की देखभाल करने वाले संस्थान स्थापित किए जाएं,सुदृढ़ किए जाएं तथा सामान्य जन के लिए वहनीय बनाए जाएं।
देवियो और सज्जनो,
5. वृद्धों के सम्मान और देखभाल की भारतीय परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। उन्हें परिवार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। हमें अपनी इस सामाजिक-सांस्कृतिक संपत्ति को नष्ट नहीं होने देना चाहिए। संयुक्त से एकल परिवार के सामाजिक बदलाव के बावजूद हमें अपने परिवार में बूढ़े हो रहे लोगों की मदद करने का सामर्थ्य और इच्छा पैदा करने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसे अमल में लाने के लिए,वृद्धों की देखभाल प्रदाताओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। इस क्षेत्र में प्रशिक्षण देने और कौशल प्राप्ति के ऐसे लिए राज्यों में संस्थान स्थापित किए जाएं जहां इनकी कमी या अभाव है। युवाओं को आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण अर्जित करने के लिए जागरूक करना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वरिष्ठ नागरिकों की समुचित देखभाल करने की एकल परिवारों की क्षमता में प्रशिक्षित वृद्ध देखभाल प्रदाताओं के अभाव से रुकावट न आ जाए।
देवियो और सज्जनो,
6. जरूरतमंद वृद्धजनों को संस्थागत देखभाल प्रदान करने की सुविधाएं पर्याप्त संख्या में आरंभ की जानी चाहिए। राज्यों और स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करने में बढ़त हासिल करनी चाहिए कि संस्थागत देखभाल प्रदान करने की समुचित व्यवस्था जरूरतमंद की पहुंच में हो। स्वैच्छिक क्षेत्र तथा कारपोरेट क्षेत्र द्वारा निवासियों को वृद्ध स्वास्थ्य देखभाल सुविधा सहित व्यापक देखभाल उपलब्ध करवाने के लिए संस्थागत स्वास्थ्य केंद्र स्थापना हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए।
देवियो और सज्जनो,
7. वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर कानून बने हुए हैं। यद्यपि बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में,इन कानूनों की प्रभावशीलता और प्रमाणिकता का निरंतर मूल्यांकन करना होगा। यदि आवश्यक हो तो विधिक प्रावधानों का पुन: अवलोकन तथा उनमें आवश्यक संशोधन करना चाहिए।
मजबूती से कार्यान्वित एक सुदृढ़ कानूनी ढांचा हमारे देश के वृद्धजनों की हिफाजत,सुरक्षा और कुशलता सुनिश्चित करवाने में मदद करेगा।
8. वरिष्ठ नागरिक भी अपने जीवन को सार्थक बनाने तथा जिस समाज में रहते हैं,उसे समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वरिष्ठ नागरिक अपने अनुभव और ज्ञान प्रदान करके समाज की बेहतरी में काफी योगदान कर सकते हैं।
9. इन्हीं कुछ शब्दों के साथ,मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं एक बार पुन: उन सभी को अपनी बधाई देता हूं जिन्हें आज‘वयोश्रेष्ठ सम्मान’से पुरस्कृत किया गया है। मैं यहां उपस्थित सभी वरिष्ठ नागरिक को अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाली की शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद!
जयहिन्द।