राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
विज्ञान भवन : 18-09-2015
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देवियो और सज्जनो,
मुझे आज यहां उपस्थित होकर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। मैं भारतीय पर्यटन उद्योग में विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त करने वालों को सम्मानित करने में आपके साथ हूं। आज पुरस्कृत इन असाधारण व्यक्तियों और संगठनों ने अपने समर्पण के माध्यम से भारत को एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रचारित करने में एक विशेष स्थान बनाया है। उन्होंने हमारे पर्यटन क्षेत्र की गुणवत्ता और क्षमता विकास में विशिष्ट योगदान दिया है। मैं पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। नि:संदेह आज दिए गए सम्मान पर्यटन सेक्टर के सभी भागीदारों की प्रतिबद्धता को संबल प्रदान करेंगे तथा इसके प्रसार तथा वृद्धि के लिए नए उत्साह से कार्य करने के लिए उन्हें प्रेरित करेंगे।
देवियो और सज्जनो,
हमारे देश में पर्यटन, विकास का एक कारक तथा आर्थिक प्रगति और रोजगार वृद्धि का वाहक है। किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन एक प्रमुख घटक है। मुझे जानकर प्रसन्नता हो रही है कि पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन क्षेत्र तथा आतिथ्य उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करने की ओर ध्यान दिया है। होटल प्रबंधन संस्थान,भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान तथा फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट्स पर्यटन क्षेत्र में कार्य करने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर प्रदान कर रहे हैं। पर्यटन मंत्रालय की योजना‘हुनर-से-रोजगार तक’,जिसके अंतर्गत युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है,समाज के कमजोर वर्गों को सामाजिक समता और रोजगार अवसर पैदा करने की एक सराहनीय पहल है।
वर्ष 2014 में,भारत में कुल1282 मिलियन घरेलू पर्यटक दर्ज किए गए थे। उस वर्ष भारत में7.68मिलियन विदेशी पर्यटक आए थे,जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि है। तथापि,यह विश्वव्यापी अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का मात्र0.7प्रतिशत था,जो1.1 बिलियन था। इसलिए,विदेशों से पर्यटकों के आगमन में कई गुना वृद्धि की व्यापक गुंजायश है।2014के दौरान पर्यटन क्षेत्र से 14.5प्रतिशत की विकास दर के साथ1.2लाख करोड़ रुपए की विदेशी आय हुई। मुझे आपको बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि113देशों के लिए ई-पर्यटक वीजा के कार्यान्वयन के शानदार परिणाम आ रहे हैं। संयुक्त राज्य अमरीका,युनाइटेड किंग्डम,स्पेन,मलेशिया,जर्मनी आदि जैसे उच्च संभावना वाले अधिकांश देशों के पास अब ई-पर्यटक वीजा सुविधा उपलब्ध है। जनवरी से जुलाई, 2015के दौरान1.5 लाख पर्यटक ई-पर्यटक वीजा के माध्यम से हमारे देश में पहुंचे।
भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति तथा जनता के पास व्यय योग्य आमदनी बढ़ने से हम आने वाले वर्षों में पर्यटकों की आमद में सकारात्मक रुझान की अपेक्षा कर सकते हैं। हमें देश में उच्च स्तरीय पर्यटन अवसंरचना के सृजन पर ध्यान केंद्रित करना होगा।‘स्वदेश दर्शन’तथा ‘प्रसाद’नामक दो पहलों की शुरुआत से—जिनका उद्देश्य पर्यटन परिवृत्तों और दर्शनार्थी केंद्रों का समेकित विकास है—इस लक्ष्य को पाने में बहुत सहायता मिलेगी।
हम जो सुरक्षा प्रणाली तैयार करेंगे, सावधानी संबंधी उपाय स्थापित करेंगे, उनसे हमारे मेहमानों की आश्वस्ति होनी चाहिए कि वे अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और अपने सामान की सुरक्षा के प्रति कभी चिंतित न हों। पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटकों को मूल्यवान सूचना प्रदान करने तथा आपातकाल के दौरान उनका मार्गदर्शन करने के लिए24×7 ‘अतुल्य भारत हेल्पलाइन’आरंभ करके पर्यटकों की सुरक्षा चिंताओं का समाधान करने की पहल की है। आव्रजन पटलों पर वितरित की जा रही पर्यटकों को हिदायत संबंधी जानकारी वाली‘स्वागत पुस्तिका’भी विदेशी पर्यटकों के लिए आगमन पर तुरंत उपयोग योग्य सहायक सामग्री होगी।
स्वच्छता के खराब स्तर का भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। विशेषकर,ऐसे समय में जब हमारा पर्यटन उद्योग हमारे सांस्कृतिक स्थलों के विशिष्ट सौंदर्य,हमारे रोमांचक गंतव्यों की प्राकृतिक रमणीयता तथा हमारी वास्तुशिल्प विरासत का प्रचार कर रहा है,यह खेदजनक स्थिति होगी। पर्यटन मंत्रालय का पर्यटक स्थलों में साफ-सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए‘स्वच्छ भारत-स्वच्छ पर्यटन अभियान’सही दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है। इसके लिए सभी भागीदारों द्वारा‘भारत’संबंधी अनुभवों के सभी पहलुओं के अंतर्गत इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। मैं इस बात पर भी बल देना चाहूंगा कि पर्यटन मंत्रालय को इस संबंध में आगे बढ़कर सर्वोच्च मानदंड स्थापित करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी निगरानी प्रणालियां तैयार करना भी उतना ही जरूरी है कि सभी प्रतिष्ठानों द्वारा इन मानदंडों का अनुपालन किया जाए।
सुदूर स्थलों तक शीघ्र पहुंच, अधिक व्यय योग्य आय तथा बढ़ती जीवन शैली संबंधी आकांक्षाओं से अब पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है। मैं पर्यटन मंत्रालय से आग्रह करता हूं वह सुविचारित ढंग से अपना निवेश इस तरह करें कि हमारी प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को हानि पहुंचाए बिना इस क्षेत्र का विकास सतत् बना रहे। ऊर्जा और जल के संरक्षण के लिए नए और नवान्वेषी तरीकों की शुरुआत की जानी चाहिए। पर्यटक प्रतिष्ठानों और आतिथ्य संबंधी संस्थाओं को इस प्रकार कार्य करना चाहिए कि वे जल और ऊर्जा खपत कम करने,अपशिष्ट उत्पादन को कम करने, अपशिष्ट प्रबंधन को सुधारने तथा रचनात्मक पुन:चक्रण और कुशल अपशिष्ट निपटान सुनिश्चित किया जा सके।
देवियो और सज्जनो,
पर्यटकों और मेजबान समुदायों के बीच व्यापक सामुदायिक संपर्क से परस्पर सद्भाव,सहिष्णुता तथा जनता के बीच जागरूकता बढ़ने में बहुत सहयोग मिलता है। पर्यटन के फलस्वरूप देश तथा दुनिया भर में दूर-दराज में बसे हुए समुदायों के बीच प्रगाढ़ सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है।
भारत विश्व को सर्वोत्तम पर्यटन अनुभवों की पेशकश करता है और मुझे कोई संदेह नहीं है कि हम मिल-जुलकर विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना वाजिब स्थान पा सकते हैं।
मैं, एक बार फिर उन सभी को बधाई देता हूं जिनकी पहल और परिश्रम को आज सम्मान प्रदान किया गया है। मैं आप सभी को आने वाले वर्षों में हमारे विकसित और वृद्धिमान पर्यटन उद्योग की व्यापक सफलता की शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जय हिंद!