राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार (खान) 2008, 2009 और 2010 प्रदान किए जाने के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

विज्ञान भवन, नई दिल्ली : 21-11-2012

Download : Speeches (225.31 किलोबाइट)

Speech By The President Of India, Shri Pranab Mukherjee At The Presentation Of National Safety Awards (Mines)-2008, 2009 & 2010

मुझे आज वर्ष 2008, 2009 और 2010 के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार (खान) के विजेताओं को सम्मानित करने के लिए यहां उपस्थित होकर प्रसन्नता हो रही है। मैं, इस अवसर पर खान सुरक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करने के लिए सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित ये पुरस्कार खान सुरक्षा में वर्षों से किए जा रहे अच्छे कार्य के लिए प्रशंसा का प्रतीक हैं।

2. मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार देश भर की खानों में लोकप्रिय होते जा रहे हैं। यह देश की सभी खानों द्वारा स्वैच्छिक प्रयासों के माध्यम से सुरक्षित तथा बेहतर कार्य परिवेश को बढ़ावा देने के संकल्प का उदाहरण प्रस्तुत करता है। ‘आत्म-विनियमन’ तथा ‘सुरक्षा प्रबंध में कामगारों की सहभागिता’ की द्विसूत्री संकल्पना के फलस्वरूप पिछले कई दशकों के दौरान दुर्घटना दर में लगातार कमी आई है और यह काफी उत्साहवर्धक है। परंतु इस संबंध में आत्मतोष के लिए कोई गुंजायश नहीं है क्योंकि खनन गतिविधियों के विस्तार, सघन यंत्रीकरण तथा प्रतिकूल भौगोलिक-खनन स्थलों में खनन् गतिविधियों के विस्तार, के कारण सुरक्षा मुद्दों और उनसे संबद्ध जटिलताओं में वृद्धि हो रही है।

खनन् उद्योग की, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण हैसियत है, केवल इसलिए नहीं कि यह दस लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है बल्कि इसलिए भी कि वह कोर सेक्टर सहित बहुत से उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है। खनिज सेक्टर ने वर्ष 2010-11 के दौरान हमारे राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पादन में 5.0 प्रतिशत का योगदान दिया है। देश के औद्योगिक परिवेश तथा समग्र आर्थिक माहौल में बड़ा परिवर्तन आ रहा है और मुझे उम्मीद है कि इसके फलस्वरूप खनन् उद्योग अपनी दक्षता, उत्पादकता, सुरक्षा तथा स्वास्थ्य मानकों में सुधार करते हुए खुद को वैश्विक दक्षता मानदंडों के लिए तैयार करेगा।

पिछली सहस्राब्दि लिखित इतिहास में कुछ महानतम् बदलावों की साक्षी रही है। यह सहस्राब्दि मध्य युग, औद्योगिक क्रांति, विज्ञान युग से होकर अब नई सहस्राब्दि बड़ी तेजी से सूचना युग की ओर बढ़ने का प्रयास कर रही है। यह समय आत्म निरीक्षण का है। बढ़ता हुआ मशीनीकरण, पर्यावरण की सुरक्षा पर जोर, कार्यस्थल पर सुरक्षा की कड़ी सामाजिक मांग, खनन उद्योग में बड़े पैमाने पर सूचना प्रौद्योगिकी की शुरुआत, अधिक दुर्गम भौगोलिक-खनन् स्थल तथा कीमत जैसे मुद्दे भारत में खनन् उद्योग के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर रहे हैं। इस बदले हुए परिवेश में, सभी स्टेकधारकों को अधिगम वक्र से एक कदम आगे रहने तथा लगातार व्यापार और प्रौद्योगिकीय प्रक्रियाओं को नया रूप देने की जरूरत है।

एक विकासशील अर्थव्यवस्था को उच्चतर विकास दर बनाए रखने के लिए ऊर्जा की अधिक उपलब्धता की जरूरत होती है। वर्ष 2012-17 की बारहवीं योजना अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के लिए 9 प्रतिशत की वार्षिक विकास दर की परिकल्पना की गई है। इसके कारण कुल ऊर्जा आपूर्ति में लगभग 6.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वृद्धि की जरूरत होगी। वर्ष 2010-2011 में देश में कुल 164.32 मिलियन टन तेल की जरूरत थी और इसमें से 76 प्रतिशत तक आयात किया जा रहा है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक तेल की कुल जरूरत 205 मिलियन टन प्रतिवर्ष तक बढ़ सकती है और इसमें से लगभग 80 प्रतिशत आयात करना होगा। यह अर्थव्यवस्था के लिए अव्यवहार्य होगा और इससे वित्तीय संतुलन तथा प्रगति और विकास के लक्ष्यों पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।

भारत सौभाग्यशाली है कि उसे कोयले का विशाल भंडार प्राप्त हुआ है। 1 अप्रैल 2012 को देश में 118 बिलियन टन कोयले के पुष्ट भंडार मौजूद हैं। उत्पादन के मौजूदा स्तर पर ये भंडार लगभग 200 वर्षों तक चल सकते हैं। फिलहाल, कोयले से देश की लगभग 52 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकता पूरी होती है। वर्ष 2016-17 तक, अर्थात बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम वर्ष तक देश की कुल ऊर्जा जरूरत लगभग 738 मिलियन टन तेल के बराबर होगी। हमारी विकास जरूरतों तथा ऊर्जा की भारी जरूरतों को पूरा करने के लिए देश को अगले 10-15 वर्षों तक कोयले पर अधिक से अधिक निर्भर रहना होगा। वास्तव में, कोयला हमारे ऊर्जा आपूर्ति के स्रोतों में प्रमुख स्थान पर होना चाहिए। तथापि, कोयले पर निर्भरता को व्यवहार्य स्थिति बनाने के लिए हमें अधिक स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की ओर बढ़ना होगा जिससे पर्यावण पर अनुचित दबाव न पड़े। एक दूसरा क्षेत्र जिसमें प्रयास की जरूरत है वह है ऐसी प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं की शुरुआत जो यह सुनिश्चित कर सकें कि इस सेक्टर में कार्यरत कामगार को खतरा रहित परिवेश मिले।

सूचना प्रौद्योगिकी के और अधिक प्रयोग से भविष्य में खनन् उद्योग के काम करने के तरीकों पर बहुत प्रभाव पड़ेगा। इससे एक तरफ कार्य की प्रक्रिया का सरलीकरण होगा और दूसरी तरफ कीमत में कमी और उत्पादकता में सुधार आएगा। 21वीं शताब्दी में बहुत से भागीदारों के साथ पुनर्गठित खनन् उद्योग की परिकल्पना की जा सकती है। हमें यह भी मानना होगा कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक परिवेश में केवल सुसंबद्ध, केंद्रित तथा कार्योन्मुख संगठन ही टिके रह पाएंगे। मुझे उम्मीद हैं कि खनन उद्योग वर्तमान समय की चुनौतियों के लिए तैयार होगा।

मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय सुरक्षा पुरस्कार (खान) हमारी खानों में स्वास्थ्य, सुरक्षा तथा कल्याण के मानकों का पालन करने के लिए एक उत्कृष्ट प्रेरक सिद्ध होगा। मैं, एक बार फिर सभी पुरस्कार विजेताओं को खान सुरक्षा को बढ़ावा देने के उनके शानदार प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।

जय हिंद।