विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 13वें दीक्षांत समारोह में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नागपुर : 15-09-2015
Download : Speeches (201.75 किलोबाइट)
1. मुझे आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। सर्व प्रथम, मैं उन्हें बधाई देता हूं जिन्होंने इस प्रतिष्ठित संस्थान से अपना उपाधि कार्यक्रम पूरा किया है। मैं,हमारे देश के एक विख्यात इंजीनियर, योजनाकार तथा राजनेता सर एम.विश्वेश्वरैया के नाम पर रखे गए इस संस्थान में मुझे आमंत्रित करने के लिए प्रबंधन को धन्यवाद देता हूं।
2. आज उनकी जन्म जयंती पर,भारत के इस महान सपूत को याद करते हुए मैं तकनीकी शिक्षा पर उनके दर्शन को उद्धरित करना चाहूंगा। उन्होंने कहा था, ‘कुछ निश्चित आदर्शों और संगठनों के बिना कोई बड़ा सुधार लागू नहीं किया जा सकता। यदि लोगों की जीवन रूपी गाड़ी में तेजी लाना चाहते हैं और एक व्यापक तथा परिपूर्ण जीवन जीने का शिक्षा देना चाहते हैं तो अनुसंधान, शिक्षा और संगठन हमारे नारे होने चाहिएं।’
मुझे प्रसन्नता है कि इस संस्थान ने इस दर्शन को साकार करने तथा प्रौद्योगिकी संवर्धन और सामाजिक हितों के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए कदम उठाए हैं। मुझे विश्वास है कि इस संस्थान से निकले सभी विद्यार्थी सर विश्वेश्वरैया के आदर्शों, संकल्पना और पेशेवर गुणों को अपनाएंगे। मुझे यह जानकर भी प्रसन्नता हुई है कि इस संस्थान का दीक्षांत समारोह सामान्यत: सर विश्वेश्वरैया की जयंती पर आयोजित किया जाता है जिसे इस दूरद्रष्टा जननायक को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए भारत में इंजीनियर दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
प्रिय विद्यार्थियो,
3. आज का दीक्षांत समारोह आपके जीवन के एक प्रमुख चरण के पूर्ण होने पर आयोजित किया गया है। आप सभी ने इस संस्थान के कार्यक्रम के माध्यम से ज्ञान, प्रौद्योगिकी और कौशल अर्जित करने के लिए कड़ी मेहनत की है। इन्हें प्राप्त करने के लिए आपको दबाव, उतार-चढ़ाव और व्याकुलता के क्षणों से गुजरना पड़ा होगा। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण दिवस पर, अपनी लगन, कड़ी मेहनत और समर्पण को अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्राप्ति में बदलते हुए देखकर आपको आनंद और प्रसन्नता का अनुभव हो रहा होगा। मुझे खुशी है कि आप सभी एक सक्रिय और कुशल कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए पेशेवर क्षेत्र में प्रवेश करेंगे तथा हमारे राष्ट्र के तकनीकी कौशल में भी बढ़ोतरी करेंगे।
देवियो और सज्जनो,
4. सामान्य तौर पर शिक्षा तथा विशेष तौर पर तकनीकी शिक्षा को हमेशा देश के आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक विकास के परिवर्तन के माध्यम के तौर पर देखा जाता है। हमने सदैव समाज की समस्याओं के समाधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर बल दिया है। मुझे 1966 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को अपने संदेश में कहा गया डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का यह कथन याद है, ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी भूख और गरीबी, रोग और निरक्षरता, अंधविश्वास और अप्रचलित रीति-रिवाजों,गरीब लोगों के समृद्ध देश के विशाल संसाधनों के व्यर्थ होने की समस्याओं के समाधान में सहायता करेंगे।’
हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा की शक्ति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ताकत को सही दिशा में लगाना होगा। इस संस्थान के स्नातकों के रूप में आप पर प्राप्त विज्ञान और प्रौद्योगिकी के ज्ञान का प्रयोग करते हुए सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत आरंभ करने का दायित्व है।
5. वर्तमान विश्व में प्रौद्योगिकी परिवर्तनकारी है। यह तेज बदलाव लाती है जिससे कई बार विकसित हो रहे प्रौद्योगिकीय वातावरण के साथ कदम से कदम मिलाना मुश्किल हो जाता है। प्रौद्योगिकी में तेज बदलाव के कारण॒निरंतर शिक्षण प्रक्रिया और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है। आज इस गरिमामय संस्थान से बाहर निकलने पर मैं आप सभी से अपने संगठन, समाज और देश को व्यापक लाभ पहुंचाने के लिए अपने ज्ञान और कौशल को निरंतर अद्यतन बनाए रखने का आग्रह करता हूं। मुझे विश्वास है कि इस संस्थान के शिक्षकों ने आपको अनेक चुनौतियों पर विजय प्राप्त करने तथा आपने जिस भी क्षेत्र में कार्य करने का निर्णय लिया है उसमें सफल नेतृत्व बनने के लिए सक्षम बनाया है।
मित्रो,
6. प्रौद्योगिकीविद, प्रौद्योगिकीय समस्याओं के समाधान तैयार करने के लिए वैज्ञानिक ज्ञान, गणित और कौशल प्रयोग करने पर विशेष बल सहित, इंजीनियरी के पेशेवर कर्मी होते हैं। प्रौद्योगिकविद जीवन के सभी क्षेत्रों में, वर्तमान प्रौद्योगिकी की सीमाओं से आगे और अधिक अमूर्त क्षेत्रों के साथ भौतिक विज्ञान की अपनी जानकारी समेकित करते हैं। उनके पास चुनने के लिए अनुसंधान, डिजायन, विश्लेषण, विकास, परीक्षण तथा बिक्री संबंधी पदों सहित अनेक प्रकार के कार्य होते हैं। प्रौद्योगिकीविद ऐसे समस्या समाधानकर्ता होते हैं जो कड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए त्वरित, बेहतर और कम खर्चीले तरीके ढूंढ़ते हैं। इस प्रकार आप जैसे प्रौद्योगिकीविद बेहतर कल के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज के बीच संबंध को समझने और उसे घनिष्ठ बनाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इस महत्वपूर्ण दिन,जब आप वास्तविक दुनिया की अपनी यात्रा आरंभ कर रहे हैं मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि मानवता के लाभ के लिए प्रौद्योगिकी का पूर्ण प्रयोग करने तथा यह सुनिश्चित करने की शपथ लें कि प्रौद्योगिकी के प्रयोग से हमारे देश की जनता खुशहाल, समृद्ध और बेहतर बने।
7. सरकार ने शुरुआत करने वालों को वित्तीय सहायता प्रदान करने को प्रोत्साहन देने तथा उद्यमिता और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए ‘स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया’ अभियान आरंभ किया है। इस पहल की सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम प्रौद्योगिकी और देश में उपलब्ध मानव संसाधनों का प्रयोग कितने नवान्वेषी तरीके से कर सकते हैं। मैं, आप जैसे युवा प्रौद्योगिकीविदों से आग्रह करता हूं कि आप ऐसे उद्यमी बनने का लक्ष्य रखें जो केवल नौकरी के अवसर खोजने की बजाय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं। आप शुरुआत तथा उद्यमिता के द्वारा ऐसे उद्यम खड़े कर सकते हैं जो देश, समाज तथा जनता के लिए धन का सृजन करेंगे। यह देश के समावेशी और सतत् विकास में आपका सबसे बड़ा योगदान हो सकता है।
8. विगत तीन वर्षों के दौरान मैं लगभग एक तोते की तरह राष्ट्रपति भवन के सम्मेलनों तथा दीक्षांत समारोह में यह दोहराता आया हूं कि एक भी भारतीय संस्थान विश्व के सर्वोच्च 200 संस्थानों की सूची में शामिल नहीं है। पिछले तीन वर्षों में किए गए अनेक सक्रिय प्रयासों के परिणामस्वरूप वरीयता परिदृश्य बदलना शुरू हो गया है। यह भारतीय शैक्षिक समुदाय तथा उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए गौरवपूर्ण क्षण है कि आज जारी 2015-16 की क्यूएस विश्व विश्वविद्यालय वरीयता में हमारे दो भारतीय संस्थान विश्व के सर्वोच्च 200 संस्थानों में शामिल हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर 147 तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली 179वें स्थान पर हैं। इसके अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बम्बई 202 स्थान पर आया है। भारतीय संस्थानों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है और मैं इस अवसर पर इन संस्थानों के संकाय सदस्यों और कर्मचारियों को बधाई देना चाहूंगा। मैं वरीयता प्रक्रिया को गंभीरता से लेने के लिए मेरे बार-बार के आग्रह के प्रति सक्रियता दिखाने तथा उपयुक्त समय पर आंकड़े प्रदान करके हमारे संस्थानों के प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने के लिए इन संस्थानों की सराहना करता हूं।
9. एक ऊंचा दर्जा शैक्षिक समुदाय के मनोबल को बढ़ाता है तथा विद्यार्थियों की प्रगति और रोजगार के और अधिक अवसर पैदा करता है। इससे भारत और विदेश के सर्वोत्तम शिक्षकों को आकर्षित करने तथा निरंतर गुणवत्ता वृद्धि के मापदंड मुहैया करवाने में मदद मिल सकती है। मैं एक रिपोर्ट पढ़ रहा था कि एक प्रणाली के रूप में दर्जा प्रदान करने पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान विश्व में 61वें स्थान पर हैं। इसी प्रकार एक इकाई के तौर पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान स्टेनफोर्ड, यूसी बर्कले तथा एमआईटी के बाद विश्व के सर्वोच्च उद्यमिता स्नातक विश्वविद्यालयों में चौथे स्थान पर हैं। मैं,यह जानकारी हमारे संस्थानों की उद्यमशील क्षमता तथा नवान्वेषण और स्वदेशीकरण के माध्यम से भारत का रूपांतरण करने की क्षमता को उजागर करने के लिए दे रहा हूं। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के तौर पर नवान्वेषण और उद्यमशीलता की ताकत पैदा करने तथा इसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ जोड़ने में अग्रणी बनना होगा। मैं आपके संस्थान से इस दिशा में अग्रणी बनने का आग्रह करता हूं।
10. ॒ज्ञान और नवान्वेषण प्रगति की आधारशिला हैं। नए शिक्षण, अनुसंधान तथा नवान्वेषण के अनुकूल माहौल से स्पर्धात्मक लाभ उठाया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जो सर विश्वेश्वरैया के पदचिह्नों का अनुकरण कर रहा है,राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में उद्यमिता और नवान्वेषण का वातावरण निर्मित करने में अग्रणी रहेगा।
मित्रो,
11. विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के इस 13वें दीक्षांत समारोह में 1117 विद्यार्थियों ने अपनी उपाधियां प्राप्त की हैं। मैं उन सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूं जो आज स्नातक बने हैं। आप अपने पेशे तथा हमारे राष्ट्र की बौद्धिक संपत्ति की बहुमूल्य पूंजी है। भारत अवसरों तथा चुनौतियों से पूर्ण देश है। मैं महात्मा गांधी के इस कथन के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा, ‘जो बदलाव इस दुनिया में देखना चाहते हैं उसे स्वयं में पैदा करें।’ मैं एक बार पुन: आपके चुने हुए कार्यक्षेत्र के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं। मुझे विश्वास है कि आप आने वाले वर्षों में अपनी उपलब्धियों से हम सभी को गौरवान्वित करेंगे।
धन्यवाद!
जयहिन्द।