भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 25-01-2014

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Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee at Fourth National Voter's Day Organizes by the Election Commision of Indiaमैं इस चतुर्थ राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर अतिविशिष्ट श्रोता समूह के साथ अपने कुछ विचार बांटने के लिए आमंत्रित किए जाने पर वास्तव में प्रसन्न हूं और मुख्य चुनाव आयुक्त और उनके सहयोगियों की सराहना करता हूं। मात्र 64 वर्ष पूर्व आज ही के दिन, हमारे संविधान के संस्थापकों ने हमारे देश को चुनावों के आयोजन और निगरानी के लिए यह अद्वितीय संगठन प्रदान किया था।

मुझे राष्ट्र के लिए मतदाता दिवस के महत्त्व पर बल देने की आवश्यकता नहीं है। इसने अपने प्रतिनिधि चुनने की स्वतंत्रता द्वारा अपना भविष्य नियत करने की जनता की शक्ति की पुन: पुष्टि की है। यह सुनिश्चित करते हुए कि निर्वाचन आयोग अपनी स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा को कायम रखे, संविधान के अनुच्छेद 324 में, ‘इसे मतदाता सूची तैयार करने का प्रबंधन, निर्देशन और नियंत्रण तथा संसद और प्रत्येक राज्य की विधान सभा तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव आयोजित’ करने की शक्ति दी गई है। इसलिए, यह एक ऐसा संगठन है जिसके विशाल दायित्व हैं और जिसके कुशल कामकाज का देश के लोकतंत्र की गुणवत्ता पर विलक्षण प्रभाव पड़ता है।

देवियो और सज्जनो,

3. हम सभी इस बात पर गौरवान्वित हो सकते हैं कि भारत विश्व का विशालतम सक्रिय लोकतंत्र है। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, हम एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश का सफलतापूर्वक निर्माण कर सके। तब से हम लोकतांत्रिक बुनियादों पर टिके हुए हैं। इसी दौरान जिन बहुत से राष्ट्रों ने स्वतंत्रता हासिल की थी, उन्होंने भी शासन की लोकतांत्रिक प्रणालियां अपनायी थीं, परंतु भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में से एक है, जो अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं को सशक्त बनाने में कामयाब रहा है। तुलनात्मक रूप से, दुर्भाग्यवश अधिकांश राष्ट्र तानाशाही शासन में बदल गए जबकि भारत ने अनेक चुनौतियों पर विजय प्राप्त की और एक ऐसा लोकतांत्रिक ढांचा तैयार किया जो बहुत से तौर-तरीकों के मामले में बेजोड़ है।

हमारी प्रतिनिधि संस्थाएं जनता की आशाओं और आकांक्षाओं की प्रतिरूप हैं और साथ ही उनकी शिकायतों को आगे बढ़ाने के मंच के तौर पर भी कार्य करती हैं।

लोगों को विकास और सामाजिक उन्नति के साझे कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए इन संस्थाओं पर विश्वास है। लोगों की आवश्यकताओं के प्रति उनकी सक्रियता का जनता द्वारा निरंतर आकलन किया जाता है परंतु चुनावों के जरिए भी उनसे हिसाब भी मांगा जाता है।

स्वतंत्र, निष्पक्ष और सहभागितापूर्ण चुनावों के आयोजन द्वारा ही हमारा लोकतंत्र बहुत से दृष्टिकोण से विश्व में सबसे ऊर्जावान बन गया है।

इस सफलता में, निर्वाचन आयोग की भूमिका उल्लेखनीय रही है। इसे जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, वे भीषण थीं। 2009 में 716 मिलियन से अधिक मतदाताओं, जो कि विश्व के तीसरे, चौथे और पांचवें विशालतम राष्ट्रों की इकट्ठी जनसंख्या के बराबर है, और आठ लाख तीस हजार मतदान केन्द्रों का प्रबंधन कोई आसान कार्य नहीं है। भारत का निर्वाचन आयोग इस देश के नागरिकों को एक ऐसी प्रणाली प्रदान करने के लिए हमारी प्रशंसा का पात्र है जो पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करती है। लोकतंत्र के प्रोत्साहन में इसकी भूमिका इतनी कुशल है कि इसने एक अनुकरणीय नमूने के तौर पर विश्व पहचान बनाई है। मैं इस सराहनीय उपलब्धि के लिए निर्वाचन आयोग को बधाई देता हूं।

देवियो और सज्जनो,

निर्वाचन प्रक्रिया में लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी एक स्वस्थ लोकतंत्र की कुंजी है। इसलिए, मतदाता की किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव में केन्द्रीय भूमिका है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची की प्रक्रिया को सरल और सुविधाजनक तथा मतदान के अनुभव को जनसहायक बनाने की पहल की हैं।

यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि नागरिक समाज संगठन, कॉरपोरेट क्षेत्र, शिक्षा संस्थाएं, मीडिया इत्यादि इस साझे लक्ष्य में निर्वाचन आयोग के साथ शामिल हो गए हैं। मुझे चुनावों में उत्सुकतापूर्ण भागीदारी के लिए मतदाताओं के बढ़ते रोमांच को देखकर प्रसन्नता होती है। निर्वाचन आयोग ने न केवल इस भावना को कायम रखा है बल्कि इसे और प्रबल भी बनाया है।

मुझे यह भी बताया गया है कि निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मतदाता दिवस प्रत्येक योग्य नागरिक को मतदाता सूची में शामिल करने के निरंतर प्रयास का एक हिस्सा है। इस अभियान का लक्ष्य 18-19 आयु समूह वाले नए योग्य मतदाता हैं। मुझे बताया गया है कि गत राष्ट्रीय दिवस के दौरान देश भर के लगभग 2.82 करोड़ नए मतदाताओं को पंजीकृत किया गया जिनमें से 93 लाख नए मतदाता थे। मुझे विश्वास है कि इस वर्ष संख्या और भी अधिक हो जाएगी। एक बार पुन: मैं इतने विराट कार्य के लिए निर्वाचन आयोग को बधाई देता हूं जिससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रत्येक योग्य नागरिक मतदाता सूची में शामिल हो जाए।

आयोग के प्रयासों के वास्तव में बेहतर परिणाम निकले हैं। यह इस वृद्धि से स्पष्ट हो जाता है कि मतदाताओं की संख्या 2012 में लगभग 76 करोड़ से बढ़कर 2013 में 79 करोड़ के करीब हो गई। एकजुट प्रयासों के कारण, राष्ट्रीय मतदाता दिवस ने थोड़े से समय में देश, विशेषकर युवाओं का ध्यान आकृष्ट किया है।

मैं दिल्ली के सभी युवा मतदाताओं को बधाई देता हूं जिन्होंने अभी-अभी अपने मतदाता पहचान पत्र प्राप्त किए हैं। मैं पूरे देश के उन लाखों अन्य युवा मतदाताओं को भी बधाई देता हूं जिन्हें आज सशक्त बनाया गया है। मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि अब आपके हाथ में अपने प्रतिनिधियों को चुनने की ताकत आ गई है। इस ताकत का प्रयोग करें और जिम्मेदारी से करें। मुझे आशा है कि आप सभी इस बार किसी भी उकसावे के बिना और संकीर्णता से अलग बहुत समझदारी और नैतिक तरीके से अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

देवियो और सज्जनो,

मुझे फील्ड के उन विशिष्ट अधिकारियों को भी सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है जिन्हें सर्वोत्तम निर्वाचक कार्यों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। मैं आप सभी को चुनाव के कुशल प्रबंधन, मतदाता पंजीकरण में सुधार, मतदाता भागीदारी में वृद्धि, मतदाताओं को जागरूक और प्रेरित करने, चुनाव के दौरान काले धन और समाचारों के लिए किए गए भुगतान का मुकाबला करने तथा लोगों के लिए मतदान का अनुकूल वातावरण सुनिश्चित करने में अमूल्य योगदान के लिए बधाई देता हूं। सदैव ध्यान रखें कि चुनाव प्रबंधन में आप और लाखों अन्य कार्मिकों की भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत बनाने में सबसे महत्त्वपूर्ण निर्णायक भूमिका है।

अंत में, मैं एक बार पुन: सभी योग्य नागरिकों से स्वयं को मतदाता के रूप में पंजीकृत करवाने और प्रत्येक चुनाव में गर्व के साथ मतदान करने का आग्रह करता हूं। बढ़ी हुई भागीदारी से भारत की निर्वाचन प्रक्रिया और लोकतंत्र दृढ़ता व सशक्तता के साथ विकास करता रहेगा। मैं एक बार पुन: भारत के निर्वाचन आयोग को इसकी सभी उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूं और भावी वर्षों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद, 
जय हिंद!