मद्यपान और नशीले पदार्थों (दवा) के दुरुपयोग की रोकथाम के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 26-06-2013

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Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee at the Presentation of National Awards for Outstanding Services in the Field of Prevention of Alcoholism and Substance (Drug) Abuseमुझे आज मद्यपान और नशीले पदार्थों (दवा) के दुरुपयोग के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के लिए यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।

2. भारत में पहली बार ये पुरस्कार प्रदान किए जा रहे हैं। इससे उन सुपात्र संस्थाओं और व्यक्तियों को मान्यता प्रदान की जा रही है जिन्होंने एक चुनौतीपूर्ण सामाजिक समस्या के समाधान के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति तथा साहस के द्वारा कठिन लक्ष्यों को प्राप्त किया। उन्हें, इस समस्या तथा उससे जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए नशे की लत छुड़ाने, जागरुकता पैदा करने, अनुसंधान एवं नवान्वेषण, मनोचिकित्सा, पुनर्वास तथा इसी तरह के प्रयासों में, उनके असाधारण योगदान के लिए मान्यता प्रदान की गई है।

3. देवियो और सज्जनो, जैसा कि हम जानते हैं, शराब की लत, तथा नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक मनोवैज्ञानिक-सामाजिक-चिकित्सकीय समस्या है जिसमें बचाव तथा शुरुआत में ही पता लगाने से लेकर कारगर हस्तक्षेप, पुनर्वास तथा सामाजिक एकीकरण सहित समग्र नजरिए की जरूरत होती है।

4. मैं पुरस्कार विजेताओं को उनके अनुकरणीय कार्य के लिए बधाई देता हूं।

5. उनकी तथा उनके योगदान की सराहना के लिए इस दिन का चुनाव उपयुक्त है क्योंकि यह दिन मादक पदार्थों के दुरुपयोग तथा उनके अवैध व्यापार के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस है। वास्तव में समाज के रूप में, हमारे लिए यह उपयुक्त अवसर है कि हम इस दायित्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से व्यक्त करें।

6. मदाक पदार्थों का दुरुपयोग तथा उनका अवैध व्यापार पूरे विश्व में सामाजिक विकास तथा समाजों की स्थिरता पर लगातार बहुत नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। मादक पदार्थों तथा शराब की लत न केवल व्यक्ति का नाश करती है वरन् वह उन सभी के जीवन और मनोबल पर गहरा प्रभाव डालती है जो उनसे जुड़े हुए हैं। इसमें सबसे अधिक कष्ट उनके परिजनों को होता है। शराब की लत या नशीले पदार्थों की लत का शिकार हो गया हो उनके लिए श्राप के समान होता है और उनकी तकल़ीफ समाज के ताने-बाने को ही कमजोर कर देती है। भारत जैसे देश में, इसकी जनसंख्या के स्वरूप को देखते हुए, शराब की लत तथा नशीले पदार्थों का दुरुपयोग बहुत चिंता का विषय है। इस समस्या को रोकने तथा उसका उन्मूलन करने के लिए सभी भागीदारों को तात्काल समवेत प्रयास करने की जरूरत है।

देवियो और सज्जनो,

7. इन राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना शराब की लत और मादक पदार्थों के दुरुपयोग के मुद्दों का समाधान करने और उसके विरुद्ध प्रभावी कदम उठाने की सरकार की प्रतिबद्धता को व्यक्त करती है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 47, में विशेष रूप से राज्य को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पेय और मादक पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है। स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 में मादक पदार्थों के अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं, इसमें मादक पदार्थों की लत को रोकने और उपचार के केन्द्र स्थापित करने के लिए सरकार को अधिकार दिया गया है। अत:, स्वयं भारत सरकार की राष्ट्रीय स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ नीति का लक्ष्य इसकी रोकथाम और आपूर्ति पर नियंत्रण है।

8. परंतु नीतिगत ढांचे के अलावा, हमारे लिए जरूरी है कि हम साथ-साथ अपने सुपुर्दगी तंत्र को भी सुधारें। निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के साथ साझीदारी के माध्यम से योजनाएं और कार्यक्रम प्रभावी रूप से लक्षित समूहों तक पहुंचने चाहिए। ये हमारे समाज के कमजोर वर्गों की नई जरूरतों के अनुरूप होने चाहिए। हमें उन तक पहुंचने के और अधिक कार्यक्रम शुरू करने चाहिए जो मादक पदार्थों के दुरुपयोग की कड़वी सच्चाई को युवाओं के सम्मुख लाएं।

9. हमें सतत्, निरंतर और परिणामोमुख तरीके से मादक पदार्थों के दुरुपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के अधिक प्रयास करने की जरूरत है। नशा छुड़ाने और पुनर्वास केंद्रों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है परंतु जिज्ञासु या जिन्हें इसका खतरा है, उनको इससे दूर रखने के लिए उपयुक्त और समयानुकूल शैक्षणिक सूचना अधिक कारगर होगी। वास्तव में, रोकथाम की एक ऐसी राष्ट्रव्यापी समुदाय आधारित प्रणाली तैयार करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए जो प्रत्येक स्तर पर भागीदारों को जोड़े। वे स्थानीय संगठनों के साथ एकजुट होकर प्रभावित और संवेदनशील लोगों की विविध और विशिष्ट आवश्यकताओं के प्रति सक्रिय योगदान दे सकते हैं।

10. अंत में, मैं शिक्षकों, धार्मिक समूहों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, विधि प्रवर्तन अधिकारियों तथा सभी सामुदायिक प्रमुखों का आह्वान करता हूं कि वे अपने-अपने इलाके में व्यापक परंतु संवेदनशीलता के साथ मद्यपान और मादक पदार्थों के दुरुपयोग का समाधान करने के लिए एकजुट हो जाएं। हम अलग-अलग, व्यक्तिगत तौर से और मिल-जुलकर ऐसा महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं जिसके दूरगामी प्रभाव होंगे।

11. मैं, एक बार फिर, पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं तथा उनके प्रयासों और उपलब्धियों के लिए उनकी सराहना करता हूं। आप उम्मीद की भावना की प्रतीक हैं और आप बहुत से लोगों को प्रेरित करेंगे। मैं, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को भी इस पहल के लिए धन्यवाद देता हूं और उनके भावी प्रयासों के सफल होने की कामना करता हूं।

जय हिन्द!