तृतीय भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे राष्ट्रों, सरकारों, शिष्टमंडलों के अध्यक्षों के सम्मान में आयोजित राजभोज में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का संबोधन

राष्ट्रपति भवन : 29-10-2015

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speech1. अफ्रीका के राष्ट्र और सरकार के अध्यक्षों आप सभी का भारतीय गणराज्य के केन्द्र में आज यहां स्वागत करना मेरे लिए विशिष्ट सम्मान है। मैं आपका स्वागत न केवल गौरवपूर्ण राष्ट्रों के नेताओं के रूप में बल्कि मित्रों और भाइयों के रूप में करता हूं। भारत आपका स्वागत न केवल मुक्त भुजाओं से बल्कि मुक्त हृदय से करता है।

2. यह एक ऐतिहासिक संध्या है,एक स्मरणीय क्षण है। एक शताब्दी पूर्व जब आपके समक्ष इस भवन का निर्माण आरंभ हुआ था,तो ऐसे क्षण की कल्पना करना कठिन रहा होगा। यह विचार करना कठिन रहा होगा कि भारत तथा इतने सारे अफ्रीकी राष्ट्र अपनी औपनिवेशिक शृंखलाओं को तोड़ देंगे,साम्राज्यवादी बंधनों को उतार फेंकेंगे और एक दिन यहां एकत्र होकर स्वतंत्रता,लोकतंत्र और मानव गरिमा का उत्सव मनाएंगे।

प्रिय मित्रो,

3. भारत दिल्ली में तृतीय भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन के आयोजन से सम्मानित हुआ है तथा मैं इस शिखर सम्मेलन का हिस्सा बनने के लिए आपमें से प्रत्येक का आभार व्यक्त करता हूं। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रयास है जिसने हमें इस समारोह के लिए यहां एक साथ मिलाया है। मुझे अत्यधिक विश्वास है कि शिखर सम्मेलन के दौरान किया गया कार्य,हमारी जनता के भविष्य की सामूहिक संकल्पना का निर्माण हमारे राजनीतिक और आर्थिक सम्बन्ध की दिशा और रूपरेखा निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण होंगे। भारत और अफ्रीका के विश्व की एक तिहाई जनसंख्या का घर होने के कारण,विश्व के भावी सतत् विकास पर इस सम्बन्ध का निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा।

4. महामहिमगण, आपकी सहभागिता और विचार-विमर्श से तृतीय भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन अत्यंत और अभूतपूर्व रूप से सफल रहा है। इसके अलावा,शिखर सम्मेलन में आपके द्वारा अंगीकृत दो दस्तावेजों में प्रतिबिंबित आपकी साझी संकल्पना और मार्गदर्शन में दक्षिण-दक्षिण सहयोग के विशिष्ट उदाहरण के तौर पर भारत-अफ्रीका कार्यनीतिक साझीदारी का सार शामिल हो गया है।

मित्रो,

5. हमारा गुणात्मक के तौर पर भिन्न,अत्यधिक प्रगाढ़ संबंध है। हम इस संबंध की गहराई अपने हृदय में महसूस करते हैं। अफ्रीका और भारत के बीच सम्बन्ध शब्दों और वक्तव्यों द्वारा निर्मित नहीं हैं,बल्कि ये संबंध स्वतंत्रता और स्वाधीनता के संघर्ष, समानता और गरिमा के संघर्ष की अग्नि में गढ़े गए हैं। हम निकट हैं क्योंकि हम जानते हैं कि कष्ट सहन करना क्या है,हम जानते हैं अपने भाग्य का नियंत्रक न होने का क्या अर्थ है। हमें ज्ञात है कि औपनिवेशिक कारागारों में बंदी युवाओं के यौवन को देखने का क्या अर्थ होता है। हम जानते हैं कि गरीबी,रोग और अज्ञानता में रहने का क्या अर्थ है जबकि हमारे अपने प्रचुर संसाधनों को दूसरों के द्वारा लूटा जाता है।

प्रिय मित्रो,

6. भारत और अफ्रीका के विशेष संबंध हैं क्योंकि हम मानव इतिहास को उत्तर- औपनिवेशिक से ही नहीं बल्कि पुरातन दृष्टि से भी समझते हैं। भारत की प्राचीन सभ्यता,इसकी आध्यात्मिक विरासत,कला और संस्कृति में मानव भावना की इसकी उपलब्धियों ने एक ऐसा अनूठा दृष्टिकोण प्रदान किया है जिसके द्वारा हम गुजरते हुए विश्व का अवलोकन करते हैं। यह अफ्रीकी महाद्वीप,जिसे अकसर सभ्यता की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है, के विषय में और बड़ा सच है, यह एक ऐसी भूमि है जहां जीवन के सबसे पहले रूपों का निर्माण हुआ,जिसकी प्राचीन चट्टानों ने विकासक्रम के रहस्य समेटे हुए हैं,ऐसी भूमि जहां मानव ने, जिस रूप में आज हम स्वयं को जानते हैं,पहले दोनों पैरों पर चलना सीखा।

मित्रो,

7. भारत और अफ्रीका एक दूसरे को इसलिए समझते हैं क्योंकि हमारे देश विविधता की सटीक परिभाषा हैं। चाहे किलिमंजारों की बर्फ से लेकर विस्तृत सहारा की भौगोलिक विविधता हो अथवा पंथों,जातीयताओं, जनजातियों, भाषाओं,बोलियों और संस्कृतियों का बाहुल्य हो, अफ्रीका के पास सब कुछ है। भारत में भी वास्तव में ऐसा है। अफ्रीका और भारत के लिए विविधता हमारी जीवन शक्ति है,यह हमें समृद्ध बनाती है और हमें और भी सशक्त बनाती है। यह सुनिश्चित करती है कि सहअस्तित्व,संवाद,आपसी सद्भावना और शांति हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं। ये मानव विकास के बारे में ऐसे दृष्टिकोण हैं जिनका भारत और अफ्रीका आदान-प्रदान करते हैं,ये ऐसे दृष्टिकोण हैं जिन्हें हम टकराव और संकट से निपटने के लिए मिलकर शेष विश्व की मदद कर सकते हैं।

8. प्रिय मित्रो, औपनिवेशिक शासन तथा आर्थिक अभाव और जातीय भेदभाव के क्रूर उत्पीड़न वाले कष्टप्रद दशक हमसे पूरी तरह पीछे छूट चुके हैं। परंतु चुनौतियां अभी बनी हुई हैं,उनका रूप बदल गया है। हमें अभी निर्धनता और रोग, आतंकवाद और मादक पदार्थों के अवैध व्यापार, शिक्षा और प्रशिक्षण की कमी को दूर करना होगा।

8क. आतंकवाद की कोई सरहद अथवा सीमा नहीं है तथा अनियंत्रित विनाश के अलावा उसकी कोई विचारधारा नहीं है। भारत और अफ्रीका को इस खतरे की ओर ध्यान देने के लिए मिलकर कार्य तथा आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय तंत्र को मजबूत करने का भरसक प्रयास करना चाहिए।

9. अप्रैल, 2008 में जब हमने भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन आरंभ किया था,तो मैं विदेश मंत्री था। मुझे उस उद्घाटन समारोह का सामूहिक उत्साह और उल्लास स्पष्ट रूप से याद है जिसने अफ्रीका के साथ भारत के परंपरागत हार्दिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों को ढांचागत स्वरूप के नए स्तर तक बढ़ा दिया। तृतीय भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन उस महत्त्व की अभिव्यक्ति है जो हम अफ्रीका के साथ अपने सम्बन्धों को देते हैं। इस मंच पर अफ्रीका के सभी देशों की सक्रिय सहभागिता हमारे राष्ट्रों और हमारी जनता के बीच एक स्थायी साझीदारी स्थापित करने की सदस्य देशों की आकांक्षा का प्रतिबिम्ब है।

10. भारत और अफ्रीका हिन्द महासागर के नीले जल से जुड़े हुए पड़ोसी हैं। हमारी साझीदारी समानता,परस्पर सम्मान और आपसी लाभ के बुनियादी सिद्धांतों में रची-बसी हुई है। भारत ढांचागत विकास,संस्था निर्माण तथा तकनीकी और व्यावसायिक कौशल विकास के माध्यम से अपने पथ पर अग्रसर होने में अफ्रीका की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। अफ्रीका के साथ भारत की विकास साझीदारी अफ्रीकी संघ द्वारा अंगीकृत कार्यसूची2063 संकल्पना पत्र में निर्धारित विभिन्न प्राथमिकताओं की पूरक है।

प्रिय मित्रो,

11. मेरे हृदय के निकट और हमारे संवाद के लिए उपयुक्त सहयोग का एक क्षेत्र‘कृषि’ है। मुझे भारत की ‘हरित क्रांति’से पहले के दिन भली भांति याद हैं, जब हम खाद्य में आत्मनिर्भर नहीं थे। उन दिनों हमारे पास बचाने के लिए कुछ नहीं था। किसी भी परिस्थिति में भूख और खाद्य की कमी अस्वीकार्य है और इससे हम सभी को एकजुट कार्रवाई के लिए प्रेरित होना चाहिए। यद्यपि भारत आज खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर है परंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि के लिए उपलब्ध भूमि लगातार घटती जा रही है। सौभाग्यवश,अफ्रीका में विशाल उर्वर क्षेत्र और खेती योग्य भूमि है। यहां घाना के प्रथम राष्ट्रपति कवामेह कुरुमाह के इन शब्दों को याद करना प्रासंगिक है,जिन्होंने यह सही ध्यान दिलाया कि ‘अकेला कांगो बेसिन समूची दुनिया की तकरीबन आधी जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्य फसल पैदा कर सकता है।’कृषि विकास न केवल अफ्रीका की खाद्य सुरक्षा समस्या के समाधान के लिए आवश्यक है,बल्कि यह अफ्रीका के समग्र विकास का एक प्रमुख घटक भी बना हुआ है। मुझे विश्वास है कि विगत कुछ दिनों के दौरान आपके और आपके शिष्टमंडलों की बातचीत में उत्पादकता वृद्धि; तीव्र कृषि, पर्यावरण-अनुकूल कृषि यंत्रीकरण; जीन भंडार और बेहतर बीजों के प्रोत्साहन तथा अन्य आधुनिक कृषि अवधारणाओं के क्षेत्रों में सहयोग पर विचार-विमर्श हुआ होगा।

प्रिय मित्रो,

12. जिस प्रकार हम संघर्ष के दिनों के दौरान एकजुट हुए हैं,उसी प्रकार हम विकास की इस चुनौतिपूर्ण शुरुआत में भी एकजुट होंगे। भारत,अफ्रीका के अपने साझीदारों के साथ अपने लोकतांत्रिक अनुभव, अपनी कृषि विशेषज्ञता, अपनी क्षमता विकास योग्यता, अपने स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों, अपने शांति रक्षकों को बांटने के लिए तैयार है। एक बार पुन: हम दृढ़ निश्चयी हैं कि हमारा संघर्ष समानता और साझीदारी,परस्पर लाभ, मानव गरिमा के सिद्धांतों पर आधारित होगा। महात्मा गांधी जो दोनों से जुड़े हुए हैं,की संकल्पना द्वारा मार्गदर्शित भारत और अफ्रीका के लिए यही एकमात्र पथ है।

13.इन्हीं शब्दों के साथ, मैं एक बार पुन: भारत-अफ्रीका संबंधों तथा तृतीय भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन की सफलता की इस उत्सवमयी संध्या में आपका स्वागत करता हूं।