इन्टरनेशनल फेडरेशन फॉर ट्रेनिंग एंड डिवेलेपमेंट आर्गनाइजेशन के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

अशोक होटल, नई दिल्ली : 24-04-2013

Download : Speeches (244.84 किलोबाइट)

sp230413

मुझे इन्टरनेशनल फेडरेशन फॉर ट्रेनिंग एंड डिवेलेपमेंट आर्गनाइजेशन द्वारा ‘‘नई व्यावसायिक व्यवस्था में उन्नत संगठनों के लिए क्षमता’’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रसन्नता हो रही है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि इन्टरनेशनल फेडरेशन फॉर ट्रेनिंग एंड डिवेलेपमेंट आर्गनाइजेशन मानव संसाधन पेशेवरों का विश्वव्यापी नेटवर्क है तथा यह वैयक्तिक विकास, मानव कार्यनिष्पादन, उत्पादकता तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान, कौशल तथा प्रौद्योगिकी की पहचान, विकास तथा हस्तांतरण के लिए समर्पित है। मैं समझता हूं कि यह संगठन 30 से भी अधिक देशों के 500000 से अधिक पेशेवरों का प्रतिनिधित्व करता है। मुझे इस बात की खुशी है कि इन्टरनेशनल फेडरेशन फॉर ट्रेनिंग एंड डिवेलेपमेंट आर्गनाइजेशन ने इस सम्मेलन के आयोजन के लिए नई दिल्ली को चुना और मैं उन सभी विशिष्ट प्रतिभागियों का भारत में स्वागत करता हूं जो दूर-दूर से यहां पधारे हैं। मैं उनके सफल विचार-विमर्श तथा देश में उनके आरामदायक प्रवास की कामना करता हूं।

यह सम्मेलन उपयुक्त समय पर आयोजित किया गया है क्योंकि विश्व को अभी 2008 के वित्तीय संकट तथा हाल ही के यूरोजोन संकट के मिले-जुले असर से उबरना है। कौशल की अत्यधिक कमी तथा प्रतिभा की अल्पता के चलते विश्व अर्थव्यवस्था की वापसी में बाधाएं आ रही हैं। इस तरह के सम्मेलनों द्वारा अनुभवों का आदान-प्रदान, समाज एवं जीवन की बेहतरी के लिए विश्वभर के कार्यरत मानव-संसाधन विकास पेशेवरों के लिए एक अन्यतम् संसाधन बनने की इस आर्गनाइजेशन की परिकल्पना को पूरा करने का अच्छा माध्यम है।

दुनिया भर में अभूतपूर्व बदलाव, वर्तमान सहस्राब्दि की विशेषता रही है। इस तरह का बदलाव मानव के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया। नई विश्व व्यवस्था में व्यवसाय खुली अर्थव्यवस्था में फल-फूल सकता है। इसके कारण संगठनों के बीच कई तरह की प्रतिस्पर्धाएं शुरू हुई हैं। परिवर्तन तथा प्रतिस्पर्धा की चुनौतियों से निपटने के लिए ऐसे उन्नत संगठनों की स्थापना की जरूरत है जो छोटे हों, चुस्त हों तथा तुरंत कार्य करें तथा नए अवसरों से फायदा उठाने के लिए तेजी से आगे बढ़ने में सक्षम हों और परिवर्तन में आगे बने रहें।

प्रौद्योगिकी में परिवर्तन की बढ़ती गति के कारण ज्ञान तथा कौशल का पुराना पड़ जाना दैनिक सच्चाई है। लगातार प्रशिक्षण, पुन: प्रशिक्षण तथा मानव संसाधनों की पुन: तैनाती किसी भी संगठन की प्राथमिकता होनी चाहिए। संगठनों के भीतर एक अनुकूल कार्य परिवेश तैयार करने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की शक्ति का प्रयोग किए जाने की जरूरत है।

क्षमताओं का निर्माण करने के अलावा विचारों के निरंतर नवान्वेषण की भी जरूरत है और केवल विचार ही काफी नहीं हैं, उनका कार्यान्वयन भी जरूरी है। नवान्वेषणों की सफलता के लिए पूरी मूल्य शृंखला का, अर्थात् विचार की शुरुआत, उसको रूपांतरित करना, और उसका विस्तार, सभी का कुशलता से तथा कारगरता से कार्य करना होना जरूरी है।

इसी संदर्भ में किसी भी संगठन के विकास में क्षमता निर्माण एक जरूरी तत्त्व हो जाता है। मानव संसाधन विकास, सतत् विकास के लिए संगठनात्मक बदलाव लाने के लिए सबसे कारगर उपाय है।

देवियो और सज्जनो, किसी भी संगठन अथवा समाज के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए लोग सबसे महत्त्वपूर्ण कारक हैं। जिन अर्थव्यवस्थाओं में मानव संसाधन तथा अनुसंधान एवं नवान्वेषण पर पर्याप्त निवेश होता है, उनकी बेहतर उत्पादकता लाभ प्राप्त करने की संभावना रहती है। ऐसे समय में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था वित्तीय संकट से उबरने का प्रयास कर रही है, विश्व में व्यवसाय करने के तरीके में आमूल-चूल परिवर्तन से विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान मिल सकता है। इस सम्मेलन का विषय, ‘नई व्यावसायिक व्यवस्था में उन्नत संगठनों के लिए क्षमता निर्माण’ हमारी विकास संबंधी समस्याओं का हल ढूंढ़ने के नजरिए से बहुत प्रासंगिक है।

विश्व का आर्थिक विकास जो 2011 के कैलेंडर वर्ष में 3.9 प्रतिशत था वर्ष 2012 में 3.2 प्रतिशत रह गया। यद्यपि इसके 2013 तक सुधार की संभावना है परंतु फिर भी इसके बहुत ऊंचाई पर जाने की संभावना नहीं जताई गई है। 2014 में इसके 4.1 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना जताई गई है।

ये, विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर स्थित व्यवसायों और उद्योगों के लिए इशारा समझते हुए प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए समुचित कार्य योजनाएं अपनाने के लिए महत्त्वपूर्ण कारक हैं। एक ऐसे परिवेश में जहां निकट भविष्य में वैश्विक मांग बढ़ने की संभावना नहीं है, किसी भी फर्म की प्रतिस्पर्धात्मकता से ही उनकी स्थिति निर्धारित होगी। उत्तम व्यावसायिक संगठनों के निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी तथा मानव शक्ति प्रमुख कारक हैं।

देवियो और सज्जनो, मैं भारत की आर्थिक संभावनाओं पर कुछ बातें रखना चाहूंगा। विश्व के अधिकतर देशों के समान, हमारी आर्थिक प्रगति भी पिछले दो वर्षों के दौरान घटी है।

2003-04 से 2012-13 के दशक के दौरान हमारी अर्थव्यवस्था की 7.93 प्रतिशत की अच्छी औसत आर्थिक दर थी। इस 10 वर्षीय अवधि में, 2008-09 से 2012-13 की पांच वर्ष की अवधि के दौरान, विश्व आर्थिक प्रगति बहुत धीमी, कमजोर और अनिश्चित थी। यद्यपि 2012-13 में हमारी 5 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद दर 10 वर्ष में सबसे कम है, परंतु यह जी-7 देशों के मुकाबले काफी अधिक है। अंतरराष्ट्रीय अनुमानों ने बताया है कि इन अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में हमारी विकास दर अगले दो वर्षो तक बेहतर बनी रहेगी।

भारत अपने व्यापार और निवेश क्षेत्रों को उत्तरोत्तर उदार बनाता रहा है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में अतंरराष्ट्रीय व्यापार का 44 प्रतिशत का अनुपात विश्व अर्थव्यवस्था के साथ हमारी अर्थव्यवस्था के एकीकरण की गहराई का संकेत देता है। हमारी अर्थव्यवस्था विश्व वित्तीय संकट से लम्बे समय तक नहीं बच सकती, परंतु हम विकास की धीमी गति को रोकने के लिए मेहनत कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि हम अगले दो या तीन वर्षों में दोबारा 7 से 8 प्रतिशत की विकास की दर हासिल कर लेंगे। हमें इस उद्देश्य के लिए देश में निवेश को पुन: सुदृढ़ करना होगा।

हम सुविधाजनक और समयबद्ध स्वीकृति के लिए, अपनी प्रणालियों को उद्योग की आवश्यकता के प्रति संवेदी बना रहे हैं। निवेश पर समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए प्रमुख परियोजनाओं के अनुमोदन, निगरानी और समीक्षा के लिए एक कैबिनेट समिति का गठन किया गया है।

हम विदेशी निवेश का स्वागत करते हैं, जिसकी आधुनिक प्रौद्योगिकी लाने और हमारी अर्थव्यवस्था को वैश्वीकृत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। जब भारतीय उद्योग ने भी विदेश में निवेश करना आरंभ कर दिया है, हम विदेशी निवेशकों का, भारत आगमन और भारत को अपनी वैश्विक आपूर्ति शृंखला के भाग के रूप मे प्रयोग करने के लिए उनका स्वागत करते हैं।

सामान्यत: विदेशी निवेशक हमारी अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक राय रखते हैं। 2012 में विदेशी संस्थागत निवेशकों की 31 बिलियन अमरिकी डॉलर का शुद्ध आगमन 2011 के 8.3 बिलियन अमरीकी डालर से काफी अधिक है। अप्रैल 2012 और फरवरी 2013 के बीच हमारी अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में 20.9 बिलियन अमरिकी डॉलर आए।

एक महत्त्वपूर्ण सर्वेक्षण के अनुसार, चीन और अमरीका के बाद, भारत विदेशी निवेश का तीसरा सबसे पसंदीदा गंतव्य है। हमारे अवसंरचना क्षेत्र में इन निवेशों का लाभदायक प्रयोग करने की आपार क्षमता है। अवसंरचना से अधिक संबद्धता वाले ऑटोमोबाइल, इस्पात और सीमेंट जैसे क्षेत्रों में, बहुत से अपने प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में भारत में उच्च विकास हुआ है।

देवियो और सज्जनो, जनशक्ति और प्रौद्योगिकी, औद्योगिक प्रगति के प्रमुख उत्प्रेरक हैं। प्रचुर जनशक्ति भारत की तुलनात्मक अग्रता को दर्शाता है। भारत अभूतपूर्व जनसंख्या संबंधी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। 2020 में, चीन और अमरीका की 37, पश्चिम यूरोप की 45 और जापान की 48 वर्ष की औसत आयु की तुलना में एक भारतीय की औसत आयु 29 वर्ष होगी। हमें भारत को एक अधिक जीवंत, गतिशील और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए हइस जनसांख्यिकीय से लाभ उठाने की जरूरत का अहसास है।

अपनी जनशक्ति का विकास करने के लिए, सार्वजनिक-निजी पहल के तहत 2022 तक 500 मिलियन लोगों को कुशल बनाने के लक्ष्य वाला एक राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन आरम्भ किया गया है। 400 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को उच्चीकृत करने के लिए एक व्यावसायिक प्रशिक्षण सुधार कार्यक्रम भी आंरभ किया गया है।

मैं समझता हूं कि इस चार दिवसीय सम्मेलन के दौरान, संगठनों में क्षमता निर्माण और निष्पादन श्रेष्ठता के प्रबंधन, सफल संगठनों का निर्माण, युवाओं के मुद्दों और चुनौतियों का प्रबंधन, भावी नेतृत्व को संवारने तथा कॉरपोरेट-सामाजिक दायित्व आदि जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। मुझे विश्वास है कि इस विचार-विमर्श से पूरे विश्व में विकास की गति तेज करने वाली क्षमताओं के निर्माण के लिए उद्योग प्रमुखों को प्रेरित करने में सहायता मिलेगी।

हम भारत में, अपने उद्योग को विश्व के सर्वोत्तम उद्योगों के साथ सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा करते हुए देखना चाहते हैं। इस कार्यनीति में कुशल जनशक्ति और प्रबंधन पेशेवरों के एक सक्षम संवर्ग की उपलब्धता प्रमुख भूमिका निभाएगी। समावेशी विकास का राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल करने के लिए, भारत को समता और सामाजिक न्याय के साथ सेवाओं की कुशल उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु हमारे सामाजिक क्षेत्र की क्षमता को विकसित करना होगा। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि विकास के परिणाम देश के प्रत्येक नागरिक, विशेषकर समाज के हाशिए और व्यवस्था की निचली पायदान पर लोगों तक पहुंचें। मुझे उम्मीद है कि यह सम्मेलन भारत में मानव संसाधन विकास के क्षेत्र को एक महत्त्वपूर्ण गति देगा।

मैं, इन्टरनेशनल फेडरेशन फॉर ट्रेनिंग एंड डिवेलेपमेंट आर्गनाइजेशन से कहना चाहूंगा कि वे व्यक्तिगत और संगठनात्मक कारगरता में सुधार के लिए मानव संसाधन प्रयासों के नीति निर्माण और कार्यान्वयन में उत्प्ररेक की भूमिका निभाते रहें। मैं दोनों संगठनों तथा यहां उपस्थित सभी विशिष्ट प्रतिनिधियों को उपयोगी विचार-विमर्श के लिए शुभकामनाएं देता हूं और यह आशा व्यक्त करता हूं कि वे लोगों की जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि के लिए कार्य करते रहेंगे।

जय हिंद!