भारत के राष्ट्रपति द्वारा सेंट पाल कैथेड्रल में कोलकाता डायोसेस के द्विशताब्दी समापन समारोह पर अभिभाषण

कोलकाता : 13-12-2015

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1. मैं यहां उत्तरी भारत के चर्च कोलकाता डायोसेस के द्विशताब्दी समापन समारोह पर उपस्थित होकर प्रसन्न हूं। सर्वप्रथम मैं इस ऐतिहासिक संस्था को इसकी सेवा की सफल यात्रा और कोलकाता शहर और पूरे समाज के लिए प्रतिबद्धता पर मुबारकबाद देता हूं।

2. कोलकाता के डायोसेस का इसके आरंभ और अस्तित्व के पीछे एक महत्त्वपूर्ण इतिहास है।1814 में एक लैटर ऑफ पेटेंट जारी किया गया था जिसमें ‘बिशॉप्रिक ऑफ कलकत्ता’ को प्रभावकारी कहा गया था और डायोसेस ऑफ कलकत्ता को परिभाषित किया गया था। उस समय डायोसेस ऑफ कलकत्ता में बर्मा सहित समस्त भारत शामिल था। इसका विस्तार सीलोन तक और धीरे-धीरे यहां तक कि ब्रुनोई,आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, तसमानिया,केपटाऊन और चीन तक हो गया। तथापि तब तक भारत 1947 में स्वतंत्र हो चुका था, भारत की भौगोलिक सीमा से बाहर अधिकतर डायोसेस अलग हो चुके थे। वर्तमान में,डायोसेस आफ कलकत्ता में, कोलकाता के भीतर और चारों ओर के चर्च और संस्थाएं,ईस्ट पूर्वी मिदनापुर पर चर्च और हावड़ा और हुगली में अवस्थित चर्च शामिल हैं।

देवियो और सज्जनो,

3. ईश्वर की महानता पर करुणा और परमार्थ द्वारा आस्था होना परमपावन है। लॉर्ड जीसस क्राइस्ट ने मनुष्यों को पढ़ाया था और मैं उद्धृत करता हूं, ‘‘अपने पड़ोसी को अपनी तरह प्यार करो’’। हमारे सभी के लिए इस सीख को शब्द और कर्म से अपनाना महत्त्वपूर्ण है। मेरे विचार से डायोसेस ऑफ कलकत्ता ने बहुमुखी मानवीय कार्यकलापों से सम्मानजनक आचार-व्यवहार से मार्ग प्रशस्त किया है और अन्य लोगों के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। इसने कर्म में आस्था का पूर्ण प्रदर्शन किया है। इसके कार्य-कलापों और सेवाओं का उत्तरी भारत के चर्च की परिकल्पना और मिशन,एकता,साक्ष्य और सेवा से पूरा सामंजस्य है।

4. यह जानना बड़ी खुशी की बात है कि कलकत्ता का डायोसेस अपने चर्चों,शिक्षा संस्थाओं और संगठनों सहित, समाज के वंचित लोगों की सहायता करने में व्यापक रूप से शामिल है। उनके प्रयासों का लक्ष्य,सामाजिक जागरूकता,गुणकारी शिक्षा पर पहुंच,क्षमता निर्माण और स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं देने के लिए समान अवसर प्रदान करना है।

5. मुझे बताया गया है कि कलकत्ता का डायोसेस अनेक शैक्षिक संस्थाओं का संचालन करता है,जिसमें सभी स्तरों के, प्री प्राइमरी से प्राइमरी,माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर के स्कूल शामिल हैं। ये स्कूल दोनों मातृभाषा और अंग्रेजी माध्यम में उच्च कोटि शिक्षा प्रदान करते हैं। यह संस्था पूर्व स्नातक कॉलेजों का संचालन भी करती है और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी प्रदान करती है। डायोसेस के अन्य प्राथमिक परियोजनाओं में नर्सिंग और इंजीनियरिंग कॉलेज,एड्स के रोगियों के लिए आश्रम,एड्स से प्रभावित बच्चों के लिए बाल देखभाल केंद्र अथवा संक्रमित माता-पिता के लिए ट्यूबरक्यूलोसिस सेंटर और अस्पताल,वृद्धाश्रम, अनाथालय और दिवसीय बाल देखभाल केंद्र शामिल हैं। शहरों और गांवों में रहने वाली आबादी शहरों और गांवों मं रहने वाली आबादी से संबंधित महिलाओं,बच्चों, बूढ़ों और पिछड़े वर्गों को डायोसेस की इन परियोजनाओं से सहायता मिलती है। इसने उनको गरीबी और अन्याय की जंजीरों को तोड़ने में समर्थ बना दिया है और उन्हें मानव प्रतिष्ठा और सम्मान का जीवन जीने के लिए सहायता पहुंचाई है। एक बार मदर टेरेसा ने कहा था, मैं उसे उद्धृत करता हूं, ‘‘हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते। परंतु हम महान प्रेम के द्वारा छोटे कार्य कर सकते हैं’’। कलकत्ता के डायोसेस ने अपने विचार को इसके सामाजिक परियोजनाओं द्वारा परिलक्षित किया है। इसके नेक कार्यों ने पीढ़ियों तक कोलकाता के नागरिकों के जीवन को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित और परिवर्तित किया है।

देवियो और सजनो,

6. प्रत्येक धर्म मानवता के आधारभूत मूल्यों का उपदेश देता है। सहनशीलता,संयम और भिन्न-भिन्न विचारों के प्रति स्वीकृति हमारे प्रमुख सिद्धांतों के कुछ रूप हैं। भारत अपने बहुवादी आदर्श पर गर्व करता है। भारत में इसके समामेलन चरित्र के कारण अनेक प्रमुख धर्म कामयाब हुए जिसने सदियों से हमारी सभ्यता को परिभाषित किया है। भिन्न-भिन्न आस्था वाले लोग यहां दीर्घकाल तक शांतिपूर्ण रहे।

7. अनेक पंथों से भारत शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और सांप्रदायिक सौहार्द का आकर्षक स्थान बन गया है। यहीं पर ईसाई समुदाय को उसकी शांतिपूर्ण और मानवतावादी प्रवृत्ति तथा राष्ट्र निर्माण में उनके भरपूर योगदान के लिए सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। हमारे समाज का तानाबाना तभी मजबूत रहेगा जब प्रत्येक व्यक्ति जाति, संप्रदाय,भाषा, क्षेत्र और पंथ के होते हुए निर्भय और असंकीर्ण होकर प्रगति से लाभान्वित होगा और उसमें भाग लेगा। इस संदर्भ में अंतर-आस्था संवाद बढ़ाने में कलकत्ता के डायोसिस का प्रयास सचमुच सराहनीय है।

देवियो और सज्जनो,

8. मुझे आज सीरमपुर के महान मिशनरी,विलियम कैरी की याद आ रही है जिन्होंने कहा था, ‘‘ईश्वर से महान वस्तुओं की अपेक्षा करो और ईश्वर के लिए महान कार्य करो’’। इस शुभ अवसर पर,मैं कलकत्ता के डायोसेस परिवार से आग्रह करता हूं कि वे अच्छे कार्य करते रहें और नागरिकों के जीवन में बदलाव लाते रहें। अंत में मैं एक बार पुन: कलकत्ता के डायोसेस की प्रशंसा करता हूं और भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद,

जय हिंद!