इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के 26वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 12-04-2013
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मुझे आज इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, जिसे ‘जनता का विश्वविद्यालय’ भी कहा जा सकता है, के 26वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के लिए यहां आकर बहुत प्रसन्नता हो रही है।
इस दीक्षांत समारोह में समाज के विभिन्न वर्गों से बहुत से विद्यार्थी इकट्ठा हुए हैं। मैं इस विश्वविद्यालय के विभिन्न क्षेत्रीय केंद्रों के उन सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूं जो अपनी डिग्री, डिप्लोमा और अन्य पुरस्कार प्राप्त करने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं।
इस विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले शिक्षार्थी विभिन्न परंपरागत तथा नवान्वेषी क्षेत्रों में तथा क्षमता-आधारित कार्यक्रमों में ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्सुक लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कार्यक्रम विश्वविद्यालयी शिक्षा की ऐसी नवान्वेषी प्रणाली के द्योतक हैं जो ज्ञान प्राप्ति को बढ़ावा देते हैं तथा ज्ञान के नए क्षेत्रों में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करते हैं।
देवियो और सज्जनो, हमारे देश में उच्च शिक्षा की मांग इसकी आपूर्ति से कहीं अधिक है। इसमें कोई संदेह नहीं कि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान भारत में शिक्षण संस्थाओं की सघनता प्रति एक हजार वर्ग किलोमीटर, 10 से बढ़कर 14 हो गई है। परंतु बहुत से स्थानों पर अभी भी शिक्षण संस्थान मौजूद नहीं हैं।
इसके फलस्वरूप उच्च शिक्षा में नामांकन की दर में कमी आई है। भारत में 18 से 24 वर्ष की आयु समूह की केवल 7 प्रतिशत जनसंख्या उच्च शिक्षा में प्रवेश लेती है जबकि जर्मनी में यह संख्या 21 प्रतिशत है और अमरीका में 34 प्रतिशत है। विद्यार्थियों तक उच्च शिक्षा की पहुंच में वृद्धि करना, खासकर सुदूर स्थित क्षेत्रों में, नामांकन की दर बढ़ाने के लिए अत्यावश्यक है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि 27 वर्षों की अवधि के दौरान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय देश में मुक्त तथा दूरवर्ती शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी स्थान बना चुका है। भारत तथा 43 अन्य देशों के 67 क्षेत्रीय केंद्रों, 3350 विद्यार्थी सहायता केंद्रों तथा 82 विदेशी केंद्रों के नेटवर्क द्वारा 30 लाख विद्यार्थियों की शिक्षा की जरूरत पूरी करता है।
मैं 21 शिक्षण स्कूलों के माध्यम से संचालित 477 शिक्षण कार्यक्रमों के लिए अध्ययन सामग्री तैयार करने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को बधाई देता हूं। इसकी स्वाध्याय सामग्री इसकी विशेषता रही है और इसके लिए कामनवेल्थ ऑफ लर्निंग द्वारा इसे उत्कृष्टता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। इस विश्वविद्यालय ने यह दिखाया है कि नामांकन की संख्या में बढ़ोतरी द्वारा, परिमाण में वृद्धि तथा गुणवत्ता युक्त शिक्षा दोनों एक साथ सार्थक ढंग से प्राप्त किए जा सकते हैं।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने हमारे देश में ‘मुक्त एवं दूरवर्ती शिक्षा’ आंदोलन को लोकप्रियता प्रदान की है। इस तरह के कार्यक्रमों में जहां 2006-07 में 27 लाख नामांकन हुए थे वहीं ये 2011-12 में बढ़कर 14 लाख तक पहुंच गए।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना भारतीय शिक्षा के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण क्षण था। इसने ऐसे बहुत से लोगों को अवसर उपलब्ध कराए हैं जो कि औपचारिक शिक्षा नहीं पा सके अथवा जो अपनी अकादमिक योग्यता को बढ़ाना चाहते थे या फिर जो आत्म समृद्धि के लिए तथा ज्ञान के उन्नयन के लिए पढ़ना चाहते थे। इसने उच्च शिक्षा को जन-सामान्य तक पहुंचाया तथा किशोरों और कामकाजी वयस्कों सहित, विभिन्न आयु समूहों ने इसका लाभ उठाया।
इसके साथ ही, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के समक्ष भी अन्य संस्थानों की तरह ही कुछ चुनौतियां हैं। इनमें तकनीकी अथवा प्रबंधकीय चुनौतियों से लेकर ढांचागत और प्रणालीगत चुनौतियां शामिल हैं। उदाहरण के लिए, यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि विद्यार्थियों को उचित समय पर पाठ्य सामग्री प्राप्त हो जाए। कार्यक्रमों में तथा पाठ्य सामग्री में सुधार के लिए तथा विद्यार्थियों के नामांकन की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए प्रौद्योगिकीय उन्नति, खासकर सूचना प्रौद्योगिकी तथा संचार, का उपयोग करना होगा। मुझे इस बात की खुशी है कि विश्वविद्यालय ने इन चुनौतियों से कारगर ढंग से निपटने के लिए सौ से अधिक वीडियो कॉन्फ्रेंस केंद्र स्थापित किए हैं तथा अन्य स्टेकधारकों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। मुझे उम्मीद है कि विश्वविद्यालय द्वारा सुदूर क्षेत्रों अथवा सामाजिक या आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा प्रौद्योगिकी के इस्टतम उपयोग में सहायता देने के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी।
मित्रो, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को उन सभी लोगों को विभिन्न स्तर पर, आवश्यकता आधारित शिक्षा प्रदान करने के अधिदेश के साथ आरंभ किया गया था जिन्हें इसकी जरूरत हो। परंतु यह ध्यान में रखना होगा कि आवश्यकताएं समय के साथ बदलती रहती हैं। पाठ्यचर्या में इन बदलती जरूरतों और परंपराओं का प्रतिबिंबन होना चाहिए। ज्ञान का सृजन इतनी तेजी से हो रहा है कि चीजें हमारी जानकारी में आने से पहले ही अप्रचलित और अप्रासंगिक हो जाती हैं। इसलिए मौजूदा सामग्री का, नई जानकारी के साथ निरंतर अध्ययन और समीक्षा अत्यंत आवश्यक है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को एक अन्य परिघटना, वैश्वीकरण पर भी ध्यान देना चाहिए। वैश्वीकरण ने समाज को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को अपनी व्यापक वैश्विक उपस्थिति के साथ, अपने कार्यक्रमों में एक अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य विकसित करना चाहिए। वैश्विक अध्ययन को अंतर्विधात्मक परिप्रेक्ष्यों के साथ संयोजित किया जा सकता है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को विश्व विमर्श को प्रभावित करने की दृष्टि से भारतीय और तृतीय विश्व की कार्यसूची को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का माध्यम बनना चाहिए।
राष्ट्रीय स्तर पर, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को एक ऐसी सुसंबद्ध नीति बनाने के लिए योगदान करना चाहिए जिसमें नागरिक समान आधार पर एक साझे भविष्य के निर्माण की प्रक्रिया में भाग ले सकें। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को आदान-प्रदान के अवसर पैदा करने चाहिए, जिससे पूरे राष्ट्र के विद्यार्थी एक दूसरे से सम्पर्क कर सकें और प्रेरणा प्राप्त कर सकें। इस तरह से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय राष्ट्र निर्माण के लिए विद्यार्थियों को तैयार कर सकता है।
आज के प्रतिस्पर्धात्मक विश्व में जीवन-पर्यंत शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक हो गया है। उच्च शिक्षा सेक्टर को इस नए अवसर के लिए आगे आना होगा। शिक्षा ग्रहण करने की कोई अंतिम सीमा नहीं होती, इसलिए ‘कामकाजी छात्र’ एक नया मांग क्षेत्र होगा। हमारे विश्वविद्यालयों को इस तरह के जीवन पर्यंत शिक्षा ग्रहण करने वालों के लिए कार्यक्रम डिजायन करने चाहिए।
भविष्य में विभिन्न जीविकोपार्जन संबंधी लक्ष्यों में मदद देने वाले अकादमिक कार्यक्रमों की और मांग बढ़ेगी। शिक्षण प्रणाली को विद्यार्थी की गति के साथ तालमेल बैठाना होगा। अब शिक्षण, परिसर से बाहर, घर, कार्यस्थल और कार्य क्षेत्र में हो रहा है। इन उभरती हुई वास्तविकताओं के लिए मुक्त और दूरवर्ती शिक्षण बिल्कुल उपयुक्त है।
विश्व की विशालतम मुक्त विश्वविद्यालय प्रणाली, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय को मुक्त और दूरवर्ती शिक्षण में प्रणाली के अग्रणी बनाने पर गौरवान्वित होना चाहिए। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय तथा राज्य स्तरीय मुक्त विश्वविद्यालयों का नेटवर्क एक ऐसा समूह है जो देश के सूदूर स्थानों में रहने वाले, पिछड़े हुए, उपेक्षित और वंचित विद्यार्थियों की ज्ञान आवश्यकताओं पर ध्यान दे रहे हैं।
आज यहां अपनी डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र प्राप्त कर रहे इस विश्वविद्यालय के 1.5 लाख से अधिक विद्यार्थी देश के विभिन्न भागों में विकास को प्रोत्साहन देने वाले मार्गदर्शक के समान हैं। मैं उन्हें बधाई देता हूं तथा विश्वविद्यालय और नव-स्नातकों के प्रयासों की सफलता की कामना करता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!