राष्ट्रपति ने कहा, हमारे करोड़ों देशवासियों को सशक्त बनाने के लक्ष्य वाली प्रौद्योगिक क्रांति के लिए कार्य करें
राष्ट्रपति भवन : 11-05-2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (11 मई, 2016) नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस में भाग लिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राष्ट्र के समर्पित देशवासियों और प्रौद्योगिकीविदों के अथक प्रयास और अपार उत्साह ने भारत के उद्भव में एक प्रौद्योगिकी शक्ति में करने का मार्ग प्रशस्त किया है। अब हम हमारे करोड़ों देशवासियों को सशक्त बनाने के लक्ष्य वाली प्रौद्योगिक क्रांति के लिए कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस वैज्ञानिक खोज और प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता के हमारे प्रयास का प्रतीक तथा उस प्रयास को एक समेकित वैज्ञानिक, सामाजिक और औद्योगिक दृष्टिकोण में बदलना है। यह न केवल हमारे प्रौद्योगिकीय नवान्वेषण बल्कि कठिन अनुसंधान के बाद संपूर्ण जनता को सुपरिणाम उपलब्ध करवाते हुए इसके सफल वाणिज्यीकरण का प्रतीक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत धीरे-धीरे वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में एक अग्रणी देश बनने की ओर अग्रसर है। यह अंतरिक्ष खोज के क्षेत्र में सर्वोच्च पांच राष्ट्रों में प्रतिष्ठित है। हाल ही में अपनी पैंतीसवीं उड़ान में इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान ने धुरी में सफलतापूर्वक 1425कि.ग्रा. उपग्रह का प्रक्षेपण किया है। यह भारतीय क्षेत्रीय दिशा सूचक उपग्रह प्रणाली का सातवां तथा अंतिम उपग्रह था जिसने हमें राष्ट्रों के विशिष्ट समूह में शामिल होने में सक्षम बना दिया। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के सम्पूर्ण समुदाय को इस ‘भारत में निर्माण’ विशेष उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होना है क्योंकि इस उपलब्धि से हमें अपनी मौजूदा प्राद्योगिकियों को और आगे बढ़ाने की प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए। विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान में तेजी से आ रहे बदलावों से प्रौद्योगिक बढ़त वाले देश ही कड़े स्पर्द्धात्मक विश्व-बाजार में सफल होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि नवान्वेषण निष्क्रियता का उपचार है। हमारे देश के युवा विचारों और उद्यम भावना से भरपूर हैं। वे सामान्य जन की दैनिक समस्याओं के समाधान ढूंढ़ने के लिए पौद्योगिकी का प्रयोग कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ी कुशलता महत्तवपूर्ण कल्याणकारी लाभ पैदा कर सकते हैं। लगभग 4300 स्टार्ट-अप के साथ, भारत आज दुनिया में तीसरा विशालतम स्टार्ट-अप वातावरण प्रणाली है। इस स्टार्ट-अप अभियान की एक प्रमुख विशेषता हमारे युवाओं की अधिक भागीदारी है। वास्तव में, भारत के 72 प्रतिशत स्टार्ट-अप संस्थापक पैंतीस वर्ष से कम आयु के हैं। नए युग के उद्यमियों की इस प्रतिभावान पीढ़ी की एकजुट शक्ति को प्रयोग करना होगा। भारत के पास स्टार्ट-अप प्रणाली में भागीदारी के सार्थक अवसर उपलब्ध करवाने के लिए युवाओं की क्षमता को प्रयोग करने की कार्यनीति होनी चाहिए। इससे वर्तमान अनुकूल जनसांखिकीय परिवर्तन के लाभ हासिल करने में मदद मिलेगी। इससे पिछड़े हुए करोड़ों नागरिकों की जीवन गुणवत्ता को बढ़ाने का प्रत्यक्ष और प्रभावी प्रयास करने में भी सहायता मिलेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि वित्तपोषण, समेकन मंच, उपयुक्त प्रौद्योगिकी तथा बढ़ते घरेलू बाजार की उपलब्धता जैसे अनुकूल तत्त्वों के कारण भारतीय स्टार्ट-अप प्रणाली का आशाजनक परिदृश्य उभर रहा है। 2020तक 11000 स्टार्ट-अप की संभावना वास्तविक है। स्टार्ट-अप इंडिया तथा स्टैण्ड-अप इंडिया योजनाओं में विगत दशक की विधिक गारंटी द्वारा समर्पित काम शिक्षा और खाद्य अधिकार की पहलों के समान सामाजिक-आर्थिक कायाकल्प का एक और दौर आरंभ करने की क्षमता है। तथापि ऐसी प्रणाली के विकसित होने के लिए, सरकारी प्रयास काफी नहीं हैं। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर भागीदारों के योगदान और उत्साह की आवश्यकता है। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर इस दिशा में सतत प्रयास करने का संकल्प लेने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि नूतन रचनात्मक विचारों को महत्त्व देकर, हम वर्तमान जरूरी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के नवान्वेषी उत्तर ढूंढ़ने के लिए जन-साधारण को प्रेरित कर सकते हैं। उन्होंने सभी देशवासियों से इस अवसर के अनुरूप कार्य करने तथा नवान्वेषण को जीवन की पद्धति बनाने का अनुरोध किया।
यह विज्ञप्ति 1855 बजे जारी की गई