राष्ट्रीय नवाचार परिषद की जन रिपोर्ट 2013 की प्राप्ति के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली : 19-11-2013
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श्री जयराम रमेश, ग्रामीण विकास मंत्री,
डॉ. सैम पित्रोदा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय नवाचार परिषद,
थर्ड ग्लोबल इनोवेशन राउंड टेबल के प्रतिनिधि,
देवियो और सज्जनो,
मुझे राष्ट्रीय नवाचार परिषद की तीसरी वार्षिक जन रिपोर्ट प्राप्त करते हुए प्रसन्नता हो रही है। इस दशक को भारत का ‘नवाचार दशक’ बनाने की सरकार की संकल्पना को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा परिषद का गठन किया था। विगत तीन वर्षों के दौरान, परिषद ने देश में नवाचार खाका तैयार करने की दिशा में अनेक पहलें की हैं। सबसे पहले, मैं राष्ट्रीय नवाचार परिषद के अध्यक्ष, डॉ. सैम पित्रोदा और उनकी टीम को सरकार की संकल्पना को साकार करने के लिए उठाए गए नवान्वेषी प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।
2. ज्ञान और नवान्वेषण वह दो आधार स्तंभ हैं जिसके इर्द-गिर्द 21वीं शताब्दी में राष्ट्र स्पर्द्धा करेंगे, विकसित होंगे और समृद्धि प्राप्त करेंगे। देश के ज्ञान और नवान्वेषण वातावरण को सुदृढ़ बनाना, हमारे युवाओं के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने तथा निरंतर वैश्वीकृत हो रही दुनिया में प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त बनाने के लिए बहुत जरूरी है। भारतीय संदर्भ में नवान्वेषण विशेष तौर पर प्रगति और विकास के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि इसलिए भी जरूरी है कि हमारे यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, आवास और कृषि जैसे प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में पूरी नहीं हो पा रही जरूरतों का अंबार है। ये जरूरतें पारंपरिक तरीकों से पूरी नहीं हो पाई हैं। इन प्रमुख जरूरतों वाले क्षेत्रों के लिए नवान्वेषी नजरिए का प्रयोग करने से न केवल हमारी पुरानी समस्याएं दूर हो सकती हैं बल्कि निचले आर्थिक पायदान पर रहने वाली पिछड़ी आबादी के एक बड़े हिस्से की जरूरतें पूरी करके विकास प्रक्र्रिया को और समावेशी बनाया जा सकता है।
3. आने वाले वर्षों में भारत की सबसे बड़ी ताकत जनसंख्या सम्बन्धी बढ़त होगी। हमारी पचास प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या 25 वर्ष से कम है और शीघ्र ही विश्व की कामकाजी जनसंख्या का पांचवां हिस्सा हमारे देश में होगा। इसलिए, हमारी युवा पीढ़ी की जरूरतों पर सतत् तरीके से ध्यान देने तथा उनके लिए नए अवसर पैदा करने के लिए नवान्वेषण आवश्यक है। शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता के क्षेत्रों में नवान्वेषण से हमारे युवा न केवल देश, बल्कि दुनिया के लिए भी कार्यबल के रूप में उभर सकते हैं, क्योंकि विश्व में कामकाजी आयु वाली आबादी घटती जा रही है।
4. विश्व की सरकारें नवान्वेषण के प्रोत्साहन के लिए मिल-जुलकर प्रयास कर रही हैं। भारत ने भी 2010-20 को नवान्वेषण का दशक घोषित किया है। भारत सरकार ने नवान्वेषण आधारित विकास के लिए एक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवान्वेषण नीति की घोषणा की है। इस नीति की सफलता के लिए एक माहौल तैयार करने, सहयोग और नवान्वेषण के विकास के सर्वोत्तम वैश्विक तरीकों को अपनाने की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय नवाचार परिषद, ग्लोबल इनोवेशन राउंड टेबल के लिए विश्व भर की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आमंत्रित करके अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए कार्य कर रही है। सुगमता, समता और उत्कृष्टता पर आधारित नवान्वेषण के माहौल से यह सुनिश्चित हो पाएगा कि नवान्वेषण इस देश की एक जीवन पद्धति बन जाए।
5. आज हम एक ऐसे रोमांचक दौर में हैं जब हमारी पहुंच नए साधनों, प्रौद्योगिकी और संयोजनों तक है और इन माध्यमों से अभूतपूर्व नवान्वेषण आरंभ हो सकते हैं। नए साधनों और माध्यमों का संगठनात्मक ढांचे, सुपुर्दगी मॉडलों और कारोबार प्रक्रियाओं पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, जिनके लिए नवान्वेषण अत्यावश्यक होगा। एक राष्ट्र के तौर पर हमें नवान्वेषण की इस नए लहर के लिए तत्पर रहना होगा।
6. हमारे सभी प्रयासों का जोर समावेशी विकास, वहनीयता, मापनीयता और सतत्ता पर होना चाहिए। जनता के, जनता द्वारा और जनता के लिए, नवान्वेषण के हमारे व्यापक मॉडल से वास्तव में राष्ट्र सशक्त बनेगा और इसके फलस्वरूप भागीदारों के लिए सम्पत्ति का सृजन होगा। समावेशी नवान्वेषण का भारतीय नज़रिया विश्व के सतत् विकास के लिए एक आदर्श मॉडल भी बन सकता है।
7. यह परिषद सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के सहयोग से भारत समावेशी नवान्वेषण कोष आरंभ करने के अंतिम चरण में है। यह विश्व में अपनी तरह का पहला कोष है जो उन विकासात्मक चुनौतियों—परियोजनाओं के रचनात्मक नए समाधानों में सहयोग देगा जिनसे निर्धन लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा। अधिकांश नवान्वेषी विचार धन की प्राप्ति के विकल्पों की कमी के कारण प्रभावित होते हैं। यह कोष उपयुक्त ढांचे के माध्यम से, यह सुनिश्चित करेगा कि अब ऐसा भारत में न हो।
8. भारत में लगभग 5000 लघु और मध्यम पैमाने के क्षेत्रीय उद्योग समूह और 85000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम हैं, जिनमें 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है। ये इकाइयां इष्टतम स्तर पर कार्य नहीं कर रही हैं। मुझे बताया गया है कि राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद रोजगार और उत्पादकता बढ़ाने के लिए नवान्वेषी समूह सृजन की मदद करके इन लघु और मध्यम उद्यमों में नवान्वेषण पनपने का माहौल तैयार करने की दिशा में सक्रिय है।
9. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद ने पिछले 24 महीने में 7 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम समूहों में नवान्वेषण समूह मॉडल आरंभ किए हैं। 10 नए उत्पाद, 12 नई प्रक्रियाएं और 2 नए केन्द्रों की सफल प्रस्तुति के द्वारा आरंभिक सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम समूह ने दस लाख से ज्यादा कर्मचारियों को लाभ पहुंचाते हुए इन इकाइयों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। मुझे यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि इस प्रायोगिक प्रयास को भागीदारों ने न्यूनतम वृद्धि निवेश के जरिए किया। इस पहल ने कम लागत समाधानों का प्रयोग करते हुए लघु और मध्यम उद्यमों के लिए प्रतिस्पर्द्धा और विकास के नए अवसर खोले हैं।
देवियो और सज्जनो,
10. राष्ट्रीय नवान्वेषण परिषद ने राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के जरिए एक मेटा विश्वविद्यालय के सृजन का सुझाव दिया है, जो एक विश्वविद्यालय की संकल्पना को न केवल शिक्षण के पारंपरिक, भौगोलिक स्थान के रूप में बल्कि ज्ञान और सूचना के भण्डार के रूप में पुन: परिभाषित करेगा, जिसे विविध तरीकों से प्रदान किया जा सके और कहीं भी कभी-भी हासिल किया जा सके। यह एक सहयोगात्मक और बहु-विधात्मक शिक्षण मंच प्रस्तुत करेगा जहां एक प्रमुख कॉलेज/विश्वविद्यालय में प्रवेश प्राप्त विद्यार्थी अन्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में उपलब्ध पाठ्यक्रम ले सकेंगे।
11. देश के प्रतिष्ठित संस्थानों को अपनी विशेषताओं और कमियों को पहचानने तथा इस नवान्वेषी संकल्पना के प्रयोग से शैक्षिक और ढांचागत कमियों को दूर करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया है। इससे भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की प्रमुख चिंता पर ध्यान दिया जा सकता है जो उत्तम शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए गुणवत्तापूर्ण जनशक्ति और अवसंरचना की कमी का सामना कर रही है।
12. परिषद ने ‘तोड़ फोड़ जोड़’ पहल शुरू की है जिसका लक्ष्य एक ऐसा प्रत्यक्ष शिक्षण वातावरण प्रदान करना है जिसमें विद्यार्थी रोजमर्रा की दिखने और प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं को तोड़कर, जोड़कर अथवा नया रूप दे सकेंगे। यह पहल विद्यार्थियों में रचनात्मक विचारशीलता और विश्लेषणात्मक कौशल प्रोत्साहित करने का एक रोमांचकारी प्रयास है।
13. हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था, ‘‘भारत अपने गांवों में बसता है।’’ उन्होंने ग्राम स्वराज का भी समर्थन किया था। हम पारंपरिक साधनों द्वारा गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार के प्रयास कर रहे हैं। हमारे भरसक प्रयासों के बावजूद, हम अपने लक्ष्य से अभी दूर हैं। सरकार ने ऑप्टिक फाइबर आधारित ब्रांडबैंड के जरिए देश की दो लाख पचास हजार पंचायतों को जोड़ने का एक महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है। नवान्वेषी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों द्वारा जन सशक्तीकरण से गांवों में लोगों के रहन-सहन, विचार, कार्य और निर्णय लेने का तरीका बदल जाएगा। इससे हम महात्मा गांधी के स्वप्न के नजदीक पहुंच जाएंगे जो गांवों को भारत के शक्ति केंद्र के रूप में देखते थे।
देवियो और सज्जनो,
14. भारत एक विकासशील देश है और हमें एक विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने से पहले अनेक उपलब्धियां हासिल करनी होंगी। हम नवान्वेषण को सीढ़ी के तौर पर प्रयोग करके ही शीघ्र विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त कर सकते हैं। मैं इस देश के प्रत्येक नागरिक से आग्रह करता हूं कि वह इस देश में आरंभ किए गए नवान्वेषण अभियान का हिस्सा बनें। मैं विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों से भी आग्रह करता हूं कि वे इन नवान्वेषी प्रयासों के अग्रणी मोर्चे पर रहें और समावेशी विकास तथा प्रगति के हमारे लक्ष्य को साकार करने में संभावित तरीकों से योगदान दें।
15. मैं डॉ. सैम पित्रोदा और राष्ट्रीय नवाचार परिषद की उनकी टीम की उनके मौलिक प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं और मैं आशान्वित हूं कि परिषद के कार्य देश को एक नवान्वेषण राष्ट्र में बदलने में उल्लेखनीय योगदान देंगे।
जयहिंद!