अंतरराष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा सम्मेलन के उद्घाटन पर भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण

कोलकाता, पश्चिम बंगाल : 01-08-2014

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1.अंतरराष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा सम्मेलन, जिसे राष्ट्रीय जूट और संबंधित रेशा प्रौद्योगिकी अनुसंधान के प्लेटिनम जुबली समारोह के स्थापना के अवसर पर आयोजित किया गया है, के उद्घाटन में आज की शाम भाग लेना मेरे लिए वास्तव में खुशी का मौका है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का एक संस्था यह संस्थान जूट और संबंधित रेशा प्रौद्योगिकी के विकास के प्रति समर्पित है।

2. बदलते हुए विश्व आर्थिक और पर्यावरणीय परिदृश्य में, जूट और संबंधित रेशों की भूमिका का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। इसलिए इस प्रकार का सम्मेलन उचित समय पर आयोजित किया गया है और मैं इसके आयोजन के लिए राष्ट्रीय जूट और संबंधित रेशा प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान तथा दूसरे सहयोगियों-राष्ट्रीय जूट बोर्ड, राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा सोसायटी तथा केन्द्रीय जूट और संबंधित रेशा अनुसंधान संस्थान की सराहना करता हूं। मुझे जूट और संबंधित रेशों के विशेषज्ञों, अनुसंधानकर्ताओं,नीति निर्माताओं आौर उद्यमियों के विशिष्ट समूह के सामने अपने कुछ विचारों को रखने का अवसर प्राप्त करके प्रसन्नता हुई है।

देवियो और सज्जनो,

3. जूट पूर्वी भारत की एक महत्वपूर्ण रेशेदार फसल है। सत्तर के दशक तक यह निर्यात की एक अहम वस्तु भी था और इसे उचित ही सुनहरा रेशा कहा जाता था। भारत वर्तमान में जूट के कच्चे रेशों तथा जूट उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक है। जूट पदार्थों के औद्योगिक उत्पादन में मुख्यत: पैकेजिंग सामग्री, बोरे और टाट शामिल हैं, जिनका कुल उत्पादन में 82 प्रतिशत हिस्सा है। दुर्भाग्यवश, विगत कुछ दशकों के दौरान जूट उद्योग में विकासोन्मुखता की कमी रही है। मुख्य रूप से सिंथेटिक जैसे विकल्पों से भीषण प्रतिस्पर्धा के कारण पैकेजिंग सामग्री के रूप में इसने धीरे-धीरे अपना दर्जा खो दिया है।

4. बहुत से कारणों से इस उद्योग में गिरावट की प्रवृत्ति आ गई है। उच्चीकरण और आधुनिकीकरण का अभाव, केवल बोरों के अनिवार्य प्रयोग के सरकारी आदेशों पर अत्यधिक निर्भरता;ठहरा हुआ उत्पादकता स्तर, बोरों और टाट के मूल्य संवर्धन की सीमित संभावना; कच्चे जूट की आपूर्ति और कीमत में मौसमीय उतार-चढ़ाव; उत्तम श्रेणी के कच्चे जूट के उत्पादन में क्रमश: गिरावट जूट के समान की कीमत के ढांचे में असंतुलन तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपर्याप्त मांग ने जूट क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। अधिक उत्पादकता के लिए मशीनरी तथा गुणवत्तापूर्ण बीमा की अपर्याप्त उपलब्धता; प्रौद्योगिकी समावेशन तथा उत्पादकता विविधता के प्रति उद्योग की उदासीनता और अपर्याप्त निर्यात उन्नयन और विपणन कार्यनीति ने इस कठिनाई को और बढ़ा दिया है।

5. जूट सेक्टर के विकास के लिए सभी स्टेकधारकों का समन्वित प्रयास जरूरी है। जूट उत्पादों की छवि को सस्ती पैकेजिंग सामग्री से बदलकर विभिन्न तरह के प्रयोक्ताओं के लिए मूल्य संवर्धित उत्पादों के रूप में बनाने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। पर्यावरण के प्रति विश्व की चिंता तथा प्राकृतिक रूप से सड़ने वाले प्राकृतिक रेशों से बने उत्पादों के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती प्राथमिकता ने जूट के अधिक उपयोग के नए अवसर खोल दिए हैं। इस क्षमता को साकार करने के लिए तकनीकी सामर्थ्य को अत्यधिक निवेश; प्रौद्योगिक उन्नयन, बाजार का संवर्धन तथा सहयोगी सरकारी भूमिका के जरिए बढ़ाना होगा। राष्ट्रीय रेशा नीति 2010 का लक्ष्य पारंपरिक श्रम प्रधान उद्योग से बदलकर एक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और व्यापक उत्पाद मात्रा के साथ एक आत्मनिर्भर आधुनिक उद्योग बनाना है। जूट प्रौद्योगिकी मिशन से विशेषत: निर्यात बाजार में जूट विविधता वाले उत्पादों के विकास में मदद मिलने की उम्मीद है।

6.आमतौर से जूट की खेती तथा खासकर उपजोत्तर प्रौद्योगिकी पर प्रौद्योगिकी सहयोग तथा विस्तार कार्यकलापों के मामले में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। रेशा उपज में सुधार तथा अधिक मजबूती, रंग और चमक युक्त श्रेष्ठ रेशे का उत्पादन तथा दोषपूर्ण सड़न से होने वाले नुकासान से बचाकर जूट किसानों को लाभकारी आय सुनिश्चित हो पाएगी।

देवियो और सज्जनो,

7.जूट स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकताओं के अनुकूल है। यह खाद्यान्न और चीनी के लिए एक पैकेजिंग सामग्री के तौर पर पसंदीदा विकल्प बना हुआ है। तथापि,उसकी उत्पादन लागत को कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्नत मशीनरी विकसित करनी होगी तथा ऊर्जा और अपशिष्ट प्रबंधन उपाय अपनाने होंगे। निर्माण और गुणवत्ता आश्वासन प्रक्रियाओं को उन्नत बनाना होगा। हल्के सिंथेटिक थैले जैसी अन्य पैकेजिंग सामग्रियों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए विभिन्न प्रकार के जूट थैलों को बनाने हेतु अधिक से अधिक विविधिकरण आवश्यक है। उदाहरण के लिए, हाइड्रोकार्बन युक्त थैलों के उत्पादन और प्रोत्साहन से इसकी निर्यात मांग पूरा करने के अलावा विशाल घरेलू बाजार की मांग पूरी की जा सकती है।

8.मुझे आम जनता जनों द्वारा प्रयोग के लिए जूट निर्मित खरीददारी बैग,जूतों और हस्तशिल्प वस्तुओं के निर्माण के कुछ उपयोगी उत्पाद नवान्वेषणों की जानकारी है। मुझे बताया गया है कि इन चीजों के प्रति उपभोक्ता का रूख उत्साहजनक रहा है। विश्वस्त गुणवत्ता वाले जूट खरीददारी बैग का अमरीका और यूरोप के विकसित बाजारों में स्वागत हुआ है। मुझे उम्मीद है कि ऐसे विविध जूट उत्पादों का विकास किया जाएगा जिनका दैनिक प्रयोग होता है तथा जिनका श्रेष्ठ सौंदर्यात्मक महत्व है। मुझे विश्वास है कि ऐसे उत्पादों को भारत और विदेश में एक तैयार बाजार मिल जाएगा। इन किस्मों का एक विशाल निर्माण केन्द्र देश के पूर्वी प्रांत तथा अन्य भागों में स्थापित किया जा सकता है। इसमें विशेषकर ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी।

9.यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि भू-वस्त्र तथा मिश्रणों सहित जूट तकनीकी वस्त्रों के कुछ क्षेत्रों में धीरे-धीरे जगह बना रहा है। निर्माण के क्षेत्र में भू-वस्त्र ने भू-तकनीकी समस्याओं के समाधान में अपनी गुणवत्ता प्रदर्शित की है। जूट को इस नए क्षेत्र में अपना उपयुक्त स्थान बनाना होगा। इसके लिए, हमारे पास देश और विदेश में बेहतर बाजार हासिल कर सकने वाले विविध भू-जूट उत्पाद बनाने के लिए तकनीकी और निर्माण साधन होने चाहिए। मुझे उम्मीद है कि भारत और बांग्लादेश में कार्यान्वित की जा रही है। जूट भू-वस्त्र पर अंतरराष्ट्रीय परियोजना के निष्कर्षों के द्वारा संवर्धित ग्रामीण सड़क निष्पादन के भू-जूट प्रयोग, नदी तट के संरक्षण, पर्वतीय ढाल के स्थिरीकरण की प्रमाणिकता स्थापित होगी। इसी प्रकार, मैं लागत-प्रदर्शन अनुपात के संदर्भ में इसके लाभ साबित करने के लिए ऑटोमोबाइल और निर्माण के विशिष्ट अनुप्रयोगों हेतु उपयुक्त निर्माण की मिश्रित सामग्रियों में जूट के प्रयोग की परिकल्पना करता हूं।

देवियो और सज्जनो,

10.जूट हमारे देश में रैमी, नारियल, सुतली, केले के रेशे और अन्नानास के रेशे जैसे जूट से जुड़े अधिकांश प्राकृतिक रेशे उपलब्ध हैं। इन सभी में उपयोगी उत्पादों के निर्माण कां अपार क्षमता है। इसके लिए उपयुक्त प्रक्रिया प्रौद्योगिकियों का बुद्धिमतापूर्ण विकास आवश्यक है। इससे इन रेशों से संबंधित किसान एवं लघु उद्यमियों के लिए आर्थिक लाभ का मार्ग प्रशस्त होगा। विभिन्न प्राकृतिक रेशों और उनके उत्पादों के बारे में ज्ञान और अनुभवों का आदान-प्रदान आवश्यक है। दो वर्ष पहले आरंभ की गई भारतीय प्राकृतिक रेशा सोसायटी ने प्राकृतिक रेशे विशेषकर जूट के विकास की दिशा में एक वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिकों,पेशेवरों और अन्य भागीदारों को एक मंच उपलब्ध करवाया है।

11.जूट एवं संबंधित रेशों पर केंद्रित यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन इन प्राकृतिक रेशों की संभावनाओं की दिशा में एक सही कदम है। मुझे विश्वास है कि यह मंच इन रेशों के अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में सभी जरूरी मुद्दों पर विचार करेगा। प्राकृतिक रेशों से जुड़े विभिन्न स्टेकधारकों के एक स्थान पर जुड़ने से जूट सहित हमारे प्राकृतिक रेशा संसाधनों के सार्थक उपयोग के लिए अवसर तथा कार्यनीति तय करने में सहायता मिलेगी। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन से सार्थक विचार-विमर्श, स्वस्थ विचार-विनिमय तथा भविष्य के लिए ठोस कार्य योजना सामने आएंगी।

12.मैं इस सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को शुभकामनाएं देता हूं। मैं उन्हें भविष्य के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद! 
जयहिन्द