राष्ट्रपति ने कहा, भारत फिलीस्तीन की जनता के विकास लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध रहेगा

राष्ट्रपति भवन : 17-05-2017

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने कल (16 मई, 2017) राष्ट्रपति भवन में फिलीस्तीन राष्ट्र के महामहिम राष्ट्रपति श्री महमूद अब्बास का स्वागत किया।

फिलस्तीन के राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए, राष्ट्रपति ने अक्तूबर, 2015 की अपनी फिलीस्तीन की यात्रा और फिलीस्तीन राष्ट्र की सरकार और जनता के हार्दिक आतिथ्य सत्कार को याद किया। राष्ट्रपति ने फतेह पार्टी के अध्यक्ष के रूप में, पुन: निर्वाचन पर श्री महमूद को बधाई दी। उन्होंने कहा कि श्री महमूद के पुन: निर्वाचन से फिलीस्तीन की जनता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी प्रमुख आकांक्षा शांति की है और सशक्त नेता आकांक्षाओं की दिशा में उनका नेतृत्व करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत फिलस्तीन के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को अत्यंत महत्त्व देता है जो हाल के वर्षों में गतिशील और व्यापक हुए हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह यात्रा दोनों देशों के सहयोग को और बढ़ाएगी तथा दोनों जनता के लाभ के लिए उनके संबंधों को विविध बनाएगी। उन्होंने इस सच्चाई पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रपति की फिलीस्तीन यात्रा के दौरान घोषित अधिकांश परियोजनाएं कार्यान्वित हो रही हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि फिलस्तीन हित के प्रति भारत की वचनबद्धता तथा फिलस्तीन की जनता के साथ इसकी मैत्री समय परीक्षित विदेश नीति का एक अभिन्न अंग बन चुकी है।

तत्पश्चात, अपने राजभोज अभिभाषण में, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत फिलीस्तीन के साथ अपनी चिरस्थायी मैत्री और घनिष्ठ सहयोग को अत्यंत महत्त्व देता है। वर्षों के दौरान हमारा द्विपक्षीय संबंध साझे हित के बहुत से अन्य क्षेत्रों को शामिल करते हुए व्यापक हुआ है। भारत फिलीस्तीन की जनता के विकास लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध रहेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को एक स्वतंत्र और सम्प्रभु फिलीस्तीन राष्ट्र की स्थापना के लिए फिलीस्तीन और इजराइल के बीच वार्ता के पुन: आरम्भ होने की गहरी उम्मीद है। हमारी कामना है कि एक फिलीस्तीन राष्ट्र का निर्माण, जोकि राष्ट्रों के समूह का पूर्ण सदस्य है, आपकी जनता के लिए आपकी स्थायी व्यक्तिगत विरासत बन जाए। फिलीस्तीन की जनता को उनका अपना देश होने की आकांक्षा और स्वयं अपने भविष्य का निर्माता होने के लिए भारत सुदृढ़ सहयोग देता रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह संतोष का विषय है कि हमारी सरकारें सुरक्षा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, कृषि, शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य देखभाल और खेलों के क्षेत्र में हमारे परस्पर सहयोग को घनिष्ठ बनाने पर सहमत हो गई हैं। हमारी सरकारों द्वारा आरंभ किया गया युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम हमारी जनता के बीच आपसी समझ को बढ़ाने के लिए हमारे भावी नेताओं की साझीदारी स्थापित करने में सहायता करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह अभूतपूर्व विश्व चुनौतियों का समय है। आतंकवाद की बुराई दुर्भाग्यवश अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष एक सबसे बड़ा खतरा है। भारत मानता है कि आतंकवाद किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं हो सकता। राष्ट्र नीति के साधन के रूप में इसका प्रयोग खतरनाक और निंदनीय है। हमारा विश्वास है कि इस खतरे से प्रभावी रूप से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की घनिष्ठ समन्वय और एकजुट प्रयास आवश्यक हैं।

यह विज्ञप्ति 1500 बजे जारी की गई।