राष्ट्रपति ने कहा, यह असहनीय है कि आज इस युग में भी महिलाएं क्रूर अत्याचार और हिंसा का शिकार हो रही हैं
राष्ट्रपति भवन : 08-03-2016
भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (08 मार्च, 2016) अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में वर्ष 2015 के नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि हमें स्वयं को पूरी तरह याद रखना दिलाना और हम दिला सकते हैं कि हमारे समाज के प्रत्येक पुरुष या महिला सदस्य को सुरक्षा, शांति और गरिमा के साथ जीने का समान अधिकार है। यह असहनीय है कि आज इस युग में भी महिलाएं इसलिए क्रूर अत्याचार और हिंसा का शिकार हो रही हैं क्योंकि वे महिलाएं हैं। हिंसा अथवा हिंसा का भय प्रत्येक विशेषकर हमारी महिलाओं और बच्चों की स्वतंत्रता और विकास को बाधित करता है। परंतु इससे भी बुरी बात यह है कि जब महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और समान अधिकारों की गारंटी की बजाए उनके प्रति ऐसे अमानवीय व्यवहार की अनुमति दी जाती है तो इससे हमारे समाज को क्षति होती है। आइए इस दिन हम सभी मिलकर सरकार, नागरिक समाज और जनता को हमारी माताओं और बहनों की सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने से संबंधित विधिक,प्रशासनिक और अन्य उपाय करने की शपथ लें।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें महिलाओं को सशक्त बनाना चाहिए। हमारे लोगों की मानसिकता को विकसित करना होगा। उन्हें अनुभव करना चाहिए कि बिना किसी वर्जना या भय के महिलाओं के लिए अपने परिवार और कार्य स्थल पर अपनी मर्जी से कार्य करने की परिस्थितियां पैदा करना समाज के हित में है। लैंगिक समानता समावेशी आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति की प्रमुख प्रेरक है। संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच और इन संसाधनों पर नियंत्रण पर और ज्यादा ध्यान तथा बालिकाओं और महिलाओं का स्वास्थ्य और पोषण बढ़ाने पर और अधिक बल आवश्यक है। महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार से परिवारों और समुदायों की उत्पादकता बढ़ती है और भावी पीढ़ी के लिए मानदंड नियत होते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि सरकारी नीति के कुशल कार्यान्वयन के लिए सामुदायिक कार्यक्रम सर्वव्यापक सुगम्यता के सर्वोत्तम साधन साबित हुए हैं। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम संयोजन और सुविधा सेवा कार्यक्रम की संकल्पना की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए कुपोषण, मातृत्व मृत्यु पर ध्यान देने तथा अंतर को समाप्त करने में सफल होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर कारगर सर्वोत्तम तरीके भारत सरकार की महिलाओं के विकास योजनाओं में अपनाए और बढ़ाए जाने चाहिए। एक प्रमुख और तात्कालिक प्राथमिकता महिलाओं के सर्वांगीण सशक्तीकरण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण पैदा करना है। सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक सभी तत्वों के प्रभावी मिलन से यह कार्य आसान हो सकता है। विवेकानंद का उद्धरण देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘एक राष्ट्र की प्रगति का सर्वोत्तम मापदंड महिलाओं के प्रति इसका व्यवहार है’, तथा ‘सभी राष्ट्रों ने महिलाओं को समुचित सम्मान देकर महानता अर्जित की है। जो देश और जो राष्ट्र महिलाओं का आदर नहीं करता वह कभी महान नहीं बना और न ही भविष्य में कभी बनेगा।’
यह विज्ञप्ति 1355बजे जारी की गई।