भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने राज्यपालों और उपराज्यपालों को नए वर्ष का संदेश दिया

वीडियो सम्मेलन कक्ष, राष्ट्रपति भवन : 05-01-2017

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speechमेरे प्रिय राज्यपाल और उपराज्यपालः

1.सर्वप्रथम मैं आपको नए वर्ष में पूर्ण शांति,समृद्धि और खुशहाली के लिए शुभकामनाएं और बधाई देता हूं।

2. विगत वर्ष एक मिले जुले भाग्य का वर्ष रहा है। यह वर्ष कमजोर वैश्विक आर्थिक प्रवृतियों पर विजय हासिल करते हुए अच्छे आर्थिक मार्ग निष्पादन से पूर्णतः प्रतिबद्ध था। वर्ष2016-2017 के पूवार्द्ध में सकल घरेलू उत्पाद में7.2 प्रतिशत की वृद्धि जो कि पिछले वर्ष के समान रही,इस बात का संकेत है कि हमारी आर्थिक वसूली एक ठोस आधार पर टिकी है।2014-2015 में सामान्य से कम वर्षा ने ग्रामीण निराशा को जन्म दिया।2016 में अच्छे मानसून से कृषि उत्पाद में सुधार होने और ग्रामीण रोजगार और आय में वृद्धि होने की उम्मीद है। यद्यपि हमारा निर्यात कमजोर वैश्विक मांग के द्वारा प्रभावित हुआ है,हमारे पास एक स्थायी बाह्य क्षेत्र है। निर्यात की बहाली एक चुनौति होगी परंतु हम घरेलू उद्योग की स्पर्धात्मकता के सुधार के द्वारा इस पर विजय हासिल कर सकते हैं।

3. काले धन के गतिरोध और भ्रष्टाचार से मुकाबले के द्वारा विमुद्रीकरण आर्थिक व्यवस्था में स्थायी गिरावट आ सकती है। हम सभी को गरीबों के कष्ट दूर करने के प्रति अतिरिक्त रूप से सावधान रहना होगा जो लंबे समय में अपेक्षित प्रगति के लिए अपरिहार्य हो सकती है। एक ओर जबकि गरीबी मिटाने के लिए मैं पात्रता के दृष्टिकोण से उद्यमिता तक परिवर्तन पर बल देने की सराहना करता हूं,मैं सुनिश्तिच रूप से नहीं कह सकता कि गरीब बहुत समय तक प्रतीक्षा कर सकते हैं। उन्हें अब और अभी सहायता की आवश्यकता है ताकि वे भूख से पीडि़त,बेरोजगारी और शोषण की दिशा में राष्ट्रीय मार्च में सक्रियता से भाग ले सकें। प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में घोषित पैकेज कुछ राहत पहुंचाएगा।

माननीय राज्यपाल एवं उपराज्यपाल

4.इस वर्ष सात राज्यों में चुनाव होंगे। पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। मुक्त और निष्पक्ष चुनावों ने हमारे लोकतंत्र को विश्व में सर्वाधिक उत्साही बनाया है। चुनाव लोगों के राजनीतिक वातावरण में उनके दृष्टिकोण, मूल्य और विश्वास दर्शाते हैं। वे लोगों की संप्रभुता का संकेत हैं और सरकार के प्राधिकार की वैधता प्रदान करते हैं। वे लोकनीतियों की विनयमिता और लोक विचारों के संचालन के प्रयोजन को भी सिद्ध करते हैं।

5.जैसा कि हमारा अनुभव रहा है,सामान्यतः चुनाव स्पर्धात्मक लोक लुभावनवाद बात,चुनावी बयानबाजी और बोर्ड बैंक नीतियों द्वारा चिह्नित हैं। शोर शराबे वाले वाद-विवाद समाज में फॉल्ट लाइन्स को बढ़ाते हैं। आप राज्यपाल और उपराज्यपाल के रूप में अपने राज्य के लोगों से सम्मान और उनका ध्यान अर्जित कर सकते हैं। अपने मेल-मिलाप और बौद्धिक परामर्श के द्वारा आप समाज के तनाव को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्द बढ़ना चाहिए। समय-समय पर निहित स्वार्थों की जांच के लिए सामंजस्य बिठाया जाना चाहिए। सामुदायिक तनाव अपना कुरुप चेहरा दिखा सकते हैं। ऐसी किसी भी चुनौतिपूर्ण स्थिति से निपटने के एकमात्र आधार के र्रूप में कानून का नियम होना चाहिए।

माननीय राज्यपाल एवं उपराज्यपालः

6.हमारे जैसे एक बहुलवादी लोकतंत्र में सहिष्णुता,विरोधी विचारों के लिए सम्मान और धैर्य की आवश्यकता है। इन मूल्यों की संरक्षा की जानी चाहिए। भारत1.3 करोड़ लोगों, 122 भाषाओं, 1600 बोलियों और7 धर्मों वाला बहुमुखी राष्ट्र है। पंडित जवाहर लाल नेहरू के शब्दों में, ‘यह देश मजबूत परंतु अदृश्य धागों से एक साथ पिरोया हुआ है।’भारत की शक्ति उसकी विविधता में निहित है। यह सांस्कृतिक बहुविविधता,विश्वास और भाषा ही है जो भारत को विशेष बनाते हैं। सार्वजनिक संभाषण में सदैव इसमें अलग-अलग प्रकार हैं। हम तर्क-वितर्क कर सकते हैं,हम असहमत हो सकते हैं, परंतु हम विचारों की विविधता की बहुलता को स्वीकार नहीं कर सकते। आप अपनी शांत प्रभावकारिता से अपने राज्य के नागरिकों के बीच हमारी सभ्यता की इस मौलिक प्रवृति को भर सकते हैं।

माननीय राज्यपाल और उपराज्यपालः

7.आप अपने राज्य के पहले नागरिक हैं। जब आपने इस ऊंचे पद को संभाला था तो आपने संविधान की संरक्षा,उसके बचाव और रक्षा की शपथ ली थी। यह पवित्र दस्तावेज लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा करता है और नागरिकों के अच्छे होने में संवर्धन करता है। यह समावेशिता,सहिष्णुता, आत्मनियंत्रण का और महिलाओं,वरिष्ठ नागरिकों और कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए हमारी राजनीति के अनिवार्य अंग के रूप में एक हुक्मनामा हैं। लोकतंत्र का हमारा संस्थान इन मुख्य विशेषताओं पर कार्य करता है। ठोस विश्वसनीय संस्थान एक अच्छे शासन को जन्म देता है जो लोकतंत्र की स्वस्थ कार्यात्मकता को सुनिश्चित करता है।

माननीय राज्यपाल और उपराज्यपालः

8.आप सभी के पास अपने राज्यों में उच्चतर शिक्षा में सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका है। विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और कुलाध्यक्ष के रूप में आप उच्च शिक्षा के संस्थानों में गुणवत्ता उन्नयन हेतु समग्र बदलाव को प्रभावित करने के लिए शैक्षिक अग्रणियों के साथ कार्य कर सकते हैं। मैं संकायों को मूल अनुसंधान और तकनीकी विकास के द्वारा उत्कृष्टता प्राप्त होने पर केंद्रित होने के लिए समझाता रहा हूं। हमारी कृषि और कारखानों में करोड़ों महिलाओं और पुरुषों पर प्रभाव डालने वाली असंख्य सामाजिक समस्याओं पर एक दृष्टि डालने से यह स्पष्ट पता चलता है कि मानवीय मूल्य अभी तक हमारे बौद्धिक अनुकरण के प्रधान संवाहक नहीं बन पाए हैं। इस पर आपका ध्यान केंद्रित होना चाहिए। राष्ट्रपति भवन के सम्मेलन में हमारी आपसी संवादों ने अनेक सकारात्मक क्षेत्रोंः फैकल्टी सोर्सिंग और विकास; शैक्षणिक शोधन के लिए आईसीटी;अनुसंधान और नवोन्वेष; उद्योग शिक्षा अंतरापृष्ठ;और पूर्व छात्रों के समावेश को जन्म दिया है। मुझे आपमें से अनेकों द्वारा किए गए अच्छे कार्य की जानकारी है। शैक्षिक संस्थानों के बीच आपसी संवादों से सर्वोत्तम अभ्यास का प्रसार हो सकता है। ये संस्थान सभी के लाभ के लिए ज्ञान और अनुभव का लाभ उठा सकते हैं। आपकी अत्यंत रुचि एक ऐसे क्षेत्र को पुनर्जिवित कर सकती है जो नवाचार के नेतृत्व में ज्ञान अर्थव्यवस्था को सहायता देने के लिए सर्वोत्तम रूप से स्थित है।

9.एक और क्षेत्र जहां मैं आपकी भूमिका की परिकल्पना करता हूं वह है कला और संस्कृति को अपने-अपने राज्यों में प्रोत्साहन देना। जैसा कि मैंने कहा है,कला और संस्कृति हमारे विगत के साथ हमारा संपर्क स्थापित करते हैं। वे हमारे वर्तमान विचारों की नीवं डालते हैं और विस्तार के द्वारा हमारे भावी कार्यकलाप के लिए प्लेटफार्म तैयार करते हैं। वे जीवन को एक स्थायी आधार प्रदान करते हैं और हमारे लिए एक खुशहाल अस्तित्व की संभावना बनाते हैं। कला और संस्कृति के साथ हम जीवन का समग्र और सार्थक अनुभव ले सकते हैं। वे समाज की समग्र खुशहाली और स्वस्थ होने में सहायता करती है।

मानीनय राज्यपाल और उपराज्यपाल

10.निष्कर्ष से पूर्व मैं इस संवाद के लिए इस मंच पर आने के लिए सबकी हार्दिक सराहना करता हूं। इस सीमित समय सीमा में हम अपनी मुख्य हित-चिंताओं को साझा करें। मैं राज्यपालों के आगामी अंतरापृष्ठ कॉन्फ्रेंस जिसमें हम सब विस्तृत रूप से एक दूसरे को सुन सकेंगे, की भी उम्मीद करता हूं।

धन्यवाद, 
जयहिंद।