अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस, 2014 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 08-09-2014

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मुझे अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाने के लिए इस अपराह्न आपके बीच उपस्थित होकर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। यह अवसर हमें पढ़ने और लिखने की योग्यता के महत्व की याद दिलाने का अवसर है। यह सीखने के उन अवसरों पर जोर देने का अवसर है जिनसे वे लोग लाभ उठा सकते हैं और उन्हें उठाना चाहिए जो इन कौशलों को सीखने के इच्छुक हैं। यह एक अवसर है जब सभी भागीदार साझे लक्ष्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। आज हम व्यक्तियों और संगठनों के सफल प्रयासों का उत्सव मना रहे हैं और हम उनको सम्मानित कर रहे हैं जिन्होंने प्रौढ़ साक्षरता के प्रसार में उल्लेखनीय योगदान किया है।

देवियो और सज्जनो,

2. साक्षरता अपने पूर्ण अर्थ में शिक्षा की ओर ले जाती है। इससे जरूरी ज्ञान तथा प्रवीणता हासिल होती है। ये व्यक्ति के लिए उसके समूह या जिस समुदाय से वह है,के प्रभावी कामकाज के साधन होते हैं। वह उसे सशक्त बनाते हैं और उसकी क्षमता का विस्तार करने में तथा उसके अपने और समग्र समुदाय के हितों के लिए काम करने में सहायक होते हैं।

3. अपनी समसामयिकपरिभाषा के अनुसार साक्षरता का अर्थ है, ‘‘शब्द’’के बजाय’’विश्व को पढ़ना’’। यह हमें अधिक अनुभवी बनाती है और परिणामत: विचारों और नजरियों का बेहतर आदान-प्रदान होता है। इनसे उन उद्देश्यों को प्राप्त करने की समझ और सहयोग बढ़ता है जिनको समाज मिलकर तय करता है। इस प्रकार,एक साक्षर और शिक्षित समाज लोकतांत्रिक तरीकों से समावेशी आर्थिक और सामाजिक कल्याण की दिशा में अपना रास्ता बेहतर ढंग से खोज सकता है। इसका अर्थ यह है कि जितना साक्षर समाज होगा उसका समग्र एकीकरण,प्रगति और विकास उतना ही अधिक होगा। इसलिए, निरक्षरता को मिटाने की कार्य योजना न केवल साक्षरता के मूर्त पहलुओं पर केंद्रित होनी चाहिए बल्कि इसके अमूर्त और अंतर्निहित पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

4. हमारे राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, ‘निरक्षरता एक पाप और अपमान है और इसे मिटा दिया जाना चाहिए।’आज अपनी 67वर्षों की स्वतंत्रता के बाद,हम कहाँ हैं?साक्षरता दर 1951 की 18 प्रतिशत से चार गुना बढ़कर 2011 में 74 प्रतिशत हो गई है। इसके बावजूद, हमारी साक्षरता दर विश्व के 84प्रतिशत के औसत से कम है। 12वीं योजना के अंत तक 80 प्रतिशत का प्राप्ति लक्ष्य तय किया गया है। इसी अवधि में,हमारा लक्ष्य लैंगिक अंतर को 16 से10प्रतिशत अंक तक कम करने का भी है। तथापि, प्रौढ़ साक्षरता की दिशा में हमारी प्रगति असंतुलित है तथा व्यापक असमानताएं अभी भी दिखाई देती हैं। जहां केरल,हिमाचल प्रदेश और मिजोरम ने काफी श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है, बहुत से अन्य राज्य पिछड़े हुए हैं। अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां,अल्पसंख्यक तथा अन्य पिछड़े वर्ग जो हमारी जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा हैं,की साक्षरता की दर बहुत कम है। इसलिए, इन सभी वर्गों को बराबरी के स्तर पर लाने के लिए ध्यान केंद्रित करने की अत्यंत आवश्यकता है ताकि हम राष्ट्रीय लक्ष्यों की दिशा में अधिक तेजी से बढ़ सकें।

देवियो और सज्जनो,

5. साक्षरता में लैंगिक असमानता एक अन्य महत्वपूर्ण चुनौती है। जैसा कि हमें बताया गया है पुरुष और महिला साक्षरता दर क्रमश:80.89 और 64.64 प्रतिशत है। हमें और बेहतर करने की जरूरत है। भारत सरकार द्वारा महिला साक्षरता को सामाजिक विकास कार्यक्रमों का वर्धक मानना उचित है। इस संदर्भ में,मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि राष्ट्रीय साक्षरता मिशन ने महिला साक्षरता की दिशा में अपने प्रयास बढ़ा दिए हैं। यदि यह मिशन भारतीय महिला को अपने जीवन और स्वास्थ्य का ध्यान रखने में सक्षम कर सके और वह अपने आसपास भौतिक और सामाजिक वातावरण में अधिक आत्मविश्वास महसूस करे, यदि वह साक्षरता अभाव, भेदभाव और अन्याय को दूर करने में उसकी मदद कर सके तो हम कह सकते हैं कि एक महत्वपूर्ण उद्देश्य हासिल हो गया है। जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया है,हमारा उद्देश्य साक्षरता दर को न केवल विश्व औसत तक बल्कि विश्व के अग्रणी समाजों द्वारा प्राप्त स्तर तक लाना है।

6. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि साक्षर भारत कार्यक्रम अपने राष्ट्रीय,राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर पर संस्थागत ढांचे सहित देश के कम महिला साक्षरता जिलों के ग्रामीण इलाके में संचालित हो रहा है।1.5लाख से अधिक ग्राम पंचायतों में स्थापित लोक शिक्षा केन्द्र एक बढ़िया पहल है। मुझे इस कार्यक्रम के‘स्वयंसेवक आधारित जन-अभियान’ के बारे में भी जानकर भी प्रसन्नता हुई है जिसमें स्वयंसेवक निरक्षरों के प्रेरक,प्रशिक्षक और अध्यापक के रूप में कार्य करते हैं। मैं इस अभियान में भाग ले रहे स्वयंसेवकों को बधाई देता हूं और साक्षरता के प्रति उनके कार्य के लिए धन्यवाद करता हूं।

7. मैं उन ‘शिक्षार्थियों’,नव साक्षरों के उल्लेखनीय प्रयासों की भी सराहना करता हूं जिन्होंने सरकारी कार्यक्रमों के प्रति रुचि दिखाई है। उन्होंने प्रौढ़ शिक्षार्थियों के साक्षरता कौशल के मूल्यांकन के लिए 2010 में आरंभ किए गए ‘‘मूल्यांकन और प्रमाणन’’पहल में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। यह जानकर संतोष होता है कि इस कार्यक्रम की शुरुआत से लगभग2.86 करोड़ शिक्षार्थियों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान द्वारा साक्षर प्रमाणित किया गया है तथा प्रमाणपत्र दिए गए हैं। मुझे बताया गया है कि इन सफल प्रतिभागियों या‘नवसाक्षर’ जैसा कि उन्हें कहा जाता है,के समूहों को आज के समारोह में भाग लेने के लिए अनेक राज्यों से आमंत्रित किया गया है। मुझे विश्वास है कि उन्हें अपने शिक्षण को उपयोगी रूप में इस्तेमाल करने की और इनके फायदों का प्रयास करने की प्रेरणा मिलेगी। मैं उनसे अपेक्षा करता हूं कि वे अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में प्रौढ़ साक्षरता कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सरकार और स्वयंसेवी एजेंसियों के प्रयासों को मजबूत बनाएंगे।

देवियो और सज्जनो,

8. हमें अभी उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत प्रयास करने हैं जो हमने निर्धारित किए हैं। जहां साक्षर भारत का प्रमुख बल प्रौढ़ निरक्षरों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करने पर है,वहीं साक्षरता कार्यक्रमों से निकलने वाले नवसाक्षरों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की मांग बढ़ती जा रही है। यह एक अच्छा प्रस्ताव है;इससे नवसाक्षरों को अपने ज्ञान का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी;उन्हें वह औपचारिक स्कूली शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा जो उन्हें कभी नहीं मिल पायी थी। इस दिशा में‘समानता कार्यक्रम’के जरिए शुरुआत हो चुकी है।

9. मैं जोर देना चाहूंगा कि भारत की समग्र साक्षरता की दिशा में प्रगति की सफलता अंतत: दो कारकों पर निर्भर करेगी। एक,सार्थक और प्रभावी समर्थन तथा दूसरा, निरक्षरों को साक्षरता की मुख्यधारा में लाने के लिए समग्र समाज का सहयोग और मदद। भारत में प्रौढ़ शिक्षा अब तक कुछ हद तक स्वयंसेवी एजेंसियों की भागीदारी सहित,सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी बनी हुई है। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण कार्पोरेट और निजी क्षेत्र को सरकारी प्रयासों में शामिल होने तथा अनेक तरह के सहयोग द्वारा योगदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इसकी अच्छी प्रतिक्रिया हासिल हुई है। इसलिए मैं इस अवसर पर एक ओर राज्य सरकार, पंचायती राज संस्थाओं का आह्वान करता हूं तथा दूसरी ओर पुनरुत्थानशील भारत के सभी भागीदारों,कार्पोरेट और निजी क्षेत्रों, स्वेच्छिक एजेंसियों तथा सिविल समाज संगठनों से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरी शक्ति के साथ एकजुट होकर प्रयास करने की अपील करता हूं।

10. इन्हीं शब्दों के साथ, मैं साक्षर भारत पुरस्कार2014 के सभी विजेताओं तथा इन पुरस्कारों को आरंभ करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय को बधाई देता हूं। मुझे विश्वास है कि ये पुरस्कार भारत में समग्र साक्षरता की दिशा में और अधिक प्रयासों को प्रेरित करेंगे।

मैं राष्ट्रीय साक्षरता मिशन प्राधिकरण को धन्यवाद देता हूं और कामना करता हूं कि इस कार्यक्रम के भागीदारों के प्रयासों में महान सफलता की कामना करता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिन्द।