अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के 40वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 16-10-2012
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1. मुझे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के 40वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह संस्थान पंडित जवाहर लाल नेहरू और राजकुमारी अमृत कौर की संकल्पना के प्रति एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने एक ऐसे संस्थान की आवश्यकता का पूर्वानुमान लगा लिया था जो देश में चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में अग्रणी के रूप में उभर सकता है। एम्स उन शिक्षकों, कर्मियों और विद्यार्थियों के प्रति एक सच्चा सम्मान भी है जिन्होंने वर्षों के दौरान इस संस्थान को उत्कृष्टता की वर्तमान स्थिति तक पहुंचाने के लिए नि:स्वार्थ होकर कार्य किया। उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि यह संस्थान उन हजारों लोगों के लिए आशा और सहायता की किरण बनकर उभरा है जो अपने उपचार और कष्टों से राहत पाने के लिए इसके गलियारों में मौजूद रहते हैं। मैं, ऐसी उच्च प्रतिष्ठा वाले संस्थान के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करने का निमंत्रण पाकर सम्मानित अनुभव कर रहा हूं।
2. सबसे पहले मैं, आज उपाधि और पुरस्कार प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों और विद्वानों को बधाई देता हूं। दीक्षांत समारोह आपकी मेहनत का फल है और विद्यार्थी से पेशेवर, छात्रों से वैज्ञानिक में बदलाव का प्रतीक है। अब आप अपने शिक्षकों और परामर्शदाताओं से प्राप्त ज्ञान व कौशल का प्रसार करने वाले की भूमिका संभालेंगे। आपको, उपलब्धियों पर उल्लास और प्रसन्नता का अनुभव करते हुए, सौंपे गए दायित्व की गुरुता का भी ध्यान रखना चाहिए। ज्ञान और कौशल की जो मशाल आज आपने पाई है और जिन मूल्यों को आपने अर्जित किया है, उन्हें आपको अपने शिक्षकों की तरह उसी भावना व जोश के साथ आगे बढ़ाना है। यह एक आजीवन प्रतिबद्धता होनी चाहिए तथा आपके शिक्षक, परामर्शदाता और आपका महाविद्यालय भी संभवत: आपसे इसी गुरु दक्षिणा की अपेक्षा रखते हैं।
3. सरकार, संसद, मीडिया और आम जनता एम्स की अपेक्षा किसी अन्य संस्थान की ओर इतनी गंभीरता से गौर नहीं करती है क्योंकि वे एम्स को आयुर्विज्ञान में उत्कृष्टता का प्रतीक मानते हैं। हमारा देश इस संस्थान, इसके शिक्षकों और विद्यार्थियों से इसी प्रख्यात छवि पर खरा उतरने की उम्मीद करता है। एम्स को 2020 तक विश्व के 10 सर्वोत्तम चिकित्सा विश्वविद्यालयों में से एक बनना होगा। यह लक्ष्य बहुत महत्वाकांक्षी है परंतु असंभव नहीं है। मैं शिक्षकों, वैज्ञानिकों, विद्वानों, विद्यार्थियों और कर्मियों को यह दायित्व सौंपता हूं कि वे इसी लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें।
4. ज्ञान वर्तमान विश्व का प्रेरक है। आज हम विश्व मंच पर विभिन्न क्षेत्रों में महानता के शिखर पर खड़े हैं, आयुर्विज्ञान के क्षेत्र में हमारी ऊर्जा और नवान्वेषण अभी अपनी पूरी ऊंचाई तक नहीं पहुंचे हैं। हम एम्स से उम्मीद करते हैं कि वह नए उपचार खोजते हुए, कम खर्च पर स्वास्थ्य देखभाल के लिए वर्तमान व उभरती हुई प्रौद्योगिकियों का प्रयोग करते हुए, तथा रोगों की रोकथाम तथा स्वास्थ्य बनाए रखने के नए तरीके खोजते हुए स्वास्थ्य देखभाल के नवान्वेषण के मोर्चे पर भारत का नेतृत्व करे। एम्स को जैव-चिकित्सा अनुसंधान का ऊर्जा केन्द्र और दूसरों के लिए एक अनुकरणीय आदर्श बनना चाहिए। यह भूमिका एक जैव-चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के रूप में संस्थान की पहचान के लिए आवश्यक है और इससे आप एकदम अलग श्रेणी में आ जाते हैं। यह एक अच्छी बात है कि एम्स हरियाणा के झज्जर में अपना दूसरा परिसर स्थापित कर रहा है। हमें विश्व-स्तरीय उत्कृष्टता केंद्र निर्मित करने चाहिए जो न केवल परंपरागत विशेषज्ञताओं पर, बल्कि संक्रामक रोगों, प्रतिरोधक टीकों के विकास और पुनरुत्पादक विज्ञान जैसे विभिन्न विषयों पर केन्द्रित हों। आपको आगे बढ़ना होगा और चिकित्सा जगत का अग्रणी बनना होगा। सरकार आपके इस प्रयास में हर संभव सहयोग देगी परंतु एम्स के शिक्षकों और वैज्ञानिकों को यह दिखाना होगा कि वे जैव-चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान और नवान्वेषण की सीमाओं का विस्तार उच्चतम बिंदु तक कर सकते हैं।
देवियो और सज्जनो,
5. स्वास्थ्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में है। स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति, भविष्य में विश्व में भारत के श्रेष्ठ स्थान की कुंजी है। राष्ट्र की उत्पादकता इसके नागरिकों के स्वास्थ्य और सेहत पर निर्भर है। यदि आर्थिक विकास के साथ-साथ परिहार्य मृत्यु दर और अस्वस्थता में कमी न आए तो न तो यह सतत् हो सकता है और न ही वांछित ही।
6. मैं समाज के कमजोर वर्गों पर स्वास्थ्य और चिकित्सा खर्च के दुष्प्रभाव के बारे में बहुत चिंतित हूं। यह अस्वीकार्य है कि हमारे देशवासियों द्वारा स्वास्थ्य देखभाल पर व्यय का लगभग 80 प्रतिशत भुगतान व्यक्तिगत रूप से अपनी जेब से किया जाता है। मुझे यह जानकर कष्ट हुआ है कि हमारे देश के तकरीबन चार करोड़ लोग प्रतिवर्ष इलाज पर खर्च के कारण गरीब हो जाते हैं। इसलिए हमें याद रखना चाहिए कि गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा खुद कमजोर नहीं होनी चाहिए। हमें एक उच्च गुणवत्ता वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली निर्मित करनी चाहिए, जिसका प्रयोग गरीब और अमीर दोनों के द्वारा किया जा सके।
7. अब समय आ गया है कि भारत को अगले 2 से 3 योजना अवधियों में सबके लिए सेवा उपलब्ध हासिल करने का लक्ष्य बनाना चाहिए। आज स्वास्थ्य में बृहद और सतत् निवेश करने के लिए संसाधनों की उचित मात्रा का लाभ उठाना संभव है। मैं बारहवीं योजना अवधि के अंत तक, स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत सार्वजनिक व्यय की परिकल्पना करता हूं।
8. सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था सरकार की प्रतिबद्धता का विषय है। इसके लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को देशभर में काफी व्यापक व सुदृढ़ करना होगा। हमें और अधिक नर्सों, चिकित्सकों, पराचिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता है। हमें स्वास्थ्य देखभाल के नियोजन और कार्यान्वयन को जिला और उपजिला स्तर तक फैलाना चाहिए। हमें स्वास्थ्य सेवाओं को घरों के और नजदीक तक पहुंचाना होगा क्योंकि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी वर्तमान मानक और आवश्यकता की तुलना में काफी दूर है। हमें राज्य व केन्द्रीय स्तर पर स्वास्थ्य विभागों में तात्कालिक प्रबंधकीय और प्रशासनिक सुधारों की जरूरत है। हमें जन स्वास्थ्य काय्रक्रमों को आगे बढ़ाने वाले पेशेवरों की आवश्यता है। हमें निरंतर बढ़ती शहरी आबादी के लिए उपयोगी स्वास्थ्य देखभाल मॉडल निर्मित करने चाहिए। भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की नींव सुदृढ़, संवेदी और कुशल होनी चाहिए।
9. मैं सभी भागीदारों से आग्रह करता हूं कि वे आने वाले वर्षों में भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन के लिए एक ठोस सर्वसम्मति बनाने हेतु एकजुट हो जाएं।
देवियो और सज्जनो,
10. स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सुविधाओं की उन्नति के केन्द्र में जनता को रखना होगा। एम्स का की विलक्षणता है इसके कामकाज के के केंद्र में जनता का होना। समेकित बाल विकास सेवाओं, आयोडीन की कमी से होने वाले रोगों के नियंत्रण कार्यक्रम, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, डायरिया रोग, वृद्धों के स्वास्थ्य, एड्स नियंत्रण तथा गैर-संक्रामक रोग सहित राष्ट्रीय कार्यक्रमों में संस्थान का योगदान उल्लेखनीय है। तथापि, संस्थान के लिए देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की नई चुनौतियां न केवल श्रेष्ठता के लिए इसकी तत्परता के लिए बल्कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में योगदान के लिए भी अवसर प्रदान करती हैं। उत्कृष्टता दिल्ली तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि देश भर के उन करोड़ों लोगों तक पहुंचनी चाहिए जो उत्तम स्वास्थ्य सुविधाओं तक समतापूर्ण प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मैं स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद तथा संस्थान से आग्रह करता हूं कि वे एकजुट होकर कार्य करें। राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम में अनुसंधान तथा कार्यक्षेत्र अनुभव भी अबाध रूप से शामिल होना चाहिए। अनुसंधान केवल विद्वानों द्वारा प्रशंसा के लिए नहीं बल्कि समग्र रूप से लोगों के लाभ के लिए भी चाहिए।
11. मैं, सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों और विजेताओं को उनके भावी प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मैं उनसे आग्रह करता हूं कि वे स्वयं को मानवता की सेवा के प्रति समर्पित करके, राष्ट्र के इस स्वप्न को पूरा करें। यह आप और हम सभी का अपने महान देश के प्रति कर्तव्य है।
धन्यवाद,
जय हिंद।