द टाइम्स हायर एजूकेशन ‘ब्रिक्स एंड एनर्जिंग इकोनोमिक्स यूनिवर्सिटीज समिट’ के प्रतिनिधियों को भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा इन्फोसिस विज्ञान फाउंडेशन द्वारा इन्फोसिस पुरस्कार 2014 वितरण का संबोधन अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन : 02-12-2015
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1. मुझे द टाइम्स हायर एजूकेशन ब्रिक्स एंड एमर्जिंग इकोनोमिक यूनिवर्सिटीज समिट, 2015 के प्रतिनिधियों को संबोधित करने का अवसर प्राप्त करके वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। मैं विशिष्ट प्रतिभागियों का स्वागत करता हूं। मैं टाइम्स हायर एजूकेशन और भारत में उन्हें साझीदार ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को वाई एमर्जिंग इकोनोमिज नीड वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटीज के महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर यह समिट आयोजित करने की पहल करने के लिए बधाई देता हूं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि ब्रिक्स क्षेत्र के देशों तथा अनेक उभरते हुए और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के प्रतिनिधि उच्च शिक्षा क्षेत्र के सम्मुख चुनौतियों तथा शिक्षा संस्थानों के वैश्विक मानदण्ड निर्धारण के महत्त्व पर विचार-विमर्श करने के लिए इस समिट में एकत्र हुए हैं।
देवियो और सज्जनो,
2. भारत की विश्व की एक सबसे विशाल उच्च शिक्षा प्रणाली है जिसमें 712 विश्वविद्यालय और 36,000 से अधिक कॉलेज हैं। भारत के उच्च शिक्षा नेटवर्क के विस्तार ने हमें देशभर की उच्च शिक्षा तक पहुंच बनाने में हमारी मदद की है। तथापि, हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों की शिक्षा की गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
3. कभी एक ऐसा समय था जब भारत ने उच्च शिक्षा प्रणाली में एक प्रमुख भूमिका निभाता था तथा हमारे यहां तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशीला, वल्लभी, सोमपुरा और ओदांतपुरी जैसी शिक्षा की विख्यात पीठ थीं। यद्यपि उनके बाद हम अपने आकार, संस्कृति और सभ्यता के अनुपात में विश्व वरीयता में स्थान नहीं बना पाए। भारत को अब अतीतकालीन महानता को पुन: प्राप्त करने के लिए कार्य करना होगा। 114 उच्च शिक्षण संस्थानों का कुलाध्यक्ष होने के कारण, मैं वरीयता सुधारने के तरीकों पर जोर देता रहा हूं। मैं नहीं मान सकता कि एक भी विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय वरीयता के अंतर्गत सर्वोच्च दो सौ में आने के लिए आवश्यक मानदंड तक न पहुंच सकें।
4. मुझे प्रसन्नता है कि हाल ही में दो भारतीय संस्थानों को विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों में स्थान मिला है। एक संस्थान इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी वर्ग के सर्वोच्च 100 संस्थानों में शामिल है। मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि भारत में ऐसे अनेक उच्च शिक्षा संस्थान हैं जिनमें विश्व का एक सर्वोत्तम संस्थान बनने की क्षमता है।
देवियो और सज्जनो,
5. शिक्षा की गुणवत्ता की समावेशी प्रगति और विश्वास के साथ सीधा सहसंबंध है। अपने नागरिकों की विकास की आकांक्षाओं को पूरा करने की चुनौतियों का सामना कर रही उभरती हुई अर्थव्यवस्था को विश्व के सर्वोत्तम के समकक्ष शिक्षा प्रणाली निर्मित करनी चाहिए। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की कठिनाइयों का समाधान कैसे किया जाए इस पर शीघ्र विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।
6. भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र को वैश्विक शिक्षा क्षेत्र के समय स्वयं को जोड़ना होगा। स्वतंत्र भारत का प्रथम विश्वविद्यालय आयोग, जो 1948 के राधाकृष्णन आयोग से विख्यात था, ने ध्यान दिलाया था कि विश्वविद्यालयों की विश्व मानसिकता और राष्ट्रीय भावनाएं होनी चाहिए। हाल के समय में विद्वानों, संस्थागत प्रशासकों और नीति निर्माताओं में विश्व कोटि के विश्वविद्यालयों के बारे में दिलचस्पी बढ़ रही है। वर्तमान में एक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय वह है जो समाज की वैश्विक समस्याओं पर ध्यान दे सके और संपूर्ण विश्व जितना कार्य क्षेत्र हो।
7. अधिकांश मानदंड निर्धारक एजेंसियां एक शैक्षिक संस्थान के अनुसंधान के नतीजों और अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण को अत्यंत महत्त्व देते हैं। मानदंडों को पूरा करने के लिए, संस्थानों को ऐसे गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान पर अधिक बल देना चाहि जिसे वैश्विक मान्यता मिले। इसको उनके प्रयासों को विश्वस्तरीय बनाने में मदद मिलेगी। ऐसे इच्छुक विश्वविद्यालयों को सुगम्यता, संपर्क, आदान-प्रदान तथा व्यक्तियों और विचारों को विश्व भर में सक्रिय होने की और जरूरत है। एक विश्व दृष्टिकोण अपनाने से संस्था को उच्च शिक्षा के विश्व समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इसको अनेक विश्व मानदंड निर्धारक और वरीयता एजेंसियों विशेषकर टाइम्स हायर एजूकेशन द्वारा स्वीकृत मापदंड ‘शैक्षिक प्रतिष्ठा’ में भी वृद्धि होगी।
8. इसके अतिरिक्त, अग्रणी अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय उन्मुखीकरण पर बल देने से, विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय को अन्य विशेष खूबियों को भी अपनाना चाहिए। मेरे विचार से, उनमें से कुछ उच्च गुणवत्तापूर्ण संकाय सदस्य, मेधावी विद्यार्थी, प्रोत्साहित अध्ययन शिक्षण वातावरण, अधिक संख्या में संसाधन उपलब्धता, मजबूत अवसंरचना तथा अधिक स्वायत्तता तथा सुदृढ़ संचालन ढांचे की मौजूदगी हैं। एक संस्थान में इन तत्त्वों की व्यक्ति स्वत: उच्च अंतरराष्ट्रीय वरीयता में दिखाई देगी।
9. यह कहा गया है कि वैश्विक वरीयता के मापदंड अनेक बार कई देशों में व्याप्त जमीनी वास्तविकताओं और सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को प्रतिबिम्बित नहीं करते हैं। इसलिए बहुत से देशों ने अपने घरेलू माहौल के अनुकूल मापदंड युक्त अपना वरीयता तंत्र अपनाया है। भारत के मामले में, शिक्षा संस्थानों के मूल्यांकन के लिए हाल ही में एक राष्ट्रीय संस्थागत वरीयता ढांचा तैयार किया गया है। राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यापन परिषद भी हमारे देश के उच्च शिक्षा संस्थानों के मूल्यांकन और मान्यता के लिए इसी क्षेत्र में कार्य करती है। मेरा मानना है कि अंतराष्ट्रीय वरीयता प्रणाली के ये राष्ट्रीय समकक्ष प्रणाली शिक्षा संस्थानों में जवाबदेही और गुणवत्ता पर बल को सुदृढ़ और ठोस बनाएंगी। इसी प्रकार, वे संस्थानों के बेहतर प्रदर्शन को प्रेरित करेंगे जिनसे अंतरराष्ट्रीय वरीयता में सुधार आएगा।
देवियो और सज्जनो,
10. पांच ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाएं 3 बिलियन से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो विश्व जनसंख्या का 42 प्रतिशत है। इनकी इकट्ठा सकल घरेलू उत्पाद 16 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर है जो विश्व का 20 प्रतिशत हिस्सा है तथा विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 4 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर है। इस संदर्भ में, टाइम्स हायर एजूकेशन ‘ब्रिक्स एंड एमर्जिंग इकोनोमिज यूनिवर्सिटीज रैंकिंग’ उस क्षमता को मान्यता देना है जो इन पांच देशों के उच्च शिक्षा क्षेत्र में मौजूद है।
11. सहयोग, सहकार्य और संचार के स्तंभों पर टिके हुए वैश्वीकरण के वर्तमान युग में अनेक विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों के निर्माण के लिए इन तीनों को प्रयोग करने के प्रचुर अवसर हैं। पांचों ब्रिक्स राष्ट्र की मिली-जुली शक्ति अपने और विश्व नागरिकों के लिए एक शैक्षिक माहौल पैदा कर सकी है। मुझे विश्वास है कि यह समिट निजी क्षेत्र के सहयोग से अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने और उससे अग्रणी के रूप में सामने आने के लिए उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं हेतु नवान्वेषी समाधान प्रस्तुत करेगी।
देवियो और सज्जनो,
12. मैं एक बार पुन: यह पहल करने तथा सभी भागीदारों द्वारा उच्च शिक्षा क्षेत्र की चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझाने में मदद के लिए इस समिट के आयोजन के लिए टाइम्स हायर एजूकेशन तथा ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की सराहना करता हूं। मुझे विश्वास है कि यह सभा विकासशील दुनिया में विश्व श्रेणी के विश्वविद्यालयों के निर्माण के लिए नीति निर्माताओं और शिक्षाविदों के लिए महत्त्वपूर्ण नए विचार और युक्तियां सामने लाएगी। मैं इस समिट के सभी प्रतिभागियों और प्रतिनिधियों को उनके प्रयास के अत्यंत सफल निष्कर्ष के लिए शुभकामना देता हूं। मैं भारत से बाहर के अतिथियों का स्वागत करता हूं तथा उन्हें इस समिट के उपयोगी परिणाम बल्कि हमारे बीच सुखद प्रवास की कामना करता हूं। मैं समिट की महान सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!