जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष में 12वें दीक्षांत समरोह के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण के चुनिंदा अंश

जबलपुर, मध्य प्रदेश : 27-06-2014

Extracts From Speech by the President of India, Shri Pranab Mukherjee at the Twelfth Convocation in the Golden Jubilee Year of Jawaharlal Nehru Krishi Vishwa Vidyalaya (JLNKVV)

1. मुझे आधुनिक भारत के निर्माता, पंडित जवाहरलाल नेहरु के नाम पर बने इस प्रख्यात कृषि विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर दीक्षांत व्याख्यान देते हुए गौरव का अनुभव हो रहा है। मुझे देश के खाद्यान्न कोष में प्रमुख योगदानकर्ता, मध्य प्रदेश राज्य में स्थित इस उच्च शिक्षा संस्थान में आकर खुशी हो रही है।

2. जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, 1964 में अपनी स्थापना से ही, इस क्षेत्र में खेती का स्वरूप बदलने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का प्रयास कर रहा है। इसने चना तथा अन्य दालों जैसी विभिन्न फसलों की 238 किस्में विकसित की हैं। इस विश्वविद्यालय द्वारा विकसित विश्व प्रसिद्ध जवाहर श्रृंखला सहित सोयाबीन की विभिन्न किस्में देश भर में सोयाबीन की खेती के नब्बे प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में बोई जाती हैं। इसे उचित ही, मध्य भारत में तेल क्रांति का श्रेय दिया जाता है। 23 फसलों की नब्बे किस्मों के साथ यह विश्वविद्यालय देश में प्रजनित बीज का सबसे बड़ा उत्पादक भी है।

प्यारे स्नातको,

3. मैं आप सभी को आपकी सफलता पर बधाई देता हूं। आप ऐसे क्षेत्र में उपाधि पा रहे हैं जो हमारे देश में बहुत महत्व का क्षेत्र है। कृषि बहुत से कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण सेक्टर है। यह हमारी अर्थव्यवस्था का निष्पादन तय करता है, खाद्य की उपलब्धता सुनिश्चित करता है, गांवों में रोजगार सृजित करता है तथा पोषाहार की सुरक्षा सुनिश्चित करता है तथा जमीनी स्तर पर, आय में वृद्धि करता है। हमारे देश के सामने एक बड़ी चुनौती गरीबी तथा अभाव के अभिशाप से मुक्त होना है। गरीबी का कोई धर्म नहीं होता, भूख का कोई पंथ नहीं होता तथा निराशा का कोई भूगोल नहीं होता। केवल गरीबी उपशमन पर्याप्त नहीं है। केवल गरीबी की पूरी तरह समाप्ति से ही वास्तव में भारत को उन्नत देशों के समुदाय में शामिल होने का रास्ता मिल सकता है। अध्ययनों से यहां पता चलता है कि गरीबी से लड़ाई में कृषि में एक प्रतिशत की वृद्धि गैर कृषि सेक्टरों में एक प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले दो से तीन गुना कारगर रही है।

4. भारत के पास विश्व का 2.4 प्रतिशत भोगौलिक क्षेत्र है तथा 4 प्रतिशत जल संसाधन हैं परंतु इसकी 17 प्रतिशत जनता तथा पशुधन का 15 प्रतिशत भारत में निवास करता है। भारत की इतनी बड़ी जनसंख्या का पालन कुशल कृषि पर निर्भर करता है। भारत विश्व भर में सबसे बड़ा कृषि सेक्टर है। छठे दशक के दौरान खाद्यान्न के आयातक देश से आत्मनिर्भर तथा निर्यातक देश के रूप में इसके रूपांतर का श्रेय हमारे कृषि वैज्ञानिकों तथा किसानों को जाता है। भारत आज विश्व में गेहूं तथा चावल के उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है। यह सबसे बड़ा चावल निर्यातक तथा दूसरा सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक भी है। हमें कठोर मेहनत से प्राप्त इस हैसियत को बनाए रखना है। इसी के साथ, बढ़ती जनसंख्या, सीमित जमीन और जल की उपलब्धता, जलवायु परिवर्तन तथा प्राकृतिक संसाधनों के हृस के चुनौतीपूर्ण परिवेश में खाद्यान्न के उत्पादन में अच्छी प्रगति करते रहना है। यह आप लोगों जैसे युवा स्नातकों का दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करें कि कृषि हमारी अर्थव्यवस्था में पर्याप्त योगदान देती रहे।

5. जब मैं वित्तमंत्री था तब मैंने कृषि विकास को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2010-11 के केंद्रीय बजट में एक कार्यनीति को रखा था। इस कार्यनीति के अधीन राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ‘पूर्वी भारत में हरित क्रांति की शुरुआत’ कार्यक्रम का कार्यान्वयन किया गया था। परिणामस्वरूप, चुनिंदा संकुलों के किसानों ने अच्छी कृषि परिपाटियां अपनाकर संकर चावल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए बेहतर उत्पादन का लाभ प्राप्त किया। क्योंकि यह कार्यक्रम हमारे दरवाजे तक दूसरी हरित क्रांति लेकर आया है इसलिए इस तरह की पहलों पर हमारा ध्यान केंद्रित रहना चाहिए।

मित्रो,

6. कुशल मानव संसाधन का विकास तथा प्रबंधन कृषि सेक्टर की क्षमता के पूर्ण उपयोग के लिए अत्यंत आवश्यक है। अच्छी कृषि शिक्षा इसकी कुंजी है। भारत प्राचीन समय से ही उच्च शिक्षा में अग्रणी रहा है। विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला एवं नालंदा विश्वविद्यालयों में कृषि पढ़ाई जाती थी। परंतु इतने वर्षों के बाद हम अपनी स्थिति बनाए रखने में सफल नहीं रहे हैं। आज हमारे कृषि विश्वविद्यालयों से वैश्विक मान्यता दूर है। यह हमारी समग्र उच्च शिक्षा प्रणाली का द्योतक है कि विश्व के सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों की सूची में एक भी भारतीय संस्थान का नाम शामिल नहीं है। रेटिंग प्रक्रिया पर निरंतर कार्य करने से हाल ही में कुछ सफलता मिली है जैसे कि एशियाई रैंकिंग में भारतीय संस्थानों की संख्या बढ़ना, हमारे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों का कुछ विषयों में सर्वोच्च 50 संस्थानों में शामिल होना, आदि। मुझे विश्वास है कि हमारे विश्वविद्यालय इन प्राथमिक सफलताओं से आगे बढ़कर भविष्य में और ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।

7. मेधावी विद्यार्थियों की रुचि कृषि के पेशे में करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना होगा। इसके लिए, स्कूली स्तर पर उचित परामर्श होना चाहिए। इससे बच्चों में कृषि शिक्षा के प्रति रुचि का बीजारोपण होगा। जो लोग कृषि को अपनी आजीविका बनाना चाहते हैं उनके लिए इसे लाभदायक विकल्प के रूप में विकसित करना होगा। इसके लिए संस्था स्तर पर प्रयास करने होंगे। निजी सेक्टर के साथ और अधिक मजबूत सहयोग बनाना होगा तथा भावी उद्यमियों को नेटवर्किंग, इटर्नशिप अवसरों, जानकारी कार्यशालाओं तथा व्यवसाय प्रेरणा सुविधाएं उपलब्ध कराकर उन्हें प्रोत्साहित करना होगा। कृषि-उद्यमिता का एक नवान्वेषी मॉडल न केवल खाद्य सेक्टर के बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भारी विकास में रूपांतरित हो सकता है।

8. कृषि विषयों के विद्यार्थियों को ऐसे कौशलों तथा दक्षताओं से सज्जित करना होगा, जिससे वे एक बहु-कार्यात्मक व्यवस्था में कार्य कर सकें। उन्हें अपने मूल विषयों से बाहर के ज्ञान तथा परिपाटियों को समायोजित करना सिखाना होगा। पेशेवर-दक्षता के अलावा उन्हें संप्रेषण, निर्णय लेने की योग्यता, भाषा तथा उद्यमिता जैसी जरूरी दक्षताओं में भी प्रशिक्षण देना होगा। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय की व्यवसाय योजना विकास यूनिट ने प्रौद्योगिकियों के व्यासायीकरण तथा उद्यमिता को बढ़ावा देने पर काफी अच्छा कार्य किया है।

मित्रो,

9. खेती सेक्टर की सफलता के साथ ही आम आदमी के कल्याण में कृषि विश्वविद्यालयों की बड़ी भूमिका है। उनकी सफलता का पैमाना उनके द्वारा तैयार किए जा रहे स्नातक हैं। हमें अपनी अगली हरित क्रांति का नेतृत्व करने के लिए अपने कृषि विश्वविद्यालयों से समर्पित, सक्षम तथा कठोर परिश्रम करने वाले पेशेवर चाहिएं। इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी अपवाद नहीं हैं तथा उन्हें कृषि में इस आसन्न रूपांतरण में पूर्ण योगदान देना चाहिए। मैं उनके जीवन तथा आजीविका केलिए शुभकामनाएं देता हूं। मैं एक बार पुन: जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय को स्वर्ण जयंती वर्ष की बधाई देता हूं। मैं इस विश्वविद्यालय को अभी तक किए इसके सभी कार्यों के लिए और भविष्य के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद! 
जयहिन्द