भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के वार्षिक दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 09-11-2013
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मुझे, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के 44वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आपसे मिलकर प्रसन्नता हुई। इस मनोरम परिसर में आपके बीच उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
2. सबसे पहले, मैं उन सभी को बधाई देता हूं, जो आज पदक और उपाधियां प्राप्त करेंगे। आपके समर्पण, सच्चे प्रयास और शैक्षिक प्रतिभा ने आपको उपलब्धि के इस स्तर तक पहुंचाया है। आज आपके शिक्षण की दीर्घकालिक प्रक्रिया शुरू हो रही है जिसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और इसके उत्कृष्ट संकाय ने आपको तैयार किया है।
3. आपके पास ज्ञान है जो आपको अध्ययन के चुने हुए क्षेत्र में अद्वितीय आत्मविश्वास देता है। परंतु ज्ञान से विनम्रता भी आनी चाहिए। विनम्रता आपको दूसरों की प्रशंसा करना सीखाती है, आपको यह जानने में समर्थ बनाती है कि एक ही उद्देश्य को प्राप्त करने के अनेक दूसरे सही तरीके भी हो सकते हैं। विनम्रता आप में समाज और देश के संदर्भ में अपना जरूरी मूल्यांकन करने की क्षमता पैदा करती है। खुली मानसिकता युक्त और सहनशील बनिए। प्रश्न पूछने का उत्साह और जिज्ञासा कभी मत छोड़ें। जिसे आप ठीक मानते हैं, उस पर अडिग रहने की ताकत पैदा करें। आपके संस्थान ने जो ये गुण आप में डाले हैं, वे आपके जीविकोपार्जन में आपको आगे बढ़ने में उपयोगी बनेंगे।
4. यह हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की संकल्पना थी जिसने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली को जन्म दिया जिसका भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली एक सम्मानित सदस्य है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने उत्कृष्ट अवसंरचना के निर्माण के अपने स्वप्न को पूरी शक्ति के साथ पूर्ण करने का प्रयास किया है और 50 वर्ष से अधिक की अपने शानदार अस्तित्व के माध्यम से, स्वयं को विश्व के नक्शे पर दृढ़ता से स्थापित किया है।
5. आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के पूर्व विद्यार्थी भारत के सबसे अधिक सफल कार्पोरेट और सरकारी मंत्रालयों तथा देश और विश्व की अनुसंधान और नवान्वेषण प्रयोगशालाओं में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली की पृष्ठभूमि को साकार करते हुए तथा देश का नाम ऊंचा करते हुए, मानव कार्यकलापों के प्रत्येक क्षेत्र में सफल और अग्रणी हैं। हमारा देश, राष्ट्र निर्माण और आर्थिक विकास के लिए प्रौद्योगिक जनशक्ति तैयार करने में इन पूर्व विद्यार्थियों के योगदान पर गौरवान्वित है। आज, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान नियोक्ताओं, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और उद्योगपतियों के बीच एक वैश्विक ब्रांड बन चुका है। आप इस प्रतिष्ठित संस्थान के विद्यार्थियों की बढ़ती और विस्तृत होती सूची में शामिल होने जा रहे हैं। अपने संस्थान को सदैव याद रखें और इस महान संस्थान के और अधिक विकास में सक्रिय रूप से भाग लें। मैं उम्मीद करता हूं कि आप में से हर एक इस संस्थान को अपनी उपलब्धियों से गौरवान्वित करेंगे।
6. विद्यार्थियों की सफलता शिक्षा संस्थानों में अध्ययन के दौरान प्रदत्त उत्कृष्ट शिक्षा पर निर्भर करती है। अपनी प्रतिभा और मेहनत के अलावा, विद्यार्थियों की सफलता मुख्य रूप से विद्यार्थी काल के दौरान मार्गदर्शन पर भी निर्भर करती है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के संकाय ने ऐसे विद्यार्थियों का वर्ग तैयार करने में योगदान दिया है जिनका ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित है। वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय जनशक्ति के इस व्यवस्थित विकास ने भारत को एक ज्ञान शक्ति के भंडार के रूप में उभरने में भारत की मदद की है। इसके लिए, मैं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली संकाय के सदस्यों की सराहना करता हूं जिन्होंने गरीबी, अंधविश्वास और अज्ञानता की बेड़ियों से जनता की मुक्ति के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक प्रयोग के पंडित नेहरू के स्वप्न को साकार करने के लिए क्षमता से अधिक प्रयास किए हैं।
7. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से आज के युवाओं की बढ़ती संख्या को शिक्षित और सशक्त बनाने की अपेक्षा की जाती है। उत्कृष्ट शिक्षा का समाज पर सीधा प्रभाव पड़ता है। उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सभी नगारिकों के जीवन स्तर में सुधार कर सकती है। यह समाज को ऐसी प्रबुद्ध व्यवस्था में रूपांतरित कर सकती है जहां कोई भी व्यक्ति योग्यता और मेहनत से सफलता प्राप्त कर सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ने उत्कृष्टता को प्रोत्साहन दिया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थियों के लिए 21वीं शताब्दी में औसत दर्जे में बने रहने की बेड़ियों को तोड़ना एक प्रमुख चुनौती है। आप भविष्य में समाज और व्यवस्था का संचालन करने जा रहे हैं इसलिए इस चुनौती का समाधान आपके मन-मस्तिष्क में छिपा हुआ है।
8. भारत में श्रेष्ठ उच्च शिक्षा तक पहुंच एक भारी चुनौती है। बहुत बड़ी संख्या में भारतीय विद्यार्थी बेहतर उच्च शिक्षा के स्वप्न को पूरा करने के लिए विदेशी गंतव्यों की ओर जा रहे हैं। भारतीय विद्यार्थियों के निर्यातक के बजाय विदेशी विद्यार्थियों का आयातक बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए? क्या भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रौद्योगिकी के प्रभावी प्रयोग के द्वारा लाखों लोगों के श्रेष्ठ उच्च शिक्षा के सपने को पूरा करने का अवसर दे सकते हैं? इस दिशा में प्रयास हुए हैं परंतु बहुत कुछ किया जाना शेष है। हमें अपेक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए तेजी से और मिलकर आगे बढ़ना होगा।
9. हाल के समय में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली में एक बड़ा विस्तार हुआ है और सीटों की संख्या में वृद्धि हुई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की संख्या भी बढ़कर 16 हो गई है। साठ के दशक के शुरुआती वर्षों में मित्र देशों के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना की गई थी जिन्होंने एक वैज्ञानिक अभिरुचि वाला देश बनने के भारत के सपने को साकार करने में मदद की। मित्र देशों के संस्थानों द्वारा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को दी गई इस मदद ने हमें एक भावी मॉडल भी प्रदान किया। अब समय आ गया है जब स्थापित और पूर्व भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा राष्ट्रीय महत्त्व वाले अन्य संस्थानों को उच्च और तकनीकी शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर लाने के उन्हें उसी प्रकार का सहयोग और मदद प्रदान करनी चाहिए। ऐसे सहयोग से ही हम युवा पीढ़ी की उत्तम शिक्षा हासिल करने की आकांक्षा पूरी कर सकते हैं। मुझे विश्वास है कि आप सभी आने वाले वर्षो में इसे साकार करने के प्रयास में शामिल होंगे।
10. आज, भारत की अर्थव्यवस्था ज्ञान-उन्मुख है। ज्ञान, आधुनिक अर्थव्यवस्था की निधि है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली सहित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को नए ज्ञान के योगदानकर्ता के रूप में महत्त्वपूर्ण सहयोग देना चाहिए। ऐसा तभी हो सकता है जब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में स्नातकोत्तर शिक्षा और अनुसंधान को और अधिक सशक्त व संवर्धित किया जाए। हम जानते हैं कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली नैनो-प्रौद्योगिकी, उन्नत वस्त्र निर्माण, संचार प्रणालियां, एल्गोरिदम और पर्यावरणीय विज्ञान जैसे अनेक क्षेत्रों में उच्च स्तरीय अनुसंधान कर रहा है। परंतु भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान अपने पूर्व स्नातकों को स्नातकोत्तर शिक्षा और अनुसंधान की ओर आकर्षित करने में अधिक कामयाब नहीं रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को पूर्व स्नातकों को स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में शामिल करने के लिए कुछ कार्यनीति बनानी होगी। मुझे जानकारी है कि बहुत कम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के विद्यार्थी पीएच.डी. या कोई अन्य उच्च डिग्री वाली विशिष्ट शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। दीर्घकाल में इससे देश को ऐसे प्रतिभावान विशिष्ट तकनीकी कार्मिकों से वंचित होना पड़ेगा जो एक ज्ञानसंपन्न अर्थव्यवस्था में सबसे महत्त्वपूर्ण सम्पत्ति होती है।
11. ज्ञान, अनुसंधान और नवान्वेषण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में अप्रत्यक्ष संपत्ति का सृजन एक विकसित अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण संकेत है। अधिकांश उन्नत और कुछ विकासशील देश पेटेंट फाइलिंग के जरिए अप्रत्यक्ष सम्पत्तियों का सृजन और स्वामित्व कर रहे हैं। अनुसंधान और विकास पर बल देने के कारण ऐसा हो रहा है। अपने सुदृढ़ वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति आधार के बावजूद, भारत अप्रत्यक्ष सम्पत्ति के सृजन और पेटेंट के स्वामित्व के मामले में अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है। इस प्रवृति में बदलाव का समय आ गया है। यह प्रौद्योगिकी, इंजीनियरी और विज्ञान के अग्रणी क्षेत्रों में अनुसंधान के विशिष्ट कार्यक्रमों के माध्यम से ही संभव हो सकता है।
12. भारत में, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के 71,000 विद्यार्थियों में से लगभग 4000 पीएच.डी. विद्यार्थी हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में 60000 विद्यार्थियों में से लगभग 3000 पीएच.डी. विद्यार्थी हैं। इससे पता चलता है कि प्रतिभावान विद्यार्थी पर्याप्त संख्या में अनुसंधान और नवान्वेषण नहीं अपना रहे हैं। यदि हम इन विद्यार्थियों को अनुसंधान की ओर मोड़ दें तो बाद में वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और राष्ट्रीय महत्त्व की अन्य संस्थाओं में शिक्षक के रूप में शामिल हो सकते हैं। वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान सहित हमारे तकनीकी संस्थानों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।
13. विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर प्रकाशन के सम्बन्ध में, भारत सर्वोच्च 20 देशों में 12वें स्थान पर है। अनुसंधान और विकास में चीन में प्रति दस लाख व्यक्तियों पर 715 और अमरीका के 468 की तुलना में भारत में 119 अनुसंधानकर्ता हैं। हमें, प्रकाशन तथा अनुसंधान और विकास क्षेत्र में कार्यरत अनुसंधानकर्ताओं के मामले में अपना दर्जा बढ़ाना होगा। ऐसा तभी संभव है जब प्रतिभावान विद्यार्थी कम आयु में ही अनुसंधान और विकास को अपनाएं।
14. सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में व्यापक सुधार के लिए डॉ. काकोदकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली में पीएच.डी. विद्यार्थियों की संख्या लगभग दस वर्षों में दस गुना तक बढ़ाने तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रणाली में शिक्षकों की संख्या को लगभग दस वर्षों में 16000 तक बढ़ाने के लिए एक खाका तैयार किया है। इस खाके को तेजी से अमल में लाना चाहिए ताकि भारत अनुसंधान, नवान्वेषण और पेटेंट के क्षेत्र में अग्रणी के तौर पर उभर सके।
15. मैं जानता हूं कि सामान्यत: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और विशेषत: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली अब श्रेष्ठ पीएच.डी. इंजीनियर और वैज्ञानिक तैयार करने पर बल दे रहे हैं। मैं स्नातक कर रहे विद्यार्थियों से आग्रह करता हूं कि वे अपने जीविकोपार्जन विकल्पों पर पुनर्विचार करें। नए ज्ञान के अर्जन से आपको जो संतुष्टि, जो प्रसन्नता मिलेगी, उसकी तुलना वित्तीय लाभ से नहीं की जा सकती है। इस देश को एक तकनीकी महाशक्ति बनने के लिए हजार नहीं बल्कि लाखों पीएच.डी. विद्यार्थी तैयार करने होंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली अपने नवान्वेषी योजनाओं के जरिए इस दिशा में वास्तव में अग्रणी बन सकता है और अन्य संस्थानों के लिए एक आदर्श बन सकता है।
16. भगवद्गीता में शिक्षा के लक्ष्य को ‘दूसरे जन्म’—‘तद् द्वितीयम् जन्म:’ बताया गया है। आप दूसरे जन्म का उपयोग कैसे करेंगे, यह आपके हाथ में है। आप इस यात्रा में अपने भाग्य के स्वामी हैं और आपको भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली के योग्य शिक्षकों द्वारा पूरी तरह तैयार कर दिया गया है। मैं ईश्वर से इस महान संस्थान के प्रतिष्ठित परिसर को छोड़ने पर आपकी यात्रा की सफलता के लिए प्रार्थना करता हूं।
जयहिंद!