32वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के उद्घाटन समारोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
नई दिल्ली : 14-11-2012
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भारत व्यापार संवर्धन परिषद के प्रमुख कार्यक्रम, भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के 32वें संस्करण के उद्घाटन समारोह के अवसर पर यहां उपस्थित होकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
कल ही, हमारे देश ने प्रकाशोत्सव—दीपावली का त्यौहार मनाया है। यह त्यौहार केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का ही नहीं बल्कि अंधेरे तथा अज्ञान को भगाकर ज्ञान के प्रकाश का स्वागत करने का भी प्रतीक है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि पिछले तीन दशकों से अधिक समय से भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले ने दुनिया को भारत की प्रगति की कहानी से परिचित कराने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इसने पिछले तीन दशकों के दौरान, भारत के आर्थिक तथा सामाजिक विकास को प्रदर्शित करने के माध्यम के रूप में काम किया है और लोकप्रियता हासिल करते हुए खुद को सशक्त किया है। मैं भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के प्रबंधन को बधाई देता हूं।
आर्थिक बदलावों के अनिवार्यत: सामाजिक प्रभाव होते हैं। तेज गति से हो रहे वैश्विक बदलावों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए हमें अपनी कार्मिकों की दक्षता में निरंतर सुधार लाना होगा। दक्षता विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण को विकास प्रक्रिया के केंद्र में लाया जाना अत्यंत जरूरी है। वर्ष 2022 तक 500 मिलियन दक्ष लोगों को तैयार करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह जरूरी है कि सरकारी एजेंसियों के अलावा, उद्योगों द्वारा शुरू किए गए मंच आर्थिक प्रगति की मुख्य धारा में कुशल कार्मिक शक्ति को एकीकृत करने के मुद्दे पर ध्यान दें।
भारत बहुत से विकासशील देशों के लिए आत्म-निर्भरता का मॉडल तथा प्रेरणा का स्रोत रहा है। गरीबी, निरक्षरता तथा बीमारी के उन्मूलन के प्रति हमारे निरंतर संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी द्वारा बड़ी दिलचस्पी से देखा जा रहा है। इस बात को दुनिया भर के लोगों द्वारा स्वीकार किया जा रहा है और उसकी प्रशंसा की जा रही है कि एक ऐसा देश, जिसकी बुनियादी तौर पर कृषि आधारित अर्थव्यवस्था है तथा जिसकी जनसंख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है, सूचना प्रौद्योगिकी, भारी उद्योग, संचार, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष अनुसंधान, इलैक्ट्रॉनिकी आदि जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी उपस्थित दर्ज करा सकता है।
यह देखकर खुशी होती है कि भारत का बाह्य व्यापार, अर्थात् सामान का निर्यात तथा आयात, सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में दोगुना से अधिक हो चुका है और जो शताब्दी के शुरू में 20 प्रतिशत से कम था, वह पिछले वर्षों के दौरान 45 प्रतिशत हो चुका है। यह संतोष की भी बात है कि पिछले दशक में भारत के निर्यात में 5 गुणा वृद्धि हुई है। भारत के निर्यातों की मिश्रित वार्षिक विकास दर जो 1990 के दशक के दौरान 8.2 प्रतिशत थी, 2000-01 से 2008-09 के दौरान बढ़कर 19.5 प्रतिशत हो गई। वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी भी वर्ष 2000 में 0.7 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 2010 में 1.5 प्रतिशत हो गई। प्रमुख निर्यातकों में इसका स्थान जो वर्ष 2000 में 31वां था वर्ष 2010 में बढ़कर 20वां हो गया। भारत ने अपनी निर्यात सामग्री और निर्यात गंतव्यों में भी काफी वृद्धि की और एशिया तथा अफ्रीका के देशों के साथ इसका व्यापार अमरीका और यूरोप के मुकाबले अपेक्षाकृत बढ़ा है।
सरकार ने अर्थव्यवस्था को उच्च विकास दर पर लाने के लिए कई नीतिगत उपाय शुरू किए हैं। इनमें से बहु-ब्रांड फुटकर तथा नागर उड्डयन सेक्टर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को अनुमति देने तथा बीमा और पेंशन सेक्टरों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाने के लिए विधायिका की अनुमति प्राप्त करने संबंधी निर्णय महत्त्वपूर्ण हैं। इसी प्रकार सरकार के आर्थिक सहायता के भार पर नियंत्रण करने के उपायों की भी घोषणा की गई है जिससे वित्तीय घाटे में कमी की जा सके। इन उपायों से आर्थिक प्रगति की गति वापस प्राप्त करने में सहायता मिलनी चाहिए।
भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले की श्रेणी तथा उसके आकार के, व्यापार मेले कम ही हैं। अपने अस्तित्व के तीन दशकों के दौरान भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में कारों, ड्यूरेबल, कंज्यूमर इलैक्ट्रानिक्स, उपकरण तथा आवास जैसे विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित बहुत से ग्राहक उत्पादों को सफलतापूर्व आरंभ करने के मंच के रूप में काम किया है। तथापि, सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह मेला, लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों के लिए गुणवत्ता में कमी लाए बिना अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने तथा घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आकर्षक मूल्यों पर पहुंच बनाने के लिए एक शानदार मंच बना है। जैसा कि हम जानते हैं ये लघु एवं सूक्ष्म उद्यम, ग्रामीण सशक्तता का स्रोत रहे हैं जो कि समावेशी विकास के सरकारी एजेंडे का एक प्रमुख उद्देश्य है।
मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि भारत व्यापार मेले का विषय ‘भारत का दक्षता निर्माण’ रखा गया है। यह उल्लेख करने की जरूरत है कि दक्षता का विकास देश की आर्थिक प्रगति का अभिन्न अंग है। अपने-अपने अनुभवों को एक दूसरे से बांटने के लिए सभी भागीदारों को एक स्थान पर लाकर भारत व्यापार संवर्धन संगठन ने प्रशंसनीय कार्य किया है।
मुझे अभी याद है कि देश के वित्त मंत्री के रूप में मेरे पिछले कार्यकाल में हमने अक्तूबर 2009 में राष्ट्रीय दक्षता विकास निगम शुरू किया था जिसका लक्ष्य 15 करोड़ दक्ष व्यक्तियों को तैयार करना था। तब से इस कार्य में काफी प्रगति हुई है। इस निगम ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए 1200 करोड़ से अधिक की धनराशि चिह्नांकित की है तथा इसके तहत अगले 10 वर्षों के दौरान 6.2 करोड़ व्यक्तियों को प्रशिक्षित किए जाने तथा निजी क्षेत्र में प्रति वर्ष 1.25 करोड़ की व्यावसायिक प्रशिक्षण क्षमता में वृद्धि की अपेक्षा है। मार्च 2012 तक, राष्ट्रीय दक्षता विकास निगम के सहयोगियों ने 24 राज्यों के 220 जिलों में लगभग 500 स्थाई तथा 2500 सचल केंद्र खोले हैं और इनमें 89500 व्यक्तियों को प्रशिक्षण प्रदान किया है। मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय दक्षता विकास निगम इन पहलों में वृद्धि जारी रखेगा।
अंत में मैं, आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के कुछ शब्दों को उद्धृत करना चाहूंगा, जिनके जन्म दिवस पर हम भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले की शुरुआत कर रहे हैं।
‘‘हम एक शानदार दुनिया में रहते हैं जो कि सुंदरता, सौंदर्य तथा साहसिकता से परिपूर्ण है। यदि हम अपनी आंखें खुली रखकर इनकी तलाश करें तो साहसिकता की कोई कमी नहीं है।’’
मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश, बेलारूस, चीन, क्यूबा, ईरान, पाकिस्तान, पपुआ न्यू गिनी, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड ने इस व्यापार मेले में अपने ‘राष्ट्रीय पैवेलियन’ स्थापित किए हैं; और 22 देशों से लगभग 480 विदेशी प्रदर्शक इस वर्ष मेले में भाग ले रहे हैं। मैं 32वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के सभी प्रतिभागियों और मेले में आगंतुकों को हार्दिक बधाई देता हूं और शुभकामनाएं देता हूं तथा मेले के शुभारंभ की घोषणा करता हूं।