बाल दिवस की पर्वू संध्या पर राष्ट्रपति का संदेश

राष्ट्रपति भवन : 13-11-2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने बाल दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में कहा कि हमें बच्चों को अपने राष्ट्र के भविष्य का बड़ा स्वप्न देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उनकी क्षमता को अधिकतम करने का प्रयास करना चाहिए।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के लिए एक संदेश में राष्ट्रपति ने कहा, ‘मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय 14नवम्बर, 2015 को ‘‘असाधारण उपलब्धि के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 2015’’, ‘‘राजीव गांधी मानव सेवा पुरस्कार, 2015’’ तथा ‘‘राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार, 2014’’ प्रदान करके बाल दिवस मना रहा है।’

हमारे राष्ट्र का भविष्य बच्चों पर निर्भर है। पर्याप्त अवसर और मार्गदर्शन प्रदान किया जाए तो उनमें समाज और मानवता के प्रति योगदान देने की असीम क्षमता है। बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने, व्यापक ज्ञान अर्जित करने तथा बाल अनुकूल वातावरण में पल्लवित होने का अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि वे जीवन में ध्येय से युक्त नेक इंसान बनें। हमें बच्चों को अपने राष्ट्र के भविष्य का बड़ा स्वप्न देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उनकी क्षमता को अधिकतम करने का प्रयास करना चाहिए।

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार समारोह प्रतिवर्ष बच्चों की उपलब्धियों और बच्चों के कल्याण हेतु कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान करने तथा स्वर्गीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की याद में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। इन पुरस्कारों का तात्पर्य असाधारण उपलब्धि वाले बच्चों और उनके पदचिह्नों पर चलने वाले अन्य बच्चों को प्रोत्साहित करना है। यह पुरस्कार समारोह उन व्यक्तियों और संस्थाओं के द्वारा किए गए प्रयासों के लिए भी मनाया जाता है, जिन्होंने बच्चों के लिए अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के द्वारा समाज में परिवर्तनीय अंतर को स्थान दिया।

इस अवसर पर मैं, पुरस्कार विजेताओं को मुबारकबाद देता हूं और देश के सभी बच्चों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मैं उनके सुखद, उज्ज्वल और उपयोगी भविष्य की कामना करता हूं।

यह विज्ञप्ति 13:50 बजे जारी की गई।