प्रवासी भारतीय दिवस के चौदहवें आयोजन में समापन संबोधन और प्रवासी भारतीय सम्मान प्रदान करने के अवसर पर प्रणब मुखर्जी का अभिभाषण
बेंगलुरु : 09-01-2017
Download : Speeches (383.23 किलोबाइट)
1. प्रवासी भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होना वास्तव में मेरे लिए प्रसन्नतादायक है। 102 वर्ष पूर्व इसी ऐतिहासिक दिन अब तक के महानतम प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे।
2. हम आज यहां अपनी मूल जड़ों की जांच पड़ताल और पुष्टि करने के लिए एकत्रित हुए हैं क्योंकि हम अपने अपनाए हुए देश के प्रति गौरवान्वित हैं और आजीविका प्राप्त करते हैं। 31.7 मिलियन के करीब प्रवासियों के एक विशालतम समुदाय, प्रवासी भारतीयों को आत्मसात्करण की अपनी सहज क्षमता और अपनी पहचान बनाए रखने के लिए जाना जाता है। ऐसा करके आपने निष्ठा और परिश्रम के द्वारा अपनाए हुए देश में असीम योगदान दिया है।
3. आपमें से ऐसे बहुत हैं जिन्होंने उच्च प्रौद्योगिकी, कारोबार, राजनीति, कला और संस्कृति और खेल आदि में उल्लेखनीय योगदान दिया है। भारत सरकार की ओर से कुछ समय पहले 30 सदस्यीय समुदाय को प्रवासी भारतीय सम्मान प्रदान करना वास्तव में मेरे लिए सम्मान की बात थी। मैं आपके मूल देश और भारत के प्रति योगदान के लिए आप में से प्रत्येक को बधाई देता हूं।
4.मित्रो, हम आज यहां आपकी सफलताओं और उपलब्धियों को मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं। आप लंबे समय से भारतीय संस्कृति के अग्रणी दूत रहे हैं और मैं आशा व्यक्त करता हूं कि आप भारतीय समुदाय भारतीय गाथा को मुखर बनाने के प्रमुख दूत बने रहेंगे। आप पश्चिमी प्रौद्योगिकी से परिचित हैं परंतु फिर भी भारत की प्राचीन और शाश्वत परंपरा के अपने सभ्यतागत मूल्यों से जुड़े हुए हैं, इसलिए आपको दोहरा लाभ मिला हुआ है। आप जिस पाश्चात्य और पौर्वात्य सहयोग का प्रतिनिधित्व करते हैं, उससे आपको एक अनूठा स्थान और अवसर प्राप्त होता है जिसमें आपकी मातृभूमि और अपनाए गए देशों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान शामिल है। आप भारत की झलक अपने मेजबान देश को देते हैं और अपनाए गए देश की सांस्कृतिक विरासत को भी भारत लेकर आते हैं। मेरे विचार से ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के हमारे विश्वास को इससे अधिक व्यक्त नहीं किया जा सकता है।
5.आपमें से अधिकांश ने अत्यधिक भौतिक उपलब्धि प्राप्त की है लेकिन आप आध्यात्मिक और खुशहाली के उच्च स्तर को प्राप्त करने में सक्रिय रूप से शामिल हैं। हम भारतीयों के लिए यह एक समानांतर कार्य है और मुझे विश्वास है कि आप इस क्षेत्र में एक मार्गदर्शक भूमिका निभा सकते हैं। हम राष्ट्रों के समूह के बीच आर्थिक और कार्यनीतिक संबंध में अपना उचित और सुयोग्य स्थान प्राप्त करने का सफल प्रयास कर रहे हैं इसलिए हमें उत्कृष्टता और विलक्षणता के क्षेत्र में अपनी प्राचीन विशेषताओं पर ध्यान देते रहना चाहिए।
6.प्रिय मित्रो, देवियो और सज्जनो, प्रवासी भारतीय दिवस विश्व भर में फैले हुए समुदाय के साथ सरकार के जुड़ाव के लिए अग्रणी आयोजन रहा है। मुझे यह जानते हुए खुशी हो रही है कि विदेश स्थित भारतीय दूतावास और उच्चायोग अपने-अपने देशों में भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ प्रवासी भारतीय दिवस मना रहे हैं।
7.यह सम्मेलन ना केवल सरकार और भारतीय समुदाय के बीच एक संयोजन उपलब्ध करवाता है बल्कि यह विभिन्न क्षेत्रों में नीतियों, पहलों और उपलब्धियों को दर्शाने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारों दोनों तथा अपने मूल देश में योगदान एवं प्रतिदान के लिए समुदाय को आमंत्रित करने का एक उत्कृष्ट अवसर भी प्रदान करता है।
8.मित्रो, हमारे बीच भारतीय समुदाय की अनेक विख्यात हस्तियां उपस्थित हैं जो विश्व भर में नेतृत्वकारी पदों पर हैं। पुर्तगाल के माननीय प्रधानमंत्री, डॉ. अंटोनियो कोस्टा जो आज हमारे साथ हैं, गोवा के हैं। यहां उनकी उपस्थिति हमारे लिए तथा विश्व भर के भारतीय समुदायों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है। हमें प्रसन्नता है कि उन्होंने प्रवासी भारतीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। पुर्तगाल के साथ भारत के संबंध घनिष्ठ राजनीतिक, सुरक्षा, सांस्कृतिक और सबसे महत्वपूर्ण जनसंपर्कों के साथ हार्दिक और मैत्रीपूर्ण रहे हैं और जारी हैं।
9.मुझे यह भी प्रसन्नता है कि भारतीय समुदाय के सबसे युवा नेता सूरीनाम के उपराष्ट्रपति, श्री माइकल अश्विन अधीन आज हमारे साथ यहां उपस्थित हैं। भारत के सूरीनाम के साथ घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं जो सांस्कृतिक और जनसंपर्क द्वारा सुदृढ़ हैं। भारतीय समुदाय लगभग 142 वर्ष पूर्व सूरीनाम गया था। सूरीनाम में रह रहे भारतीय मूल के 2,30,000 से अधिक व्यक्तियों ने उस देश के सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
10.विशिष्ट मित्रगण, उपलब्धियों और सफलताओं पर उल्लास मनाते हुए मैं आपका ध्यान अनेक अप्रवासी भारतीयों की ओर दिलाना चाहूंगा जो खाड़ी क्षेत्र और दक्षिणपूर्व एशिया मेें अनेक अस्थायी प्रवासी हैं। वे भारतीय नागरिक हैं जोे कम कुशल और अर्द्धकुशल श्रमिकों के रूप में रोजगार के लिए प्रवास करते हैं। वे दिन-रात मेहनत करते हैं और प्रेषित धन के रूप में अपने श्रम के फल को अपने परिवार के गुजारे के लिए भारत को भेजते हैं। ये भेजी हुई धनराशि किसी समुदाय द्वारा सबसे अधिक है जो कुल प्रेषित वैश्विक धनराशि का 12 प्रतिशत है और 2015 में 69 बिलियन डॉलर के बराबर है।
11.उनमें से बहुतों के भारत लौटने की संभावना है परंतु विदेश में रहने पर वे सभी इस सच्चाई की वजह से असुरक्षित हैं कि उन्हें अपने मेजबान देश की नागरिकता के लाभ नहीं मिलते हैं। यह बात विशेषकर विवादग्रस्त और संघर्षपूर्ण क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के लिए सच है क्योंकि उनकी सुरक्षा और कुशलता खतरे में रहती है। इस संबंध में यह उल्लेख करते हुए संतुष्टि हो रही है कि उनकी चिंताओं को कम करने में उनके मातृदेश ने भूमिका निभाई है। अनेक मंत्रालयों और संगठनों के तीव्र और समन्वित अभियानों के द्वारा हम विवादग्रस्त राष्ट्रों से अपने हजारों देशवासियों को वापस लाने में सफल रहे हैं। मैं इस संबंध में, विदेश मंत्रालय की पहलों के लिए हमारी ऊर्जावान विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज जी और विदेश राज्य मंत्री वी.के.सिंह को बधाई देता हूं।
12.रोजगार की तलाश में विदेश गए इन अस्थायी प्रवासियों के संबंध में यह बुद्धिमतापूर्ण होगा कि उनके कौशल उन्नयन के प्रति ध्यान दिया जाए। भारत सरकार के कौशल कार्यक्रमों तथा प्रवासी कार्यबल के बीच विद्यमान कौशल अंतर के मध्य संयोजन स्थापित करके उनके रोजगार और आय को बढ़ाने से फायदा मिलेगा।
13.मित्रो, कुछ वर्षों के दौरान, हमने स्मार्ट समाधानों के लिए अनेक पहल आरंभ की हैं। 2014 में हमने भारतीय कामगारोें की आवश्यक उत्प्रवास जांच वर्ग की भर्ती में कौशल और पारदर्शिता के लिए ई- प्रवास मंच शुरू किया। ऐसी पहलों से विदेश जानेवाले हमारे कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा में तथा भारत में नियुक्त एजेंटों और उनके विदेशी नियोजकों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
14.जहां तक प्रवासी भारतीयों की असुरक्षा का संबंध है, मैं प्रवासी भारतीय परिवार से विवाह कर रही महिलाओं और युवतियों की चिंताओं का भी उल्लेख करना चाहूंगा। सरकार और इसकी एजेंसियां इस मुद्दे से निपट रही हैं परंतु इस विशेष वर्ग की चिंताओं का स्थानीय सामुदायिक संगठनों द्वारा सबसे प्रभावी समाधान किया जा सकता है। मैं इस अवसर पर विदेश भारतीय सामुदयिक संगठनों से आग्रह करता हूं जिनमें से अनेक को आज पुरस्कृत किया गया है, कि वे एकजुट कार्य द्वारा सरकार के प्रयासों में मदद करते रहें।
15.विशिष्ट अतिथिगण, इस प्रकार के अवसर हमें एक दूसरे से निरंतर जुड़े रहने का मौका प्रदान करते हैं। इसी प्रकार, वे हमारे जुड़ाव क्षेत्रों के प्रति पुनःउन्मुख और पुनःऊर्जावान बनाने का स्मरण करवाते हैं। सरकार विदेशों में पैदा और पले-बढ़े युवाओं के लिए कुछ योजनाओं का कार्यान्वयन कर रही है। इस संबंध में ‘द नो इंडिया प्रोग्राम’ एक अग्रणी पहल है जिसके अंतर्गत ऐसे युवा अपनी विरासत और संस्कृति की तलाश करने के लिए और सामयिक भारत के साथ परिचित होने के लिए भारत की यात्रा कर सकते हैं।
16.इसी प्रकार, यह अवसर भारत के उन क्षेत्रों को उजागर करने के लिए है जिनके लिए आपका सक्रिय सहयोग और भागीदारी आवश्यक है। हमारे पास युवा आबादी है जिसे उच्च स्तरीय पेशेवर और तकनीकी शिक्षा से युक्त करने की जरूरत है। भारतीय समुदाय ज्ञान- ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स जैसे कार्यक्रमों में भाग लेने पर विचार कर सकता है जिसके अंतर्गत वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और भारतीय प्रबंधन संस्थानों सहित उच्च शिक्षण संस्थाओं के साथ अल्पकालिक शैक्षिक नियुक्ति के लिए भारत की यात्रा कर सकते हैं। वे संयुक्त अनुसंधान और विकास के अवसरों को तलाश करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जैव-प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रदान किए गए अध्येता और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों का लाभ भी उठा सकते हैं। ऐसे सहयोग के माध्यम से हमारे संस्थान, उद्यमी और नवान्वेषक हमारे शिक्षा क्षेत्र और कौशल प्रयासों को समृद्ध कर सकते हैं।
17. इसी प्रकार, आपके लिए अपनी मातृभूमि में योगदान करने और इसकी रोमांचकारी विकास गाथा का भाग बनने के अनेक और विविध अवसर हैं। भारत में निर्माण, स्टार्ट अप इंडिया, डिजिटल भारत और स्वच्छ भारत, ये सभी कार्यक्रम आपको भाग लेने, योगदान करने और लाभान्वित होने के प्रचुर अवसर प्रदान करते हैं।
18.मित्रो, मुझे विश्वास है कि आपके मूल स्थान के साथ जुड़ाव और राष्ट्र के साथ आपका संबंध प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भाग लेकर सुदृढ़ हुआ है। मैं एक बार पुनः यहां उपस्थित सभी से उस विकास उन्मुख भारतीय गाथा का भाग बनने का आग्रह करता हूं जो अत्यधिक विविधता वाले 1.3 बिलियन लोगों की शानदार गाथा है जिनके बीच एक प्रणाली, एक संविधान और एक ध्वज के अंतर्गत एकता स्थापित है।
19.मुझे विशेष रूप से आज विदेश नीति पर प्रधानमंत्री के भाषणों की पुस्तक का लोकार्पण करके भी प्रसन्नता हुई। उनके भाषण एक ऐसे उभरते हुए भारत की कहानी कहते हैं जो आगे बढ़ रहा है, इतिहास की घटनाओं को पीछे छोड़ रहा है और आशा के साथ विश्व को निहार रहा है।
20.अंत में, मैं एक बार पुनः सभी प्रवासी भारतीय सम्मान प्राप्तकर्ताओं को बधाई देता हूं। मैं आप सभी के लिए एक सुगम्य, खुशहाल और समृद्ध भावी वर्ष के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
धन्यवाद,
जयहिंद।